Comedian Kunal Kamra vs T-Series: क्या पैरोडी और सैटायर 'फेयर यूज' के तहत आता है? क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

Comedian Kunal Kamra vs. T-Series: भारतीय कानून के मुताबिक, 1957 का कॉपीराइट एक्ट किसी भी ओरिजिनल कंटेंट को बिना इजाजत उपयोग करने पर रोक लगाता है. लेकिन Section 52 में कुछ अपवाद दिए गए हैं, जिनमें "फेयर डीलिंग" (Fair Dealing) शामिल है. 

T-Series vs Kunal Kamra
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 27 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 2:52 PM IST
  • असल विवाद पिछले हफ्ते शुरू हुआ
  • हाईकोर्ट्स ने भी कई मामलों में इसकी व्याख्या की है

कॉमेडियन कुणाल कामरा फिर सुर्खियों में हैं! इस बार मुद्दा महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे नहीं, बल्कि बॉलीवुड का सबसे बड़ा म्यूजिक लेबल T-Series है. कामरा ने बुधवार को दावा किया कि T-Series ने उनके वीडियो पर कॉपीराइट इंफ्रिंजमेंट नोटिस जारी किया है.

कामरा ने अपने X (पहले ट्विटर) अकाउंट पर एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा, "Hello T-Series... पैरोडी और सैटायर 'फेयर यूज' के तहत आते हैं. मैंने न तो गाने के ओरिजिनल लिरिक्स का इस्तेमाल किया है और न ही इंस्ट्रूमेंटल. अगर मेरा वीडियो हटाया जा सकता है, तो हर कवर सॉन्ग और डांस वीडियो भी हटाया जा सकता है. क्रिएटर्स कृपया ध्यान दें!"

अब सवाल उठता है- क्या कॉमेडियन सही कह रहे हैं? क्या भारतीय कानून पैरोडी और सैटायर को फेयर यूज मानता है? आइए, जानते हैं इस पूरे विवाद के कानूनी पहलू को विस्तार से!

विवाद कहां से शुरू हुआ?
दरअसल, ये बात सिर्फ कॉपीराइट नोटिस की नहीं है. असल विवाद पिछले हफ्ते शुरू हुआ, जब कुणाल कामरा ने अपने एक स्टैंडअप एक्ट में एकनाथ शिंदे पर एक गाना गाया. इसके बाद शिंदे समर्थक भड़क गए और मुंबई के खार इलाके में स्थित हैबिटैट कॉमेडी क्लब पर हमला कर दिया. न सिर्फ क्लब, बल्कि होटल तक को नहीं बख्शा!

इतना ही नहीं, शिवसेना विधायक मुरजी पटेल की शिकायत पर कुणाल कामरा के खिलाफ FIR दर्ज कर दी गई. उन्हें एक हफ्ते के भीतर पुलिस के सामने पेश होने को कहा गया है. लेकिन कामरा ने साफ कर दिया- "ना मैं माफी मांगूंगा, ना बिस्तर के नीचे छुपूंगा!"

क्या भारतीय कानून 'पैरोडी' और 'सैटायर' को फेयर यूज मानता है?
कई देशों में कॉपीराइट कानून 'फेयर यूज' (Fair Use) या 'फेयर डीलिंग' (Fair Dealing) के तहत पैरोडी और सैटायर की छूट देता है. लेकिन भारत में स्थिति थोड़ी जटिल है.

इसे लेकर GNT डिजिटल ने रांची हाईकोर्ट के वकील प्रीतम मंडल से बात की. प्रीतम बताते हैं, भारतीय कानून के मुताबिक, 1957 का कॉपीराइट एक्ट किसी भी ओरिजिनल कंटेंट को बिना इजाजत उपयोग करने पर रोक लगाता है. लेकिन Section 52 में कुछ अपवाद दिए गए हैं, जिनमें "फेयर डीलिंग" (Fair Dealing) शामिल है. 

इस धारा के तहत, कई उद्देश्यों के लिए किसी कंटेंट का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस धारा में क्रिटिसिज्म, रिव्यू, रिसर्च या निजी इस्तेमाल के लिए कॉपीराइट सामग्री का सीमित उपयोग शामिल है. सटायर और पैरोडी को भी इसमें शामिल माना जा सकता है, बशर्ते ये मूल कृति की मार्केट वैल्यू को नुकसान न पहुंचाए और व्यावसायिक लाभ के लिए न हो. हालांकि, भारत के कॉपीराइट कानून में 'पैरोडी' और 'सैटायर' को लेकर कोई स्पष्ट छूट नहीं है. 

प्रीतम आगे कहते हैं, “अमेरिका में 'Fair Use Doctrine' के तहत पैरोडी को पूरी तरह से कानूनी संरक्षण मिलता है. अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने Campbell v. Acuff-Rose Music (1994) केस में साफ किया था कि अगर किसी कंटेंट का उपयोग हास्य, आलोचना या व्यंग्य के रूप में किया जाता है, तो उसे 'फेयर यूज' माना जाएगा. लेकिन भारत में ऐसा कोई स्पष्ट कानूनी निर्णय नहीं है, जो कॉमेडियन और पैरोडी मेकर्स को पूरी सुरक्षा दे. इसलिए अक्सर विवाद कोर्ट तक पहुंचता है!”

अब आते हैं असली मुद्दे पर... कुणाल का दावा है कि सटायर और पैरोडी "फेयर यूज" के तहत कानूनी रूप से सुरक्षित हैं. लेकिन क्या वाकई ऐसा है? भारतीय कॉपीराइट एक्ट, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स ने भी कई मामलों में इसकी व्याख्या की है. मिसाल के तौर पर, 2014 में "सिविक चंद्रन बनाम अम्मिनी" केस में कोर्ट ने कहा कि पैरोडी और सटायर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत सुरक्षित है. लेकिन इसमें एक शर्त है- अगर ये मानहानि (Defamation) या सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने की वजह बनता है, तो अनुच्छेद 19(2) के तहत कार्रवाई हो सकती है.

क्या कुणाल कामरा के पास कोई कानूनी विकल्प है?
कुणाल कामरा YouTube को अपील कर सकते हैं कि उनका वीडियो "फेयर डीलिंग" के तहत आता है और इसे बहाल किया जाए. प्रीतम बताते हैं कई इसके अलावा, भारत में कॉपीराइट इन्फ्रिंजमेंट मामलों के लिए एक कॉपीराइट बोर्ड (Copyright Board) है, जहां वे अपना पक्ष रख सकते हैं. या फिर अगर कामरा चाहें, तो इस मामले को अदालत तक ले जा सकते हैं. लेकिन यह लंबी कानूनी लड़ाई होगी.


 

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