यूरोप में कोविड -19 के बढ़ते मामलों के कारण अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों की मांग में गिरावट दर्ज की गई है. इस वजह से ग्लोबल स्तर पर कच्चे तेल की कीमत लगभग 3 फीसदी गिरकर 78.89 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई है. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से देश में पेट्रोल और डीजल के भाव में भी कमी आने की संभावना है. नाम न छापने के अनुरोध पर उन्होंने बताया कि ब्रेंट 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे फिसल गया है, जो 1 अक्टूबर के बाद से सबसे कम है. इस वजह से भारत में पेट्रोल और डीजल की दरों में और कमी देखने को मिल सकती है.
एक रुपये प्रति लीटर तक की कटौती
एक व्यक्ति ने बताया, "राज्य द्वारा संचालित तेल कंपनियों ने ऑटोमोबाइल ईंधन पर कुछ छोटे लाभ कमाए हैं, लेकिन उन्होंने उपभोक्ता को लाभ देने से पहले कुछ समय के लिए वैश्विक तेल बाजारों में गिरावट की प्रवृत्ति को देखना चाहते थे. इससे पहले ईंधन की दरों में तेजी से गिरावट देखने के बाद अचानक से स्पाइक देखा गया था. हालांकि उन्होंने कहा कि तत्काल कीमतों में कटौती 1 रुपये प्रति लीटर तक हो सकती है, जोकि काफी छोटी होगी.
भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें 4 नवंबर से वहीं जमी हुई हैं. केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय लेवी को 5 रुपये और 10 रुपये प्रति लीटर कम कर दिया था. दिल्ली में पेट्रोल की कीमत पिछले 18 दिनों से 103.97 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 86.67 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर हैं.
अब तक 26 रुपये प्रति लीटर से अधिक की वृद्धि
वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें जो पिछले एक महीने में कई मौकों पर 85 डॉलर प्रति बैरल के तीन साल के उच्च स्तर को छू चुकी हैं, अब नरम होकर 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई हैं. अमेरिकी इन्वेंट्री में वृद्धि ने कच्चे तेल की कीमतों को नीचे धकेल दिया है. हालांकि OPEC+ (OPEC और रूस सहित उसके सहयोगी) के दिसंबर में उत्पादन में वृद्धि के निर्णय के बाद से कच्चे तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं. इससे तेल कंपनियों पर फिर से ईंधन की कीमतों में संशोधन करने का दबाव बनेगा. 1 जनवरी, 2021 से कीमतों में 26 रुपये प्रति लीटर से अधिक की वृद्धि हुई है.
केंद्र द्वारा 3 नवंबर को उत्पाद शुल्क में की गई कटौती कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से इस तरह की पहली कोशिश थी. दरअसल, कोविड राहत उपायों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने पिछले साल मार्च और फिर मई में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में तेजी से संशोधन किया था.