देश में कहीं भी यात्रा के लिए मुसाफिरों की पहली पसंद रेलवे होती है. रेल यात्रा किफायती और आरामदायक भी होता है. लेकिन कई बार होता है कि भीड़भाड़ की वजह से परिवारों से बच्चे बिछड़ जाते हैं और स्टेशन पर इधर-उझर खो जाते हैं. ऐसे बच्चों को ढूंढने और उनके परिवार से मिलाने के लिए रेलवे ने मिशन नन्हे फरिश्ते चला रहा है. इसके जरिए रेलवे पुलिस बिछड़े बच्चों को मिलाने के अलावा महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने में भी समर्थ हुई है. इसके साथ ही रेलवे निराश्रित बच्चों का पुनर्वास भी करा रहा है.
2022 में 1399 बच्चों को बचाया-
रेलवे ने ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के जरिए साल 2022 में 1399 बच्चों को उनके परिवारवालों से मिलाया. मध्य रेलवे के रेलवे सुरक्षा बल ने सरकार के साथ मिलकर इन बच्चों को बचाया है. रेलवे की इस मुहिम में 949 लड़कों और 450 लड़कियों को बचाया गया है. चाइल्डलाइन जैसे गैर-सरकारी संगठन की मदद से इन बच्चों को उनके माता-पिता से मिलाया गया. ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के तहत रेलवे पुलिस और फ्रंटलाइन रेलवे कर्मचारियों ने इन बच्चों को रेलवे स्टेशन से बरामद किया.
सेंट्रल रेलवे ने सबसे ज्याद रेस्क्यू किया-
सेंट्रल रेलवे के मुंबई मंडल ने सबसे ज्यादा 615 बच्चों को रेस्क्यू किया. जिनमें 441 लड़के और 174 लड़कियां शामिल हैं. इसके अलावा भुसावल मंडल ने 284 बच्चों को बचाया. जिसमें 150 लड़के और 134 लड़कियां शामिल हैं. पुणे मंडल भी बच्चों को बचाने में तत्परता से लगा रहा. पुणे मंडल ने 285 बच्चों को बचाया. जिसमें 233 लड़के और 52 लड़कियां शामिल हैं. जबकि नागपुर मंडल ने 157 बच्चों को बचाया है. जिसमें 89 लड़के और 68 लड़कियां शामिल हैं. उधर, सोलापुर डिवीजन के बचाए गए 58 बच्चों में 36 लड़के और 22 लड़कियां शामिल हैं.
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