उत्तराखंड में ऋषिकेश और भानियावाला के बीच सड़क चौड़ीकरण के लिए 3000 पेड़ काटने का भारी विरोध हो रहा है. शिवालिक रेंज में पड़ने वाले इस इलाके में सड़क चौड़ी करने के नाम पर 3000 से ज्यादा पेड़ काटे जाने हैं. लेकिन इलाके के लोग इसके विरोध में उतर आए हैं और पेड़ों से चिपककर 'चिपको आंदोलन' (Chipko Movement) की तर्ज पर अपना विरोध जता रहे हैं.
क्या है सरकार की योजना?
सरकार ने इस सड़क को चौड़ा करने के लिए 750 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है. जीएनटी ने मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया और कुछ लोगों से बात कर इस मुद्दे पर उनकी राय जानी. प्रोटेस्ट कर रहे लोगों ने बताया कि रानीपोखरी से ऋषिकेश तक हाइवे का चौड़ीकरण होना है. इसके लिए प्रशासन ने पूरी योजना बना ली है.
इस पर लोगों को आपत्ति है कि भानियावाला से ऋषिकेश तक सड़क के रास्ते में जो भी पेड़ आएंगे, उन्हें काट दिया जाएगा. इसमें करीब 3000 के करीब पेड़ काटे जाएंगे. इनमें सालसागोन और टीक के बेहद कीमती पेड़ भी शामिल हैं.
पर्यावरण पर पड़ेगा भारी प्रभाव
लोगों की आपत्ति का सबसे बड़ा कारण यह है कि जो हाथियों का मूवमेंट है वो कांसरों से और इसी रास्ते में होते हुए चंद्रभाग तक जाता है. वहां हाथी पानी पीने जाते हैं. कई सालों से हाथियों का आवागमन इस रास्ते से होता आ रहा है. अब पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि सरकार विकास के लिए इतना बड़ा नुकसान ना करे. इसके लिए उन्होंने जंगल में आ कर प्रदर्शन भी किया और अब वे सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि विकास के लिए इन पेड़ों की बली ना दी जाए.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय लोगों का मानना है कि 21 किलोमीटर सड़क फोरलेन किए जाने से महज कुछ मिनटों का ही अंतर पड़ेगा. जबकि इससे पर्यावरण को भारी नुकसान होगा. एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "जो चौड़ा कर रहे हैं सड़क को सिर्फ 10 मिनट की ही बचत होगी यात्रा में. इस रोड पर वैसे भी कभी कोई जाम वगैरह नहीं लगते हैं. मैं समझता हूं यहां का जो वन है वह क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है."
पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि सरकार को विकास के लिए पेड़ काटने के बजाय अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए. एक व्यक्ति ने सुझाव दिया, "अगर आप विकास के लिए पेड़ काट रहे हैं तो उसकी जगह पर और पेड़ लगाने चाहिए. अभी सुनने में आ रहा है कि 3000 पेड़ कटेंगे तो सरकार को कम से कम 6000 पेड़ और लगाने चाहिए." उन्होंने यह भी कहा कि पुराने पेड़ों का संरक्षण होना जरूरी है.
लोग चाहते हैं कि सरकार विकास के विकल्पों पर विराच करे. इसके लिए कम से कम जंगलों को ना काटा जाए. प्रोटेस्ट कर रहे एक व्यक्ति ने कहा, "सरकार को इस तरह के कामों से बचना चाहिए जो कि हमारी प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं. पेड़ों को काटने के अलावा बहुत सारे ऐसे विकल्प हैं जिनपर सरकार को विचार करना चाहिए."
(ऋषिकेश से प्रमोद नौटियाल का इनपुट)