Samvidhaan Hatya Diwas: मोदी सरकार का फैसला! हर साल 25 जून को मनेगा संविधान हत्या दिवस, इंदिरा गांधी ने इसी दिन लगाई थी इमरजेंसी, जानें कैसे लगता है आपातकाल

Constitution Assassination Day: हमारे संविधान में तीन प्रकार की आपात स्थितियों राष्ट्रीय आपातकाल, राज्य आपातकाल और वित्तीय आपातकाल का उल्लेख किया गया है. हमारे संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है.

Home Minister Amit Shah, Indira Gandhi and PM Modi (File Photo: PTI)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 6:57 PM IST
  • कांग्रेस सरकार ने 25 जून 1975 को लगाई थी इमरजेंसी
  • लाखों निर्देश लोगों को डाल दिया गया था सलाखों के पीछे 

मोदी सरकार (Modi Government) ने एक बड़ा फैसला किया है. हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस (Samvidhaan Hatya Diwas) मनाने का निर्णय लिया है. इसको लेकर नोटिफिकेशन भी जारी किया है. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Prime Minister Indira Gandhi) ने इसी दिन 25 जून 1975 को देश में आपातकाल (Emergency) लागू करने की घोषणा की थी. अब मोदी सरकार ने कांग्रेस (Congress) को घेरते हुए इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है. 

गृह मंत्री अमित शाह ने किया ऐलान 
गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आपातकाल को लेकर ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि अब हर साल 25 जून को संविधान हत्या दिवस (Constitution Assassination Day) मनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि 1975 में इसी दिन कांग्रेस सरकार ने इमरजेंसी लगाई थी और लाखों निर्देश लोगों को सलाखों के पीछे डाला दिया गया था. गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा है कि इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तानाशाही मानसिकता का परिचय देते हुए देश पर आपातकाल थोपकर हमारे लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था.

उन्होंने कहा कि संविधान हत्या दिवस उन सभी लोगों के महान योगदान को याद करेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को सहन किया. अमित शाह ने एक्स पर लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं व उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया.

पीएम मोदी (PM Modi) ने गृह मंत्री के पोस्ट पर क्या लिखा
पीएम मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह के पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए एक्स पर लिखा है, 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इस बात की याद दिलाएगा कि क्या हुआ था, जब भारत के संविधान को कुचल दिया गया था. यह हर उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जो आपातकाल की ज्यादतियों के कारण पीड़ित हुए थे, जो भारतीय इतिहास में कांग्रेस द्वारा लाया गया काला दौर था.

देश में कब-कब लगाया जा सकता है आपातकाल 
राष्ट्रीय आपातकाल: हमारे संविधान में तीन प्रकार की आपात स्थितियों राष्ट्रीय आपातकाल, राज्य आपातकाल और वित्तीय आपातकाल का उल्लेख किया गया है. हमारे संविधान के अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार है.

पीएम की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल की लिखित सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा की जाती है. यदि भारत या उसके क्षेत्र के किसी भी हिस्से की सुरक्षा को युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह से खतरा हो, उस स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया जा सकता है. इस दौरान नागरिकों के सभी मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं. उस समय सभी राजनैतिक और प्रशासनिक शक्तियां राष्ट्रपति के हाथों में चली जाती हैं. 

राज्य आपातकाल: हमारे संविधान के अनुच्छेद 356 में राज्य आपातकाल, जिसे राष्ट्रपति शासन भी कहा जाता है का उल्लेख है. यह तब लगाया जाता है जब राष्ट्रपति को यह लगे कि किसी विशेष राज्य का शासन संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार नहीं किया जा सकता है. राज्य में आपातकाल लगाने के कारणों में संवैधानिक मशीनरी का टूटना, कानून और व्यवस्था की विफलता या किसी राज्य में राजनीतिक अस्थिरता शामिल हो सकती है. राष्ट्रपति की मंजूरी पर ही राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है. 

वित्तीय आपातकाल: हमारे संविधान के अनुच्छेद 360 में वित्तीय आपातकाल का उल्लेख है. जब राष्ट्रपति को लगता है कि ऐसी स्थिति सामने आई है, जो भारत की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरे में डाल रही है तो वह वित्तीय आपातकाल की स्थिति की घोषणा कर सकते हैं. हमारा संविधान राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद से लिखित सिफारिश प्राप्त होने पर ही वित्तीय आपातकाल घोषित करने की शक्ति देता है.

हमारे देश में कब-कब लग चुका है आपातकाल 
हमारे देश में अभी तक तीन बार आपातकाल लग चुका है. पहली बार हमारे देश में आपातकाल 26 अक्टूबर 1962 से 10 जनवरी 1968 के बीच लगा गया था. उस दौरान भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था. उस दौरान आपातकाल की घोषणा इसलिए की गई थी क्योंकि तब भारत की सुरक्षा को  बाहरी आक्रमण से खतरा घोषित किया गया था. 

दूसरी बार आपातकाल 1971 में लगाया गया था. 3 से 17 दिसंबर 1971 के बीच इस आपातकाल को लगाया गया था. उस समय भारत-पाकिस्तान युद्ध चल रहा था. इस समय भी देश की सुरक्षा को खतरा देखते हुए आपातकाल की घोषणा की गई थी. तीसरी बार इमरजेंसी की घोषणा इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए 25 जून 1975 को की गई थी. उस समय आपातकाल लागू करने के पीछे कारण देश में आंतरिक अस्थितरता को बताया गया था. यह आपातकाल 21 मार्च 1977 तक लागू रहा था.

इंदिरा गांधी ने कैसे लगाई थी Emergency 
25 जून 1975 को इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल लगाए जाने पर अपनी मुहर लगाई थी. दरअसल, इस आपातकाल की कहानी उस समय से शुरू हो गई थी जब साल 1971 आम चुनाव हुए थे. उस चुनाव में इंदिरा गांधी ने राजनारायण को 52 हजार वोटों से हरा दिया था. लेकिन राजनारायण ने इस परिणाम को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने चुनाव को रद्द कर दिया था. 

इतना ही नहीं इंदिरा गांधी को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दिया था. राजनारायण को चुनाव में विजयी घोषित किया गया था. इंदिरा गांधी की तरफ से हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. उधर, जयप्रकाश नारायण ने कोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी से इस्तीफे की मांग की और संपूर्ण क्रांति की पहल की. 25 जून को उन्होंने देशभर के शहरों में प्रदर्शन का आह्वान किया था. इसके बाद 25-26 जून की रात को देश में आपातकाल लगा दिया गया था. तमाम विपक्षी नेताओं को रातोंरात गिरफ्तार करके जेलों में डाल दिया गया. अखबारों और रेडियो में सिर्फ वही खबरें आती थीं, जिन्हें सरकार जनता तक जाने देना चाहती थी. इसके अलावा आम लोगों पर भी कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थीं.

 

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