Explainer: शादी की उम्र बढ़ने से कैसे बदलेगी देश की बेटियों की जिंदगी... क्या पढ़ने के भी बढ़ जाएंगे तीन साल ?

केंद्र सरकार के लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करने के फैसले से लड़का-लड़की के बीच भेद कम होगा और लड़कियों को बराबरी का दर्जा देगा. लड़कियों के पढ़ाई और करियर पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा.

सांकेतिक तस्वीर
तनुजा जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST
  • शादी के बाद छूट जाती है कई लड़कियों की पढ़ाई
  • हर तीन में से एक लड़की नहीं जाती स्कूल

लड़कियों की शादी की उम्र के साथ अब उनके पढ़ने के लिए तीन साल का समय भी और बढ़ गया है. हालांकि, भारत के बड़े शहरों में पहले ही लड़कियों की पढ़ाई और करियर को लेकर सोच काफी बदल गई है लेकिन, कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां लड़कियों की शादी 18 साल में हो जाती है और पढ़ाई रोक दी जाती है. ऐसे में केंद्र सरकार का लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल करना समाज सुधार से जुड़ा एक बड़ा कदम है. आइए समझते हैं कि शादी की उम्र बढ़ने का असर लड़कियों की पढ़ाई पर कैसे पड़ेगा. 

केंद्र सरकार का यह कदम लड़का-लड़की के भेद को कम करेगा और उन्हें बराबरी का दर्जा देगा. कई ऐसे ग्रामीण इलाकें हैं जहां 15 से 17 साल की उम्र तक 16 फीसदी से ज्यादा लड़कियों की पढ़ाई छूट जाती है. उनसे पढ़ने का अधिकार छीन लिया जाता है. कई माता-पिता शादी होने से पहले तक लड़कियों को पढ़ाने के बाद यह फैसला लड़की के पति पर छोड़ देते हैं और लड़कियों की पढ़ाई शादी के बाद पूरी नहीं हो पाती. ऐेसे में शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले का सीधा असर उनकी पढ़ाई पर भी पड़ेगा. 

'फैसले लेने के लिए मजबूत होंगी महिलाएं'

गुड न्यूज टुडे से बात करते हुए उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ज्योति शाह मिश्रा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसका पूरी तरह समर्थन किया. उनका कहना है कि महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने से उनको अपनी पढ़ाई पूरी करने का मौका मिलेगा. शादी के बाद वह अपने फैसले लेने के लिए मजबूत होंगी और अपने बच्चों को भी अच्छी शिक्षा दे सकेंगी. 

'ग्रेजुएशन-प्रोफेशनल कोर्स करने का मौका'

एमबीपीजी में समाजशास्त्र की प्रोफसर डॉ. स्निग्धा रावत का कहना है कि लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर सरकार ने उन्हें और मजबूत बनाने का काम किया है. उनके लिए शिक्षा की राह अब और आसान हो सकेगी. उन्हें ग्रेजुएशन या कोई प्रोफेशनल कोर्स करने का समय मिल सकेगा. उनका कहना है कि महिलाओं का पढ़ा-लिखा होना हमारे समाज के लिए जरूरी है, जिससे वह अपने कदमों में खड़ी हो सकें और सशक्त बनें. हालांकि, उनका कहना है कि अब कई हद तक माता-पिता की सोच में बदलाव आया है और वह लड़कियों की पढ़ाई पर ध्यान दे रहे हैं. 

शादी के लिए 21 साल उम्र होना क्यों जरूरी ? 

स्त्री-पुरूष के लिए शादी की उम्र अलग-अलग क्यों है इसके पीछे कोई कारण नहीं था. लॉ कमीशन कहता है कि लड़के और लड़की की शादी की न्यूनतम आयु बराबर होनी चाहिए, ताकि वैवाहिक जीवन के निर्णयों में दोनों की भागीदारी बराबर हो. 18 साल की उम्र में शादी करने से लड़कियों को कई बार प्रेगनेंसी में समस्याएं होती हैं, उम्र के इस पड़ाव में लड़की अपने फैसले भी नहीं ले पाती, मातृ मृत्यु दर बढ़ने की आशंका रहती है और इसका सीधा असर लड़कियों की पढ़ाई पर भी पड़ता है.

हर तीन में से एक लड़की नहीं जाती स्कूल - UNICEF

आंकड़ों के अनुसार कक्षा 1 से 5वीं तक सिर्फ 1.2 फीसदी लड़कियां स्कूल छोड़ती हैं. कक्षा 6 से 8वीं तक 2.6 फीसदी और 9वीं से 10 में स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या 15.1 फीसदी है. यूनीसेफ (UNICEF) के मुताबिक दुनिया भर में गरीब घरों की हर तीन लड़कियों (10 से 19 साल) में से एक लड़की को स्कूल जाने का मौका नहीं मिल पाता है. जेंडर आधारित भेदभाव और गरीबी दो ऐसे मुख्य कारण हैं जो आज भी लड़कियों को शिक्षा हासिल करने से रोकती हैं.

दुनिया में हर दिन होते हैं 33 हजार बाल विवाह 

यूएनएफपीए (UNFPA)की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में बालविवाह पर प्रतिबंध है. इसके बाद भी हर दिन दुनिया भर में 33 हजार बच्चियों का बाल विवाह कर दिया जाता है. दुनिया में 650 मिलियन लड़कियां या महिलाएं ऐसी हैं, जिनकी शादी बचपन में ही कर दी गई थी. 

उत्तराखंड के नैनीताल में रहने वाली एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनकी शादी सन 2007 में कर दी गई थी, जब वह केवल 16 साल की थीं. 17 साल में उनका बच्चा हो गया. उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. शादी के बाद उन्हें पढ़ने नहीं दिया गया. वहीं, जल्दी बच्चा करने के कारण प्रेगनेंसी के दौरान उन्हें कई दिक्कतें हुईं. इसके साथ ही उन्होंने शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले की भी सराहना की. 

शादी का पढ़ाई से कैसे है संबंध 

इंडियन सोसाइटी में शादी एक बड़ा फैसला माना जाता है और इसका पढ़ाई पर सीधा असर पड़ता है. लड़की के परिवार वाले उसकी पढ़ाई के फैसले के लिए ससुराल पक्ष पर निर्भर हो जाते हैं. कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां शादी के बाद लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता. उनपर परिवार की जिम्मेदारियां आ जाती हैं. ऐसे में उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद लड़कियों के पढ़ने के भी तीन साल बढ़ जाएंगे. 

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