पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत विजन पर राहुल ने उठाया सवाल, चीन में बनी है ‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’... जानें पूरा मामला

‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ चीन के एरोसन कॉर्पोरेशन द्वारा बनाई गई थी. रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रतिमा चीन में बनाई गई थी जबकि इसे भारत में असेंबल किया गया था. केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने स्पष्ट किया कि सरकार प्रतिमा बनाने में शामिल नहीं थी. यह एक पूरी तरह से निजी पहल थी, जिसकी कल्पना 8 साल पहले की गई थी.

Statue of Equality - Idol of Ramanujacharya
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:55 PM IST
  • क्या कहते हैं रिपोर्ट 
  • 2015 में चीन के एरोसन कॉर्पोरेशन को दिया गया था टेंडर 
  • 1,000 करोड़ रुपए की है पूरी परियोजना

हाल ही में हैदराबाद के एक मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन की गई रामानुजाचार्य की 216 फीट की मूर्ति, स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी को लेकर विवाद छिड़ गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को दावा किया कि प्रतिमा चीन में बनी है. उन्होंने पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत विजन पर सवाल उठाया है और इसकी आलोचना की है. केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस आरोप की निंदा की और कहा कि राहुल गांधी का आरोप झूठा और बेबुनियाद है.

क्या कहते हैं रिपोर्ट 

‘स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी’ चीन के एरोसन कॉर्पोरेशन द्वारा बनाई गई थी. रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रतिमा चीन में बनाई गई थी जबकि इसे भारत में असेंबल किया गया था. केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने स्पष्ट किया कि सरकार प्रतिमा बनाने में शामिल नहीं थी. यह एक पूरी तरह से निजी पहल थी, जिसकी कल्पना 8 साल पहले की गई थी. किशन रेड्डी ने यह भी कहा कि इस परियोजना की कल्पना पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान से पहले की गई थी.

2015 में चीन के एरोसन कॉर्पोरेशन को दिया गया था टेंडर 

पीएम मोदी के पहली बार सत्ता में आने के एक साल बाद 2015 में चीन के एरोसन कॉर्पोरेशन को टेंडर दिया गया था. बोली लगाने की दौड़ में एक भारतीय कंपनी थी, लेकिन चीनी कंपनी ने टेंडर जीत लिया. प्रतिमा की स्थापना भारत में लगभग 15 महीने तक चली. मूर्ति को शमशाबाद में हैदराबाद हवाई अड्डे के पास एक मंदिर समता केंद्र के अंदर खड़ा किया गया था. 

1,000 करोड़ रुपए की है पूरी परियोजना

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आध्यात्मिक केंद्र उद्योगपति जुपल्ली रामेश्वर राव द्वारा दान की गई 45 एकड़ भूमि पर बनाया गया है. ये भी कहा गया है कि इस परियोजना की कल्पना चिन्ना जीयर स्वामी ने की थी. पैसों के बारे में कहा गया कि परियोजना के लिए निधि दान के माध्यम से जुटाई गई है. प्रतिमा के लिए ₹135 करोड़ खर्च किए गए, जबकि पूरी परियोजना की लागत ₹1,000 करोड़ की है.


 

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