Champai Soren Joins BJP: चंपाई सोरेन के बीजेपी में आने से पार्टी को क्या-क्या होगा फायदा, पूर्व CM की कैसे तय होगी आगे की राजनीतिक दशा, यहां जानिए

Jharkhand Politics: कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपाई सोरेन बीजेपी से जुड़ गए हैं. अब देखना है कि झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में वह बीजेपी के कमल को कितनी सीटों पर खिला पाते हैं. यदि वह विधानसभा चुनाव में खुद जीत जाते हैं और अपने साथ कुछ और विधायकों को विजय दिलाने में कामयाब हो जाते हैं तो फिर चंपाई की राजनीतिक पारी एक बार फिर सरपट दौड़ने लगेगी.

Champai Soren Joins BJP (Photo: PTI)
मिथिलेश कुमार सिंह
  • ,
  • 30 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 10:25 PM IST
  • झारखंड में इसी साल होना है विधानसभा चुनाव
  • चंपाई पर अधिक से अधिक सीटों पर बीजेपी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी

Jharkhand Assembly Election 2024: आखिरकार 30 अगस्त 2024 को कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (Former Chief Minister Champai Soren) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया. इसे इसी साल होने जा रहे झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की बड़ी जीत और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. आइए जानते हैं चंपाई सोरेन के भाजपा में आने से पार्टी को क्या-क्या फायदा होगा और पूर्व सीएम की कैसे आगे की राजनीतिक दशा तय होगी.   

झारखंड सरकार पर अपनी जासूसी कराने का लगाया आरोप
रांची के धुर्वा स्थित शाखा मैदान में शुक्रवार को प्रदेश भाजपा की ओर से आयोजित मिलन समारोह में चंपाई सोरेन को पार्टी की सदस्यता दिलाई गई. इस दौरान हिमंत बिस्व सरमा, शिवराज सिंह चौहान जैसे बड़े बीजेपी नेता मौजूद रहे. चंपाई सोरेन ने भाजपा में शामिल होने के बाद हेमंत सोरेन सरकार पर अपनी जासूसी कराने का आरोप लगाया. यह पहली बार था जब चंपाई ने खुद झारखंड सरकार पर उनकी जासूसी कराने का आरोप लगाया है. इससे पहले केवल बीजेपी ही यह आरोप लगा रही थी.

सीएम रहते किया गया मेरे साथ अपमान 
आपको मालूम हो कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार होने के बाद हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद हेमंत ने राज्य चलाने की जिम्मेदारी अपने विश्वासपात्र चंपाई सोरेन को दे दी. चंपाई  ने करीब 5 महीनों तक झारखंड में सरकार चलाई. चंपाई सोरेन ने गत फरवरी में विधानसभा सत्र के दौरान स्वयं को हेमंत सोरेन पार्ट-2 तक कहा लेकिन 28 जून को हेमंत को जमानत मिलने के बाद चंपाी सोरेन ने 3 जुलाई 2024 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और झामूमो के खिलाफ बगावती सुर अपना लिया. चंपाई ने 18 अगस्त को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपने साथ हो रही अनदेखी का मुद्दा उठा दिया. उन्होंने कहा कि सीएम रहते उनके साथ अपमान किया गया. उन्हें बैठकों की जानकारी तक नहीं दी गई. चंपाई ने कहा कि इतने अपमान एवं तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया.

क्यों बीजेपी में ही आने का फैसला किया
रांची में बीजेपी ज्वाइन करने के बाद चंपाई ने बताया कि क्यों बीजेपी में ही आने का फैसला किया. उन्होंने बताया कि कई छोटी-बड़ी पार्टी हैं लेकिन झारखंड की परिस्थिति के अनुसार मैंने बहुत सोचा. देश में दो बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस थी. कांग्रेस ने सबसे ज्यादा आंदोलन में फायरिंग करवाई. आंदोलन को कुचलवाया. कांग्रेस ने हमेशा आदिवासी पर गोली चलाई इसलिए मैंने भाजपा को चुना. उन्होंने कहा कि संथाल परंगना सिद्ध कान्हु की धरती को बचाना है तो भाजपा में जाना है. पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह पर मेरा विश्वास जागा. यदि संथाल परगना, आदिवासी को बचाना है तो सिर्फ भाजपा कर सकती है.

