CEC EC Bill 2023: सीईसी-ईसी की नियुक्ति वाला बिल राज्यसभा से पास, जानें क्या-क्या होगा बदलाव

CEC Appointment Bill: मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्त बिल के मुताबिक CEC-EC की नियुक्ति प्रधानमंत्री, सरकार के एक कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता वाली 3 सदस्यीय कमेटी करेगी.

Election Commission of India
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाला बिल राज्यसभा से पास हो गया है. अब राष्ट्रपति के सिग्नेचर के बाद यह बिल कानून बन जाएगा. चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड अदर्स इलेक्शन कमिश्नर्स (अपॉइंटमेंट, कंडीशन ऑफ सर्विस एंड टर्म ऑफ ऑफिस) बिल के जरिए पुराने कानून में कई बदलाव किए गए हैं. चलिए आपको बताते हैं कि इस बिल के कानून बनने से क्या कुछ बदल जाएगा.

3 सदस्यीय कमेटी करेगी CEC की नियुक्ति-
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त विधेयक 2023 चुनाव आयुक्त की नियुक्त करने वाले अधिनियम 1991 की जगह लेगा. इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और दूसरे चुनाव आयुक्त की नियुक्त में केंद्र सरकार की अहम भूमिका का जिक्र है. इस बिल के मुताबिक सीईसी-ईसी की नियुक्ति के लिए 3 सदस्यीय कमेटी होगी. इस समिति में प्रधानमंत्री, सरकार के एक कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल होंगे.

कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने संसद में कहा कि साल 1991 के कानून में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का कोई Clause नहीं था. 2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया  था कि जब तक संसद कानून नहीं बनाती है, तब तक एक सलेक्शन कमेटी का गठन किया जाए. हम आर्टिकल 324(2) के तहत यह बिल लेकर आए हैं.

कम हो जाएगी CEC की सैलरी-
इस बिल में CEC-EC की सैलरी और सेवा शर्त का भी जिक्र है.सीईसी-ईसी की सैलरी में जो पहले प्रावधान था, उसमें Clause 10 में बदलाव किया गया है. इसके कानून बनने के बाद सीईसी की सैलरी और सेवा शर्त अब मंत्रिमंडल सचिव के बराबर होगी. 1991 एक्ट के तहत CEC-EC को सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर सैलरी मिलती है. सीईसी-ईसी का कार्यकाल 6 साल या 65 साल की उम्र तक रहेगा.

CEC के काम को कोर्ट में चुनौती नहीं-
बिल में एक नया Clause 15(A) जोड़ा गया है. जिसके मुताबिक अगर मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त अपनी ड्यूटी के दौरान कोई कार्रवाई करते हैं तो उनके खिलाफ कोर्ट में कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकती है.

विपक्ष के क्या हैं आरोप-
मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सीईसी-ईसी की नियुक्ति प्रधानमंत्री, विपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया मिलकर करेंगे. कोर्ट ने कहा था कि संसद के कानून बनाने तक ये मानदंड लागू रहेगा. विपक्ष का कहना है कि सरकार नए बिल के जरिए चुनाव आयुक्त को कठपुतली बनाना चाहती है. जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि पुराने कानून में कुछ कमजोरियां थीं. जिसे दूर किया जा रहा है.

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