CAPF Debate: मानवाधिकार डिबेट में CISF की धूम, 10वीं बार जीती टीम ट्रॉफी.... जानिए क्या थे डिबेट के नियम, कैसे मिली जीत

सीआईएसएफ ने हर साल होने वाली यह प्रतियोगिता कुल 10वीं बार जीती है. जो मानवाधिकारों के प्रति इस बल की गंभीरता और समझ दिखाता है. डिबेट में ज्यूरी चीफ के तौर पर शामिल हुईं ज्योतिका कालरा ने विषय पर अच्छी तरह से रिसर्च करने के लिए विजेताओं और प्रतिभागियों के प्रयासों की सराहना की.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:16 PM IST
  • हिन्दी और अंग्रेजी में हर साल होती है डिबेट
  • सीआईएसएफ कुल 10वीं बार चैंपियन
  • मानवाधिकार से जुड़े विषयों पर हुई डिबेट

CAPF debate: केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने एक बार फिर अंतर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल डिबेट प्रतियोगिता जीत ली है. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार कमीशन (NHRC) के तत्वाधान में इस डिबेट प्रतियोगिता के 29वें संस्करण का आयोजन किया था. सीआईएसएफ ने हर साल होने वाली यह प्रतियोगिता कुल 10वीं बार जीती है. जो मानवाधिकारों के प्रति इस बल की गंभीरता और समझ दिखाता है.

कैसे होता है विजेता का फैसला?
सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, एनएसजी, असम राइफल्स और आरपीएफ सहित सभी आठ सशस्त्र बल इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं. यह प्रतियोगिता तीन चरणों में होती है. इस साल प्रतियोगिता में विषय थे : 1) मानवाधिकारों के प्रति चिंता रखने वाला पुलिस बल अधिक प्रभावी बनता है. 2) सुरक्षा बल मानवाधिकारों के सर्वोच्च रक्षक हैं. और 3) हिरासत में मृत्यु हर परिस्थिति में अस्वीकार्य. 

इन विषयों के पक्ष और विपक्ष में 16 प्रतिभागी हिन्दी और अंग्रेजी में वाद-विवाद करते हैं. फाइनल राउंड में जिस टीम के सबसे ज्यादा प्रतिभागी सफलता हासिल करते हैं, उसे 'ओवरऑल बेस्ट टीम ट्रॉफी' दी जाती है. हिंदी में वाद-विवाद के लिए प्रथम पुरस्कार आईटीबीपी की कांस्टेबल टीना सांगवान को जबकि अंग्रेजी में असम राइफल्स की कांस्टेबल रोसेला संगतम को मिला.

हिंदी का दूसरा पुरस्कार सीआईएसएफ के सब इंस्पेक्टर राहुल कुमार को जबकि अंग्रेजी में सीआईएसएफ के सहायक कमांडेंट अक्षय बडोला को मिला. हिंदी में तीसरा पुरस्कार सीआईएसएफ के सहायक कमांडेंट कान्हा जोशी को और अंग्रेजी में सीआईएसएफ के सहायक कमांडेंट भास्कर चौधरी को मिला.

यानी सीआईएसएफ ने छह में से पांच पुरस्कारों को अपनी झोली में भर लिया. प्रमाण-पत्र तथा स्मृति चिह्न के अलावा प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार विजेताओं को क्रमशः 12,000/- रुपये, 10,000/- रुपये और 8,000/- रुपये का नकद पुरस्कार भी दिया गया. 

"...अब इसे अपनी ट्रेनिंग में शामिल करें" 
डिबेट में ज्यूरी चीफ के तौर पर शामिल हुईं ज्योतिका कालरा ने विषय पर अच्छी तरह से रिसर्च करने के लिए विजेताओं और प्रतिभागियों के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने अधिकारियों से वाद-विवाद प्रस्तुति वीडियो का उपयोग करने और इसे अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बनाने का आग्रह किया. 

बीएसएफ आईजी राजा बाबू सिंह और एनएचआरसी डीआईजी किम ने प्रतिभागियों की सराहना की. उन्होंने विशेष रूप से सीएपीएफ की अपने सुरक्षा कर्मियों के सभी रैंकों के प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करने के लिए सराहना की. उन्होंने इस वाद-विवाद प्रतियोगिता को सफलतापूर्वक आयोजित करने में आयोग को समर्थन देने के लिए बीएसएफ को भी धन्यवाद दिया. 

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