रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत-रूस के बीच 21वीं शिखर वार्ता के लिए 6 दिसंबर को भारत आएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र से उनकी मुलाकात होगी. इस मुलाकात में कई सैन्य समझौते होंगे. हाल के सालों में भारत के चीन से बिगड़ते संबंध और अमेरिका से बढ़ती नजदीकी को देखते हुए इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है. राष्ट्रपति पुतिन की इस यात्रा से उन कयासों पर भी विराम लगेगा, जिसमें कहा जा रहा था कि भारत अमेरिका की बढ़ती निकटता, क्वाड की सदस्यता, चीन के साथ बढ़ते तनाव के कारण भारत-रूस के द्विपक्षीय संबंध बिगड़ रहे हैं.
इस साल यह पुतिन की दूसरी विदेशी यात्रा होगी. वहीं ऐसा भी माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'मेक इन इंडिया' का जो अभियान चलाया है, पुतिन की यात्रा से उसमें भी पंख लगेंगे. भारत ने अमेरिका, चीन और रूस के साथ एक पृथक नीति (de-hyphenated policy) अपनाई है. भारत ने यह दिखाया है कि वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ अपने परखे हुए साझीदार रूस से भी कूटनीतिक सम्बन्धों को मजबूत करने के लिए तैयार है.
कई मुद्दों पर एक साथ काम करेगें रूस और भारत
क्षेत्रीय और वैश्विक कूटनीति,रक्षा सहयोग, सुरक्षा मुद्दों पर एक साथ काम करने,आतंकवाद का मुकाबला और ऊर्जा जैसे कई क्षेत्र हैं, जहां दोनों देश एक साथ काम करने के लिए तैयार हैं. अब तक भारत ने अपने तीन क्वाड पार्टनर देशों-ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ 2+2 डायलॉग फॉर्मेट की शुरुआत की है. शिखर सम्मेलन से पहले ही भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की रूस से आपूर्ति शुरू हो चुकी है. यह लंबी दूरी तक दुश्मन के लड़ाकू विमानों और क्रूज मिसाइलों को निशाना बनाने की हमारी सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देगा. भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी करते हुए 2018 में 5 एस-400 बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली के लिए अनुबंध किया था. अमेरिका इस अनुबंध पर भारत के खिलाफ प्रतिबंध लागू करना चाहता था लेकिन मोदी सरकार ने वर्तमान अमेरिकी प्रशासन को अपनी सुरक्षा चिंताओं से वाकिफ करवाकर इस मुद्दे को काफी हद तक सुलझा लिया है. चीन के पास यह रक्षा प्रणाली पहले से ही मौजूद है और उसने तिब्बत में तैनात किया है. इससे भारत को बड़ा खतरा है.
भारत ने की थी अमेरिकी प्रतिबंधो की अनदेखी
अब तक भारत ने अपने तीन क्वाड पार्टनर देशों-ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ 2+2 डायलॉग फॉर्मेट की शुरुआत की है. शिखर सम्मेलन से पहले ही भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की रूस से आपूर्ति शुरू हो चुकी है. यह लंबी दूरी तक दुश्मन के लड़ाकू विमानों और क्रूज मिसाइलों को निशाना बनाने की हमारी सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देगा. भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी करते हुए 2018 में 5 एस-400 बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली के लिए अनुबंध किया था. अमेरिका इस अनुबंध पर भारत के खिलाफ प्रतिबंध लागू करना चाहता था लेकिन मोदी सरकार ने वर्तमान अमेरिकी प्रशासन को अपनी सुरक्षा चिंताओं से वाकिफ करवाकर इस मुद्दे को काफी हद तक सुलझा लिया है.
पुतिन की यात्रा से यूपी के विकास का साफ होगा रास्ता
अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाने से लेकर, जिसमें अल्पसंख्यकों, महिलाओं वगैरह के अधिकारों का सम्मान हो. इन मुद्दों के साथ ही पुतिन की भारत यात्रा के दौरान निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने पर चर्चा होगी. 2021 में भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार 8.1 अरब डॉलर तक पहुंचा है, जिसे और भी बढ़ाने पर विचार होगा. रूस 'मेक इन इंडिया' के तहत रक्षा क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा भागीदार है. उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना में नेक्स्ट जनरेशन ब्रह्मोस और अन्य मिसाइलों का निर्माण आधुनिक प्रोडक्शन फैसेलिटी में किया जाएगा.
स्वदेशीकरण पर होगा जोर
यही नहीं 4 प्रॉजेक्ट, 1135.6 फ्रिगेट का निर्माण और सह-उत्पादन, 100 प्रतिशत स्वदेशीकरण के माध्यम से दुनिया की सबसे उन्नत असॉल्ट राइफल एके-203 का भारत में निर्माण, एसयू-30 एमकेआई और मिग-29 एस लड़ाकू विमानों की अतिरिक्त आपूर्ति, गोला बारूद और वीएसएचओआरएडी प्रणाली की अतिरिक्त आपूर्ति भी दोनों देशों के अजेंडे में है. एके-203 राइफल का उत्तर प्रदेश के राजनीतिक रूप से संवेदनशील अमेठी जिले में निर्माण किया जाना है. इससे वहां स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलेगा. यह पूरा सौदा 5,124 करोड़ रुपये का है. दोनों देशों ने तेल, प्राकृतिक गैस, ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल्स के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया है, जिसे और मजबूत करने की जरूरत है.