यहां 'ट्री' की बजाय ट्रेन डेकोरेट कर मनाया जाता है क्रिसमस, ब्रिटिश काल से चली आ रही है परंपरा

ट्रेन सजाकर इस तरह क्रिसमस मनाने के पीछे ब्रिटिश काल से चली आ रही एक परंपरा और दिलचस्प कहानी जिम्मेदार है. जिसके अनुसार अंग्रेजी शासन के दौरान 25 दिसंबर के दिन ही झांसी-इलाहाबाद ट्रेन के रूप में पहली रेलगाड़ी अतर्रा रेलवे स्टेशन आयी थी.

ट्रेन सजा कर मनाते हैं क्रिसमस
gnttv.com
  • बांदा ,
  • 26 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:46 PM IST
  • 25 दिसंबर के दिन ही पहली रेलगाड़ी अतर्रा रेलवे स्टेशन आयी थी.
  • बिन्दा प्रसाद नाम के व्यक्ति ने शुरू किया था ये चलन.

दुनियाभर में जहां 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस ट्री को सजाकर क्रिसमस डे धूमधाम से मनाया जाता है, वहीं यूपी के बांदा में एक परंपरा ऐसी भी है जहां लोग ट्रेन को सजाकर क्रिसमस सेलिब्रेट करते हैं. ख़ास बात यह है कि ये कोई नयी परंपरा नहीं बल्कि पिछले कई सौ सालों से यहां ऐसा होता चला आ रहा है।

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के अतर्रा रेलवे स्टेशन में हर साल क्रिसमस ट्रेन को सजाकर मनाया गया. हर साल की तरह इस बार भी क्रिसमस के दिन लोगों ने प्लेटफार्म पहुंचकर पहले झांसी-इलाहाबाद ट्रेन को सजाया, फिर उसकी पूजा की और ट्रेन स्टाफ को गिफ्ट दे उनका मुंह मीठा कराया. इसके अलावा गार्ड और स्टेशन अधीक्षक का भी स्वागत किया गया.

ब्रिटिश काल से चली आ रही है परंपरा 

दरअसल, ट्रेन सजाकर इस तरह क्रिसमस मनाने के पीछे ब्रिटिश काल से चली आ रही एक परंपरा और दिलचस्प कहानी जिम्मेदार है. जिसके अनुसार अंग्रेजी शासन के दौरान 25 दिसंबर के दिन ही झांसी-इलाहाबाद ट्रेन के रूप में पहली रेलगाड़ी अतर्रा रेलवे स्टेशन आयी थी. उस समय स्टेशन के पास रहने वाले बिन्दा प्रसाद नाम के व्यक्ति ने कस्बे के सैकड़ों लोगों को साथ लेकर इस चलन की शुरुआत की थी. बाद में ट्रेन के प्रति लोगों की आस्था इस कदर बढ़ती चली गयी कि वह इसे हर साल क्रिसमस डे के तौर पर मनाने लगे. 

ट्रेन सजा कर मनाते हैं क्रिसमस

ट्रेन को सजाकर क्रिसमस सेलिब्रेशन 

जब तक बिन्दा प्रसाद जिंदा थे तो वह इसी तरह लोगों के साथ ट्रेन को सजाकर क्रिसमस डे मनाते थे, लेकिन उनके न रहने के बाद उनके बेटे और पोते यह परंपरा निभाते चले आ रहे हैं. इस तरह क्रिसमस मनाने से अभिभूत ट्रेन के ड्राइवर आरिफ खान ने अपनी ख़ुशी जाहिर करते बताया कि "हमने इस तरह क्रिसमस डे मनाने और ट्रेन के स्वागत को नहीं देखा है. लेकिन इसके पहले भी हम इसी ट्रेन को चलाते हुए अतर्रा स्टेशन पर अपना स्वागत करवा चुके हैं."

25 दिसंबर को यहां आयी थी पहली ट्रेन

वहीं अतर्रा रेलवे स्टेशन के अधीक्षक राजेंद्र मिश्र ने बताया कि "क्रिसमस डे के दिन ट्रेन को इस तरह सजाने और त्योहार मनाने का यह अंग्रेजों के समय का रिवाज है. उसी समय से यह परंपरा चली आ रही है. 25 दिसंबर को यहां ट्रेन आयी थी और उसी दिन क्रिसमस भी था तो उसी तर्ज पर यहाँ लोग इसे इसी तरह से मनाते चले आ रहे हैं." ब्रिटिश शासन के दौरान साल 1889 में इंडियन मिडलैंड रेलवे ने झांसी-मानिकपुर स्टेट रेलवे की शुरुआत की थी. जिसके तहत इस रूट पर बाद में ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ. अंग्रेजों के लिए क्रिसमस का दिन ख़ास होने के कारण इसी तारीख को ट्रेन शुरू करने के लिए चुना गया. तब से लेकर अब तक लोग इसी अनोखे और ख़ास अंदाज में क्रिसमस डे को मनाते चले आ रहे हैं. 

(बांदा से सिद्धार्थ गुप्ता की रिपोर्ट)

 

 

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