चक्रवाती तूफान 'दाना' (Cyclone Dana) को देखते हुए बंगाल और उड़ीसा में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, चक्रवाती तूफान 'दाना' बंगाल की खाड़ी में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. मौसम विभाग की मानें, तो 24 अक्टूबर की रात से 25 अक्टूबर की सुबह के बीच तूफान बंगाल के सागर द्वीप और उड़ीसा के पुरी के बीच से गुजरने वाला है.
ओडिशा और पश्चिम बंगाल दोनों राज्यों ने इसके प्रभाव से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है. कहा जा रहा है कि 'दाना' की हवाओं की गति 110 किमी/घंटा तक और कुछ स्थानों पर 120 किमी/घंटा की झोंके वाली हवाएं हो सकती हैं. इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, ओडिशा सरकार ने एहतियाती कदम उठाए हैं जैसे कि स्कूलों को बंद करना और मछुआरों को समुद्र से दूर रहने की सलाह देना.
लेकिन चक्रवात 'दाना' क्या है और इसे यह नाम कैसे मिला?
तूफानों के नामकरण कब से होने लगा?
तूफानों का नामकरण अभी से ही शुरू नहीं हुआ है, बल्कि इसका इतिहास काफी पुराना है. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और तूफानों के नामकरण की प्रक्रिया समय के साथ बदलती गई. चक्रवात को नाम देने के पीछे कई वजह हैं, जैसे- समझने में आसानी, रिकॉर्ड रखने के लिए, जनता की जागरूकता के लिए आदि.
शुरुआत में, तूफानों को आधिकारिक नाम नहीं दिए जाते थे, बल्कि उनकी जगह, घटना की तारीख या किसी विशेषता के हिसाब से उनका नामकरण कर दिया जाता था. उदाहरण के लिए, तूफानों को अक्सर "1900 का गैलवेस्टन तूफान" (The Galveston Hurricane of 1900) या "1780 का ग्रेट तूफान" (The Great Hurricane of 1780) के रूप में जाना जाता था. हालांकि, इस तरीके से अक्सर भ्रम हो जाता था, खासकर ऐसे मौकों में जब एक ही मौसम में एक ही क्षेत्र में एक से ज्यादा तूफान आते थे.
19वीं सदी के आखिर में, एक ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञानी क्लेमेंट व्राग ने उष्णकटिबंधीय तूफानों को नाम देना शुरू किया. लेकिन उनका तरीका कुछ हद तक मनमाना था. उन्होंने उन राजनीतिज्ञों के नाम का उपयोग किया, जिन्हें वह पसंद नहीं करते थे. हालांकि, उनके समय के बाद इसे प्रथा को जारी नहीं रखा गया.
तूफान का आधिकारिक नामकरण
तूफानों के नामकरण की औपचारिक प्रक्रिया दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) के दौरान शुरू हुई. अमेरिकी सेना के वायुसेना और नौसेना के मौसम वैज्ञानिक, जो प्रशांत क्षेत्र में तूफानों की निगरानी करते थे, ने पाया कि नाम देने से इसको समझने में काफी आसानी होती है.
1950 के दशक में अमेरिकी राष्ट्रीय मौसम सेवा (U.S. National Weather Service) ने अटलांटिक में बनने वाले तूफानों को आधिकारिक रूप से नाम देना शुरू किया. शुरुआत में, सभी नाम महिलाओं के थे, लेकिन 1979 में यह बदल गया जब पुरुष नामों को महिलाओं के नामों के साथ वैकल्पिक रूप से जोड़ा गया. आज, चक्रवातों और तूफानों के नामकरण की प्रक्रिया इंटरनेशनल बॉडीज जैसे कि विश्व मौसम संगठन (WMO) द्वारा संचालित की जाती है.
चक्रवातों का नामकरण कैसे होता है?
चक्रवातों का नामकरण एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सख्त दिशानिर्देशों के तहत होता है. उष्णकटिबंधीय तूफानों और चक्रवातों के नाम Regional meteorological organizations द्वारा बनाए गई लिस्ट के आधार पर रखे जाते हैं, फिर इन लिस्ट को विश्व मौसम संगठन (WMO) मंजूरी देता है. ये लिस्ट अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों के अनुसार होती है.
चक्रवातों के नामकरण के लिए पांच रीजनल बॉडीज हैं:
1. ESCAP/WMO टाइफून समिति (पश्चिमी प्रशांत के लिए)
2. WMO/ESCAP पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन्स (उत्तरी हिंद महासागर के लिए)
3. RA I ट्रॉपिकल साइक्लोन समिति (दक्षिणी हिंद महासागर के लिए)
4. RA IV हरिकेन समिति (अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत के लिए)
5. RA V ट्रॉपिकल साइक्लोन समिति (दक्षिणी प्रशांत के लिए)
उत्तरी हिंद महासागर, जिसमें बंगाल की खाड़ी और अरब सागर शामिल हैं, में चक्रवातों का नामकरण एक पैटर्न के अनुसार होता है. WMO का पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन्स 13 देशों से बना है: बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और यमन. हर देश नामों की लिस्ट जमा करता है, जिन्हें फिर उपयोग किया जाता है. जब कोई चक्रवात आता है, तो उस लिस्ट से अगला नाम उसे दिया जाता है.
चक्रवात 'दाना' को उसका नाम कैसे मिला?
चक्रवात 'दाना' हाल ही में बंगाल की खाड़ी में बनने वाला चक्रवात है, और इसका नाम कतर ने प्रस्तावित किया था. 'दाना' का अरबी में मतलब है "उदारता". WMO द्वारा निर्धारित जो गाइडलाइन है उसके अनुसार, उत्तरी हिंद महासागर के चक्रवातों के नामकरण की प्रक्रिया में शामिल 13 देशों ने पहले से जो नाम जमा किए थे, उनके हिसाब से इसे चुना गया है.
तूफानों को नाम क्यों दिया जाता है?
तूफानों के नामकरण से कई फायदे होते हैं. जब कई चक्रवात या तूफान एक ही समय में आते हैं, तो सबको अलग-अलग नाम देकर समझने में आसानी हो सकती है. उदाहरण के लिए, मौसम विज्ञानी, मीडिया आउटलेट और जनता आसानी से चक्रवात 'दाना' और किसी दूसरे तूफान के बीच फर्क कर सकते हैं. इसके अलावा, अगर किसी चक्रवात का नाम हो तो तूफान को आसानी से याद रखा जा सकता है.
हालांकि, चक्रवातों का नामकरण की पहले से निर्धारित प्रक्रिया नहीं होती. लेकिन इसके लिए कुछ मापदंडों होते हैं. जैसे नाम छोटा होना चाहिए, आसानी से उच्चारण हो सके और अलग-अलग भाषाओं में इसे समझा जा सके.
इसके अलावा, एक बार किसी चक्रवात को नाम दे दिया जाता है, तो उसे उसी क्षेत्र में दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. खासकर जब वह तूफान ज्यादा विनाशकारी होता है, तो उस नाम को हमेशा के लिए हटा दिया जाता है. उदाहरण के लिए, 2005 के 'हरिकेन कटरीना' का नाम कभी फिर से उपयोग नहीं किया गया.