भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक लैंड करने वाला पहला देश बन गया है. 23 अगस्त की शाम करीब 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 लैंडर विक्रम ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छुआ. ये इसरो की चार साल की मेहनत और हमारे वैज्ञानिकों का योगदान है. चंद्रयान-3 की सफलता के साथ, भारत अब अमेरिका, चीन और रूस के बाद चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा कई हॉलीवुड फिल्मों के बजट के एक छोटे से हिस्से में हासिल की गई ऐतिहासिक उपलब्धि, इस परियोजना पर काम करने वाले देश के कुछ शीर्ष दिमागों के बिना संभव नहीं होती. आइए जानते हैं उनके बारे में...
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ
चंद्रमा पर महत्वाकांक्षी मिशन के पीछे इसरो प्रमुख सोमनाथ का दिमाग है. उन्हें गगनयान (चालक दल मिशन) और आदित्य-एल1 (सूर्य के लिए मिशन) सहित कई अन्य मिशनों को तेजी से पूरा करने का श्रेय भी दिया गया है. देश के चंद्रमा पर उतरने के बाद इसरो प्रमुख ने कहा."हमने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल कर ली है. भारत चंद्रमा पर है!" भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख की जिम्मेदारी दिए जाने से पहले, सोमनाथ ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) और Liquid Propulsion Centre,इसरो के लिए रॉकेट प्रौद्योगिकियों के विकास के प्राथमिक केंद्र के निदेशक के रूप में कार्य किया.
पी वीरमुथुवेल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर
पी वीरमुथुवेल ने 2019 में चंद्रयान -3 परियोजना निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला. अपने वर्तमान कार्यभार से पहले, उन्होंने इसरो मुख्यालय में स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उप निदेशक के रूप में कार्य किया. अपने तकनीकी कौशल के लिए जाने जाने वाले, वीरमुथुवेल ने चंद्रयान -2 मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के साथ बातचीत के लिए केंद्र में रहे. तमिलनाडु के विल्लुपुरम के मूल निवासी, वीरमुथुवेल मद्रास में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-एम) के पूर्व छात्र हैं.
मिशन निदेशक मोहना कुमार
LVM3-M4/चंद्रयान 3 के मिशन निदेशक विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के सीनियर साइंटिस्ट एस मोहना कुमार हैं. उन्होंने पहले LVM3-M3 मिशन पर वन वेब इंडिया 2 उपग्रहों के सफल कॉमर्शियल लॉन्च के लिए निदेशक के रूप में कार्य किया था. उन्होंने कहा, "एलवीएम3-एम4 एक बार फिर इसरो के लिए सबसे विश्वसनीय भारी लिफ्ट वाहन साबित हुआ है. इसरो परिवार की टीम वर्क को बधाई." यह देखते हुए कि भारत को ऐसे विश्वसनीय वाहन की आवश्यकता है, मोहना ने कहा कि उनकी टीम एलवीएम की अधिक सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है ताकि लॉन्च अधिक बार किया जा सके. मोहना कुमार तिरुवनंतपुरम में इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं, जो वास्तव में एजेंसी के लिए रॉकेट क्षमताओं के निमार्ण का केंद्र है. वह 30 साल से अधिक समय से इसरो के साथ हैं.
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर
जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-III, जिसे लॉन्च व्हीकल मार्क-III,रॉकेट नाम दिया गया था को केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के थुंबा में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) द्वारा विकसित किया गया था. VSSC के प्रमुख होने के नाते, एस उन्नीकृष्णन नायर और उनकी टीम महत्वपूर्ण मिशन के विभिन्न प्रमुख कार्यों के प्रभारी हैं.नायर ने कहा, "यह LVM3 का 7वां मिशन था और इस साल का तीसरा प्रक्षेपण, जो एक कठिन कार्य है. इस वाहन की सफलता दर 100% है. मैं अगस्त के अंत में चंद्रयान-3 के लिए चंद्रमा पर एक पंख जैसी लैंडिंग की कामना करता हूं. शुभकामनाएं.".
यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) के निदेशक एम शंकरन
एम शंकरन ने जून 2021 में इसरो के सभी उपग्रहों के डिजाइन, विकास और कार्यान्वयन के लिए भारत के प्रमुख केंद्र यू आर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक के रूप में पदभार संभाला. वह वर्तमान में संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम विज्ञान और अंतर-ग्रहीय अन्वेषण (inter-planetary exploration)जैसे क्षेत्रों में राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सैटेलाइट फ्रैटर्निटी का नेतृत्व कर रहे हैं. शंकरन ने कहा, "मैं चंद्रयान-3 की टेक्सटबुक जैसी लॉन्चिंग और प्लेसमेंट प्रदान करने के लिए एलवीएम3 टीम को धन्यवाद देता हूं. हम इस मिशन को सफल बनाने के लिए पिछले चार वर्षों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं."
लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड (LAB) के प्रमुख ए राजराजन
ए राजराजन एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक हैं और वर्तमान में भारत के प्रमुख स्पेसपोर्ट, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर (एसडीएससी एसएचएआर) के निदेशक हैं. उन्होंने कहा, "एक बार फिर मोटे लड़के ने अपना काम किया है और चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को कक्षा में स्थापित कर दिया है. मैं सटीक प्रक्षेपण के लिए सभी टीमों को बधाई देता हूं." राजराजन कंपोजिट के क्षेत्र में एक विशेषज्ञ हैं और निदेशक के रूप में उनकी प्राथमिकताएं इसरो के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम (गगनयान) और एसएसएलवी के लॉन्च सहित लॉन्च की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए सॉलिट मोटर प्रोडक्शन और लॉन्च जटिल बुनियादी ढांचे को पूरा करने पर थीं. लॉन्च ऑथराइज़ेशन बोर्ड (LAB) लॉन्च के लिए हरी झंडी देता है.
डॉक्टर कल्पना के और डॉक्टर एम वनिता
डॉक्टर कल्पना के चंद्रयान-3 मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. वे बीते 4 साल से प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं और बारीक से बारीक गतिविधियों पर नजर रख रही हैं. चंद्रयान 3 पर काम करने के अलावा, कल्पना पहले चंद्रयान-2 और मंगलयान मिशन पर भी काम कर चुकी हैं. डॉ एम वनिता चंद्रयान-2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर रह चुकी हैं. वे इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम्स इंजीनियर हैं और भारत के किसी भी चंद्र मिशन का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं. इन दोनों को ISRO में नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है.
चंद्रयान-3 में 54 महिला इंजीनियरों/वैज्ञानिकों ने योगदान दिया
शीर्ष नेतृत्व भूमिकाओं में पुरुषों की मौजूदगी के कारण यह एक all-male मिशन जैसा लग सकता है. हालांकि, ऐसा नहीं है. लगभग 54 महिला इंजीनियरों/वैज्ञानिकों ने सीधे मिशन पर काम किया है. इसरो के एक अधिकारी के अनुसार, वे "विभिन्न प्रणालियों के सहयोगी और उप परियोजना निदेशक और परियोजना प्रबंधक हैं."