उदय माहुरकर आज वो शख्सियत है, जिनको अक्टूबर 2020 में केंद्रीय सूचना आयुक्त की जिम्मेदारी दी गई थी. उन्होंने 2005 में जब से आरटीआई कानून लागू हुआ तब से किसी भी एक साल में सबसे ज्यादा आरटीआई आवेदनों का निस्तारण करने का नया कीर्तिमान हासिल कर लिया है.
तोड़ दिया 16 साल का रिकॉर्ड
सीआईसी के रूप में अपने पहले वर्ष में माहुरकर की उपलब्धि ने पिछले 16 वर्षों के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए. पूर्व पत्रकार और लेखक, माहुरकर ने ट्विटर पर कहा कि उन्होंने "बिना किसी डर या पक्षपात के ऐतिहासिक निर्णय पारित किए". बिना किसी डर या पक्षपात के ऐतिहासिक फैसले सुनाए. प्राचीन संस्कृत पांडुलिपियों में से एक में, मैंने फैसला सुनाया कि एक पांडुलिपि चाहे सरकारी या निजी निकाय के स्वामित्व में हो, राष्ट्रीय संपत्ति है, यहां तक कि जिन लोगों ने निजी लोगों के लिए दान दिया था, उन्होंने इसे हमारी विरासत को बचाने के लिए किया था. दुनिया भर के विद्वानों ने इसकी सराहना की है.
केंद्रीय मंत्रालय के साथ मिलकर उठाए महत्वपूर्ण कदम
उन्होंने आगे कहा कि अपने आदेश में, उन्होंने राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन को निजी निकायों की सभी तीन लाख पांडुलिपियों को सार्वजनिक डोमेन में डालने का निर्देश दिया, जिन्हें शोधकर्ताओं के लाभ के लिए डिजिटल किया गया था. उन्होंने कहा कि केवल 28,000 ऐसी पांडुलिपियां सार्वजनिक डोमेन में थीं. उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने "केंद्रीय मंत्रालयों के जन सूचना अधिकारियों के साथ समन्वय करने जैसे रचनात्मक कदम उठाए". माहूरकर ने कहा कि उन्होंने आरटीआई अधिनियम के पारदर्शिता और जवाबदेही के उद्देश्यों को सुनिश्चित करने के लिए कड़ाई से निर्देश देते हुए "उनकी समस्याओं को जानने के लिए समूह बैठकें" भी बुलाई.
1 साल में 28903 मामलों को निपटाया
उदय माहूरकर ने सभी कर्मचारियों का धन्यवाद किया. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "रजिस्ट्रार राकेश राव ने व्यक्तिगत बलिदानों की कीमत पर भी सफलता को संभव बनाया 2021-2022 में 28903 मामलों को निपटाने में सीआईसी के शानदार प्रदर्शन के लिए सीआईसी के पूरे स्टाफ को भी बधाई दी जानी चाहिए."
(सुशान्त मेहरा की रिपोर्ट)