Common Man Rights: बिना कारण बताए गिरफ्तार नहीं कर सकती है पुलिस, जानें पुलिस के खिलाफ क्या हैं नागरिकों के अधिकार

आए दिन ऐसे मामले सामने आते हैं जब पुलिस ने अपनी पोस्ट का गलत फायदा उठाकर आम आदमी को परेशान करती है. लेकिन आम आदमी के पास कई अधिकार हैं, जिनका इस्तेमाल पुलिस के इस गलत व्यवहार के खिलाफ किया जा सकता है.

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निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 21 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 3:07 PM IST
  • किसी को भी मनमर्जी से गिरफ्तार नहीं कर सकती है पुलिस 
  • गिरफ्तार हुए व्यक्ति के परिवार को उसकी गिरफ्तारी की सूचना देना है जरूरी

भारत में पुलिस विभाग कानून और व्यवस्था को बनाए रखने और सार्वजनिक सुरक्षा के साथ-साथ इसकी प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए जिम्मेदार है. भारत की प्रस्तावना स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है. चाहे वह आम आदमी हो या कोई पुलिस अधिकारी. लेकिन कई बार पुलिस अपनी पोस्ट और रुतबे का गलत फायदा उठाती नजर आती है.  

कई बार पुलिसवाले आम इंसान को परेशान करते हैं तो कई बार उनकी शिकायत दर्ज करने के लिए पैसे भी मांगते हैं. हालांकि, पुलिस से किसी भी समाज के सबसे सुलभ, संवादात्मक और गतिशील संगठन होने की उम्मीद की जाती है. लेकिन बहुत से पुलिस अधिकारी अपनी पॉजीशन का गलत इस्तेमाल कर बैठते हैं. लेकिन कानून में ऐसे पुलिसवालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का भी प्रावधान है. 

अक्सर आम आदमी को अपने बहुत से अधिकारों के बारे में पता ही नहीं होता है. इसलिए उसके साथ गलत होता है. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं कि भारत के नागरिक होने के नाते आपके क्या अधिकार हैं. 

मनमर्जी से गिरफ्तार नहीं कर सकती है पुलिस 
कई बार पुलिस लोगों को बिना कारण गिरफ्तार करके थाने में बंद कर देती है. लेकिन यह गलत है क्योंकि पुलिस के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है. पुलिस को गिरफ्तारी के लिए पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनानी होती है. अगर ऐसा नहीं है तो यह गिरफ्तारी गैर-कानूनी मानी जाएगी और पुलिस पर कार्यवाई की जा सकती है. 

कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CRPC) यानी भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 50 (1) के मुताबिक यदि पुलिस किसी को गिरफ्तार करती है तो उसे कारण बताना होगा. अगर पुलिस के पास कोई कारण नहीं है तो पीड़ित व्यक्ति मौलिक अधिकार के उल्लंघन के लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकता है. 

पुलिस का यूनिफॉर्म में होना है जरूरी
अगर पुलिस आपको गिरफ्तार कर रही है तो उनका वर्दी में होना जरूरी है और सभी पुलिसवालों की नेमप्लेट पर नाम अच्छे से दिखना चाहिए. इसके अलावा, पुलिस को सीआरपीसी की धारा 41 (B) के अनुसार अरेस्ट मेमो बनाना होगा. इसमें पुलिस अधिकारी की रैंक के साथ ही गिरफ्तार करने का वक्त एवं पुलिस अफसर के अतिरिक्त प्रत्यक्षदर्शी के हस्ताक्षर होते हैं. साथ ही, गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से भी आवश्यक रूप से हस्ताक्षर लेने होते हैं. 

गिरफ्तारी की सूचना परिवार को देना है जरूरी
अगर किसी व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया है तो उस व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह इस संबंध में अपने परिवार को टेलीफोन अथवा पत्राचार के जरिये सूचना दे. अगर वह व्यक्ति ऐसी नहीं कर सकता है तो इस काम की जिम्मेदारी पुलिस की है. सीआरपीसी की धारा 50 (A) के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को यह अधिकार है. 

इसके अलावा, पुलिस को 24 घंटे से ज्यादा गिरफ्तार किए व्यक्ति को जेल में नहीं रख सकती है. अगर पुलिस ऐसा करना चाहती है तो उसे सीआरपीसी की धारा 56 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट को वजह बताकर, उनसे इजाजत लेनी होगी. साथ ही, पुलिस थाने में लाने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ गलत व्यवहार नहीं कर सकती है. और तो और हिरासत में लिए व्यक्ति की सुरक्षा और स्वास्थ्य का जिम्मा पुलिस का होता है. 

पुलिस थाने से जमानत का अधिकार
अगर व्यक्ति का अपराध जमानती की श्रेणी में आता है तो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 486 के तहत पुलिस थाने से भी जमानत दी जा सकती है. इसके अलावा, सीआरपीसी की धारा 41 (D) के अनुसार गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को अपने वकील से कभी भी मिलने की इजाजत होती है. अपने वकील के साथ-साथ अपने परिजनों से बात करने का अधिकार उस व्यक्ति को है. 

सबसे अच्छी बात यह है कि अगर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है एवं उसके पास अपनी कानूनी लड़ाई लड़ने को पैसे नहीं हैं तो उसे मुफ्त कानूनी मदद दी जाती है. उसका पक्ष रखने के लिए मुफ्त में वकील उपलब्ध कराया जाता है. 

महिलाओं को है ये विशेषाधिकार
सीआरपीसी की धारा 46 के अनुसार महिला को केवल महिला पुलिसकर्मी ही गिरफ्तार कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, थानों में पुलिस पूछताछ के दौरान आने वाली महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार या गलत भाषा का प्रयोगनहीं कर सकती. एक विशेष प्रावधान यह भी है कि रेप पीड़िता की रिपोर्ट महिला पुलिसकर्मी ही लिखेगी एवं पूछताछ भी उसी के माध्यम से की जाएगी. यदि ऐसा न हो तो पूछताछ के समय महिला पुलिसकर्मी का मौजूद रहना अनिवार्य है. 

सीआरपीसी 1973 की धारा 46 (4) में यह साफ किया गया है कि सूर्यास्त के पश्चात एवं सूर्योदय से पहले किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. 

(Disclaimer: यह लेख पहले से उपलब्ध जानकारी के आधार पर लिखा गया है. अगर आप इस बारे में और अधिक जानकारी चाहते हैं तो किसी लीगल एक्सपर्ट या वकील से संपर्क करें.)

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