यह स्टार्टअप बना कुम्हारों के लिए आशा की किरण, कुल्हड़ में चाय सर्व करके दे रहे 500 परिवारों को रोजगार

Chai Sutta Bar की स्थापना 2016 में अनुभव दुबे और आनंद नायक ने की थी और आज कुल्हड़ में चाय बेचकर वे 500 से अधिक कुम्हार परिवारों को रोजगार का स्रोत दे रहे हैं.

Kulhad Chai (Photo: Instagram)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 4:29 PM IST
  • तीन महीने में 4.05 करोड़ कुल्हड़ों का इस्तेमाल 
  • 500 कुम्हार परिवारों को मिला रोजगार

एक जमाना था जब भारत में पानी रखने, पीने से लेकर खाना बनाने और खाने तक के लिए मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल होता था. मिट्टी के बर्तन हमारे देश की संस्कृति का अहम हिस्सा हैं. लेकिन आधुनिकता के चक्कर में आज हम अपनी जड़ों को ही भूलते जा रहे हैं. प्लास्टिक क्रॉकरी और बर्तनों ने ऐसे मार्केट में जगह बनाई है कि इको-फ्रेंडली होते हुए भी मिट्टी के बर्तनों को रसोई में जगह नहीं मिल रही है. 

और इसका सबसे ज्यादा गलत असर पड़ा है कुम्हार समुदाय पर. मिट्टी के बर्तनों का चलन कम होने से उनका रोजगार छिन गया और बहुत से लोगों ने तो मिट्टी के बर्तनों का काम छोड़कर दूसरे काम शुरू कर दिए. लेकिन पिछले कुछ सालों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने से मिट्टी के बर्तनों को एक बार फिर पहचान मिल रही है. 

खासकर कि छोटे-बड़े स्टार्सअप इस क्षेत्र में सामने आ रहे हैं. बहुत से कैफे भी लस्सी, चाय आदि के लिए पेपरकप या मग की बजाय मिट्टी के कुल्हड़ो को महत्व दे रहे हैं. और एक स्टार्टअप ने तो इस मामले में मिसाल कायम की है. 

तीन महीने में 4.05 करोड़ कुल्हड़ों का इस्तेमाल 
चाय सुट्टा बार (CSB), देश की सबसे बड़ी चाय फ्रेंचाइजी ने हाल ही में घोषणा की है कि उन्होंने 2023 के पहले तीन महीनों में 4.05 करोड़ कुल्हड़ चाय सर्व की है. CSB की कुल्हड़ चाय चाय प्रेमियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो गई है, और इसका फायदा कंपनी के साथ-साथ उन कुम्हार परिवारों को हो रहा है जो इनसे जुड़े हैं. 

CSB की स्थापना 2016 में अनुभव दुबे और आनंद नायक ने की थी. वे कुल्हड़ में चाय बेचकर 500 कुम्हार परिवारों को रोजगार का जरिया दे रहे हैं. देश में अपने फ्रैंचाइजी आउटलेट्स में प्रतिदिन 4.5 लाख कुल्हड़ का उपयोग करते हैं. आपको बता दें कि CSB के भारत के 195+ शहरों में 450 से अधिक आउटलेट्स हैं. 

चाय स्टार्टअप से मिली रेगुलर इनकम 
अनुभव दुबे ने पारंपरिक कुल्हड़ चाय को रिइनवेंट करके कुम्हार समुदाय को पहचान दी है. कुम्हार समुदायों के जीवन की चुनौतियों की समझकर अनुभव ने उनके लिए रेगुलर इनकम का जरिया बनाया. बहुत से कुम्हारों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए दिवाली जैसे त्योहारों की प्रतीक्षा करनी पड़ती है और बाकी के महीने उनकी बहुत ही कम बिक्री होती है. 

लेकिन CSB से जुड़े कुम्हार रेगुलर कुल्हड़ सप्लाई करते हैं और इससे उन्हें भी रेगुलर इनकम मिलती है. इससे कुम्हारों के बच्चों का जीवन भी संवर रहा है क्योंकि अब उन्हें एक आशा की किरण दिख रही है. आपको बता दें कि कुल्हड़ के अलावा भी आजकल बहुत तरह के बर्तन मिट्टी से बनाए जा रहे हैं जो किफायती भी हैं और पर्यावरण के अनुकूल भी. बस जरूरत है तो आपको और हमारे एक सकारात्मक कदम की. 

 

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