असम के कछार जिले की एक महिला, जिसकी नागरिकता पर 22 साल पहले सवाल उठाया गया था, उसे बुधवार को एक विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा भारतीय नागरिक घोषित कर दिया गया है. 10 साल पहले महिला के बेटे को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस भेजा गया था, जिससे तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली थी. महिला का नाम अकोल रानी है और उनकी उम्र 83 वर्ष है. अकोल रानी नमसुद्र के बेटे अर्जुन नमसुद्र ने 2012 में विदेशी न्यायाधिकरण से नोटिस मिलने के बाद आत्महत्या कर ली थी, जबकि उनकी बेटी अंजलि रॉय ने 2013 में इसी तरह का मामला जीता था.
विदेशी न्यायाधिकरण -4 (FT-4) के सदस्य धर्मेंद्र देब ने बुधवार को एक आदेश जारी कर कहा,"कछार (असम) के कटिगोरा थाना क्षेत्र के हरितिकोर पार्ट-1 गांव की अकोल रानी नमसुधरा ने ठोस, विश्वसनीय और स्वीकार्य साक्ष्य जोड़कर अपने मामले को सफलतापूर्वक साबित किया है. वह स्पष्ट रूप से कानून के अनुसार 01.01.1966 से पहले की अवधि से संबंधित, भारतीय धरती के साथ-साथ असम राज्य में अपनी उपस्थिति के तथ्य को स्थापित करने में सक्षम रही है इसलिए, मेरी राय है कि अकोल रानी नामसुधरा भारत की नागरिक हैं और वह विदेशी नहीं हैं. ”
वेरिफिकेशन के दैरान नहीं दिखाए दस्तावेज
एफटी-4 के रिकॉर्ड के अनुसार, अकोल रानी नमसुद्र के खिलाफ 29/02/2000 को ट्रिब्यूनल (आईएमडीटी) 1983 द्वारा अवैध प्रवासी निर्धारण के तहत सिलचर के एफटी -2 में एक मामला दर्ज किया गया था.आईएमडीटी को 2005 में निरस्त कर दिया गया था और 2011 में FT-4 के तहत अकोल रानी के खिलाफ नया मामला दर्ज किया गया था. हालांकि, एफटी-4 . के अधिकारियों के अनुसार 23 फरवरी, 2022 तक किसी भी एफटी ने अकोल रानी के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किया. इसी साल 23 फरवरी को सिलचर के फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल-4 ने अकोल रानी नमसुद्र के खिलाफ नोटिस जारी कर अपनी पहचान साबित करने को कहा था. एफटी ने दावा किया था कि अकोल रानी पुलिस सत्यापन के दौरान पर्याप्त दस्तावेज नहीं दिखा सकी, इसलिए उसकी भारतीय नागरिकता संदेह के घेरे में थी.
हालांकि वकीलों का कहना है कि अकोल रानी नमसुद्र का नाम 1965, 1970 और उसके बाद के सभी वर्षों की मतदाता सूची में शामिल हुआ जब असम में चुनाव हुए. मतदाता सूची और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों में नाम के साथ, अकोल रानी नोटिस मिलने के तीन महीने के भीतर अपनी नागरिकता साबित करने में सक्षम थी.
पीएम ने भी किया था जिक्र
बता दें कि असम में अपने आपको भारतीय साबित करने के लिए एक व्यक्ति के पास यह दस्तावेज होने चाहिए कि वे या उनके पूर्वज मार्च 1971 से पहले राज्य के निवासी थे. यह एक तरीके का मानदंड है जो 1985 के असम समझौते के अनुसार तय किया गया था. इसका इस्तेमाल अगस्त, 2019 में राज्य के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अपडेट करने के लिए किया गया था. प्रधानमंत्री बनने से पहले 23 फरवरी, 2014 लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान काछर में नरेंद्र मोदी ने इस घटना का जिक्र किया था. उन्होंने आरोप लगाया था, 'डिटेंशन कैंप के नाम पर असम सरकार (कांग्रेस की) मानवाधिकारों का उल्लंघन करती है.'