छठ महापर्व: दिल्ली से दरभंगा तक सजे हैं घाट, आज अस्त होते सूर्य को देंगे अर्घ्य

पूर्वांचल के साथ-साथ पूरे देश और दुनिया में उत्साह के साथ छठ मनाया जा रहा है. शाम में व्रती डूबते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी और परिवार के खुशहाली की कामना करेंगी. अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ महापर्व संपन्न होगा. व्रती छठी मैया का प्रसाद खाकर 36 घंटे बाद उपवास खोलेंगी.

छठ महापर्व
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:53 PM IST
  • चार दिनों तक चलता है छठ महापर्व
  • नहाय खाय से होती है महापर्व की शुरुआत
  • खरना का प्रसाद खाने के बाद शुरू होता है 36 घंटे का निर्जला उपवास

छठ महापर्व में आज डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. दिल्ली, यूपी, ब‍िहार समेत तमाम राज्यों में घाटों पर पूजा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. छठ घाटों पर कोरोना नियमों का पालन करना होगा.

छठ का त्योहार पू्र्वांचल समेत देश-विदेश में उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. नहाय खाय से इस व्रत की शुरुआत हुई. दूसरे दिन खरना का प्रसाद खाने के बाद व्रतियों के 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ. इस व्रत का सबसे मुख्य हिस्सा है अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य. नदियों के घाटों पर सभी लोग इकट्ठा होते हैं और ऊर्जा के देव सूर्य को कामना सहित अर्घ्य देते हैं. छठ महापर्व की छंटा निराली है.

सिर्फ छठ में डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य
सूर्योदय को जल का अर्घ्य देने के कई पर्व हैं लेकिन अस्ताचल सूर्य को पूजने का यही एक पर्व है छठ. मान्यताओं के अनुसार सूर्य को अर्घ्य देने से इस जन्म के साथ किसी भी जन्म में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं. अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने से छठ मैया नि:संतान को संतान देते के साथ ही संतान की रक्षा करती हैं.

ऐसी है मान्यता
सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य और संतान के लिए रखा जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियंवद ने भी यह व्रत रखा था. उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था. भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था. स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा की गई है. वर्षकृत्यम में भी छठ की चर्चा है.

अथर्ववेद के अनुसार भगवान भास्कर की मानस बहन हैं षष्ठी देवी. प्रकृति के छठे अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई हैं. उन्हें बालकों की रक्षा करने वाले भगवान विष्णु द्वारा रची माया भी माना जाता है. बालक के जन्म के छठे दिन भी षष्ठी मैया की पूजा की जाती है ताकि बच्चे के ग्रह-गोचर शांत हो जाएं.

छठ महापर्व से जुड़ी खास बातें-

  • छठ पूजा में बांस की टोकरी का विशेष महत्व होता है. इसमें अर्घ्य का सामान पूजास्थल तक लेकर जाते हैं और भेंट करते हैं.
  • गुड़ और गेहूं के आटे से बना ठेकुआ छठ पर्व का प्रमुख प्रसाद है. इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है.
  • गन्ना पूजा में प्रयोग किया जाना वाला प्रमुख सामग्री होता है. गन्ना से अर्घ्य दिया जाता है और घाट पर घर भी बनाया जाता है.
  • छठ पूजा में केले के प्रसाद के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. छठ में केले का पूरा गुच्छा छठ मैया को भेंट किया जाता है.
  • कार्तिक शुक्ल की षष्ठी के दिन छठ पूजन का विधान है. इस दिन संध्या अर्घ्य का महत्व है.

कहते हैं कि शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है. शाम को बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और कुछ फल रखे जाते हैं और पूजा का सूप सजाया जाता है और तब सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी दौरान सूर्य को जल और दूध चढ़ाकर प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा भी की जाती है.

 

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