अब चंपाई सोरेन की कैसे तय होगी आगे की राजनीतिक दशा
आपको मालूम हो कि झारखंड मुक्ति मोर्चा से मोहभंग होने के बाद चंपाई सोरेन ने संन्यास या नई पार्टी बनाने का इरादा बनाया था. चंपाई सोरेन ने बताया कि मैंने अपने राजनीतिक जीवन को ध्यान में रखते हुए दो ही फैसले लिए थे कि या तो मैं अपना खुद का दल बनाऊंगा या तो राजनीति से ही संन्यास ले लूंगा, लेकिन आज की तारीख में मेरे लिए परिस्थितियां काफी अलग हो चुकी हैं. इसी वजह से मुझे बीजेपी में जाने का फैसला लेना पड़ा. अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या चंपाई सोरेन भाजपा से जुड़ने के बाद अपनी राजनीति को बचा पाएंगे. 

राजनीतिक जानकार इसका जवाब अलग-अलग दे रहे हैं. हालांकि इसका सही जवाब झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद ही मिलेगा. यदि वह विधानसभा चुनाव में खुद जीत जाते हैं और अपने साथ कुछ और विधायकों को विजय दिलाने में कामयाब हो जाते हैं तो फिर चंपाई की राजनीतिक पारी एक बार फिर सरपट दौड़ने लगेगी. बीजेपी को चुनाव में लाभ दिलाने का इनाम जरूर उन्हें मिलेगा. भारतीय जनता पार्टी उन्हें डिप्टी सीएम का पद देकर हेमंत सोरेन के बराबर खड़ा करने की कोशिश कर सकती है. यदि बीजेपी को कई सीटों पर जीत दिलाने में चंपाई का हाथ रहा तो उन्हें कोई बड़ा मंत्रालय भी मिल सकता है. यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर चंपाई सोरेन का राजनीतिक करियर संकट में आ जाएगा. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 से पहले जीतनराम मांझी बीजेपी से जुड़े थे. भाजपा ने इस चुनाव से पहले जीतनराम मांझी का भरपूर इस्तेमाल किया. हालांकि मांझी के आने से भी भाजपा को चुनाव में फायदा नहीं हुआ. इसके बाद मांझी की सारी आव-भगत बंद हो गई. 

चंपई सोरेन से झारखंड में चमकेगी भाजपा की किस्मत!
एक बात तो यह तय है कि चंपाई सोरेन के बीजेपी में आने से पार्टी कोल्हान इलाके में मजबूत होगी. इस क्षेत्र को झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है. झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में JMM ने कोल्हान इलाके की 14 में से 11 सीटें जीतीं थीं. दो सीटें अलायंस में सहयोगी कांग्रेस को मिली थीं. एक सीट पर निर्दलीय सरयू राय का कब्जा रहा था. बीजेपी इस क्षेत्र में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. इसको देखते हुए बीजेपी इस क्षेत्र से एक मजबूत आदिवासी नेता की तलाश कर रही थी. अब चंपाई के रूप में पार्टी को ऐसा नेता मिल गया है. चंपाई कोल्हान के बड़े नेता हैं और उनके आने से बीजेपी को विधानसभा चुनावों में फायदा मिलना तय है. चंपई सोरेन का जीत का रिकॉर्ड भी काफी अच्छा है. वह अब तक सात विधानसभा चुनाव लड़े हैं. इसमें से सिर्फ एक में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी कोल्हान इलाके की सभी सीटों पर चंपई के भरोसे जीत दर्ज करना चाह रही है.

सीधे हेमंत सोरेन को कर सकते हैं टारगेट 
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बीजेपी से जुड़ने के कारण अब बीजेपी को हेमंत सोरेन के खिलाफ चुनाव प्रचार के लिए एक बड़ा कद्दावर आदिवासी नेता मिल गया है. चंपाई सीधे हेमंत सोरेन को टारगेट कर सकते हैं. वह विधानसभा चुनाव में बीजेपी के स्टार प्रचारक हो सकते हैं.  चंपाई स्टार प्रचारक के तौर पर सरायकेला से दुमका तक आदिवासी वोटरों को साध सकते हैं. वह हेमंत सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तीखा हमला बोल सकते हैं. चंपाई सोरेन संथाली आदिवासी हैं. सोरेन परिवार की ताकत यही आदिवासी समूह है. चंपाई के भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने के बाद संथाली मतदाता बीजेपी का रुख कर सकते हैं.

 

Read more!

RECOMMENDED