Amul-Nandini Controversy: तमिलनाडु में दही विवाद के बाद, अब कर्नाटक में दूध पर जंग, जानें आखिर क्या है अमूल Vs नंदिनी मामला

Karnataka में 10 मई को विधानसभा चुनाव होने वाला है. इसे लेकर सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के बीच सियासी लड़ाई जारी है. इसी बीच अब दोनों पार्टियों के बीच अमूल और नंदिनी दूध के दो बड़े ब्रांडों को लेकर वाकयुद्ध छिड़ गया है.

अमूल और नंदिनी ब्रांड के दूध (फाइल फोटो)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 5:46 PM IST
  • कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर अमूल कंपनी की मदद करने के लगाए आरोप
  • कर्नाटक के सीएम बोले- विपक्ष बेवजह इस मुद्दे का कर रहा राजनीतिकरण

तमिलनाडु में दही विवाद के बाद अब कर्नाटक में दूध पर जंग छिड़ गई है. दूध के दो ब्रांड अमूल मिल्क और नंदिनी आमने-सामने आ गए हैं. इससे चुनाव से पहले कर्नाटक राज्य में सियासी पारा चढ़ गया है. सोशल मीडिया से लेकर हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है. आइए जानते हैं क्या है अमूल Vs नंदिनी विवाद.

कुछ समय पहले ही अमूल ने की है एंट्री
कर्नाटक में अमूल ने कुछ समय पहले ही एंट्री की है. इसका विरोध कांग्रेस कर रही है. कांग्रेस के नेता इसे बीजेपी की साजिश बता रहे हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने गुजरात की अमूल कंपनी का विरोध करते हुए दावा किया है कि यह स्थानीय ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश है. उनका कहना है कि किसानों की मदद के नाम पर बीजेपी सरकार अमूल कंपनी की मदद कर रही है.  कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने एक दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्य में नंदिनी ब्रांड को बंद कराना चाहते हैं. यह राज्य पर अमूल ब्रांड को थोपने की साजिश है. नंदिनी कर्नाटक के किसानों की लाइफलाइन है और इसे बचाने के लिये मैं सभी से अपील करता हूं कि वो अमूल के उत्पादों का बहिष्कार करें.

गृहमंत्री अमित शाह ने डेयरी के किया था उद्घाटन 
30 दिसंबर 2022 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कर्नाटक के मांड्या जिले में 260 करोड़ की लागत से बनी एक डेयरी का उद्घाटन करने पहुंचे थे. जहां पर जानकारी दी गई कि यह डेयरी प्रति दिन 10 लाख लीटर दूध प्रोसेस करेगी, जिसे बढ़ाकर 14 लाख लीटर प्रतिदिन कर दिया जाएगा. इस उद्घाटन समारोह के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा था कि अमूल और नंदिनी मिलकर कर्नाटक के हर गांव में प्राइमरी डेयरी स्थापित करने की दिशा में काम करेंगे और 3 साल के अंदर कोई भी ऐसा गांव नहीं बचेगा जहां पर प्राइमरी डेयर न हो. इसके बाद से ही प्रदेश में बीजेपी पर नंदिनी ब्रांड को खत्म करने के आरोप लगने लगे हैं. इसके बाद 5 अप्रैल 2023 को अमूल ने एक ट्वीट किया और लिखा कि वो बेंगलुरु में दूध और दही उत्पादों की आपूर्ति करेगा. इस ऐलान के बाद बीजेपी पर कांग्रेस और हमलावर हो गई. इस विवाद में अन्य सियासी दलों की भी एंट्री हो गई. सोशल मीडिया पर बायकॉट अमूल, गो बैक अमूल जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे.

जानें सरकार ने क्या कहा
इस मुद्दे पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कहा है कि विपक्ष बेवजह इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहा है. असल में हम नंदिनी को देश का नंबर वन ब्रांड बनाने के लिए अमूल से भी ज्यादा प्रतिस्पर्धी बना रहे हैं. इसे लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है. कर्नाटक के हेल्थ मिनिस्टर के. सुधाकर ने इस मुद्दे पर कहा कि हमारे राज्य में लंबे समय से नंदिनी के अलावा करीब 18 ब्रांड बेचे जा रहे हैं, पर किसी को किसी से नुकसान नहीं हुआ है. कांग्रेस जबरदस्ती अमूल दूध और बाकी प्रॉडक्ट्स के किलाफ अभियान शुरू करना चाहती है. 

तमिलनाडु में किस बात पर हुआ था विवाद
कर्नाटक से पहले तमिलनाडु में दही पर विवाद हो चुका है. दरअसल कन्नड़ भाषा में दही को मोसारू और तमिल में तयिअर कहा जाता है लेकिन भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने दक्षिण भारत में दही बनाने वाली सहकारी संस्थाओं को आदेश दिया था कि वो पैकेट पर दही ही लिखेंगे जो कि हिंदी भाषा का शब्द है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे राज्य पर हिंदी थोपने की साजिश करार देते हुए विरोध जताया था. विवाद बढ़ने पर FSSAI ने आदेश वापस लेते हुए स्थानीय भाषा का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी थी.


 

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