Amartya Sen Birthday: 18 साल की उम्र में कैंसर को दी मात, बने नोबेल जीतने वाले विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री

1998 में, उन्हें अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में उनके कल्याणकारी अर्थशास्त्र में  थिओरिटिकल, फील्ड, नैतिकता के काम के लिए और सोशल-चॉइस थ्योरी, गरीबी और कल्याण के माप की समझ को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक विज्ञान में पुरस्कार दिया गया. अपने 65 साल के करियर में, सेन के शोध और विचारों ने कई क्षेत्रों को छुआ है.

Amartya Sen
अंजनी
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 12:13 PM IST
  • रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया नाम 
  • 18 साल की उम्र में कैंसर से जीते 
  •  बांग्लादेश की मानद नागरिकता से सम्मानित
  • हो चुकी हैं तीन शादियां 
  • ‘मॉडर्न सोशल चॉइस थ्योरी’ के संस्थापक
  • 1998 में मिला नोबेल पुरस्कार 

'मैंने कभी ऐसा काम नहीं किया जिसमें मेरी दिलचस्पी नहीं थी. यह आगे बढ़ने का एक बहुत अच्छा कारण है.' यह कहना है, नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का. 3 नवंबर 1933 को मानिकगंज (अब बांग्लादेश में) में जन्मे, भारतीय विद्वान ने वर्ष 1998 में कल्याणकारी अर्थशास्त्र में अपने काम के लिए प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार जीता. उन्होनें अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा भारत के बाहर बिताया, हालांकि उनका काम हमेशा भारत और अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की गरीबी और इसे दूर करने के तरीके पर केंद्रित रहा. 

रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया नाम 

अमर्त्य सेन के पिता, आशुतोष ढाका विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर थे और उनकी माँ, अमिता एक लेखिका थीं. जिन्होंने एक अन्य भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए कई नाटकों में भाग लिया. दिलचस्प बात यह है कि रवींद्रनाथ टैगोर ने ही अमर्त्य का नाम 'ओमोर्टो' रखा था, जिसका बंगाली में मतलब 'अमर' होता है.

18 साल की उम्र में कैंसर से जीते 

अमर्त्य सेन जब सिर्फ 18 साल के थे, मुंह के कैंसर से पीड़ित हो गए. उस वक़्त वो प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से ग्रेजुएशन कर रहे थे. उनका इलाज रेडिएशन से किया गया था. रेडिएशन की डोज़ ने उनका कैंसर तो ठीक कर दिया लेकिन उनके हार्ड पैलेट की हड्डियों को भी गला दिया. 1971 में, उन्हें बताया गया कि उन्हें दोबारा कैंसर हुआ है, जो सौभाग्य से गलत  निकला. 

 बांग्लादेश की मानद नागरिकता से सम्मानित

अमर्त्य सेन लैंगिक समानता के कट्टर समर्थक हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अपने पेपर लिखते समय ज्यादातर स्त्री सर्वनामों का इस्तेमाल किया. उन्होनें अपनी किताबों में 'she' और 'her' का प्रयोग 'he' और 'his' से कहीं अधिक किया. इसके अलावा वह एक नास्तिक भी हैं और ईश्वर में विश्वास नहीं रखते. सेन को बांग्लादेश की मानद नागरिकता से भी सम्मानित किया गया है क्योंकि उनके कल्याणकारी अर्थशास्त्र के सिद्धांत ने बांग्लादेश की सरकार को एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाने में मदद की.

हो चुकी हैं तीन शादियां 

अमर्त्य सेन ने तीन शादियां कीं. उनकी पहली शादी 1958 में प्रमुख लेखिका नबनीता देव से हुई जो 1975 तक चली. उन्होनें फिर 1978 में इटली की अर्थशास्त्री ईवा कोलोर्नी से शादी की, जिनकी 1985 में पेट के कैंसर से मृत्यु हो गई. वह वर्तमान में अंग्रेजी आर्थिक इतिहासकार, एम्मा रोथ्सचाइल्ड से विवाहित है, जो यूके के प्रसिद्ध रोथ्सचाइल्ड बैंकिंग परिवार की सदस्य भी है.

‘मॉडर्न सोशल चॉइस थ्योरी’ के संस्थापक

अपने 65 साल के करियर में, सेन के शोध और विचारों ने कई क्षेत्रों को छुआ है. उन्हें अपनी ऐतिहासिक 1970 की पुस्तक, "कलेक्टिव चॉइस एंड सोशल वेलफेयर" की वजह से ‘मॉडर्न सोशल चॉइस थ्योरी’ के संस्थापक के रूप में श्रेय दिया जाता है. इस पुस्तक ने 1950 के दशक की शुरुआत के दिवंगत हार्वर्ड अर्थशास्त्री केनेथ एरो के विचारों को लेकर वह तरीका ढूंढा जिससे विभिन्न व्यक्तियों की भलाई को सामाजिक कल्याण के उपाय में जोड़ा जा सके.

1998 में मिला नोबेल पुरस्कार 

वह फ्रांस के लीजन डी'होनूर (2012) और भारत के भारत रत्न (1999) के साथ-साथ पांच महाद्वीपों के संस्थानों से 100 से अधिक मानद उपाधियों सहित दुनिया भर में शीर्ष नागरिक सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं.1998 में, उन्हें अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में उनके कल्याणकारी अर्थशास्त्र में  थिओरिटिकल, फील्ड, नैतिकता के काम के लिए और सोशल-चॉइस थ्योरी, गरीबी और कल्याण के माप की समझ को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक विज्ञान में पुरस्कार दिया गया. अमर्त्य सेन ने 2000 में हार्वर्ड लॉ स्कूल से डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि प्राप्त की और वह वर्तमान में हार्वर्ड में सोसाइटी ऑफ फेलो में सीनियर फेलो हैं.


 

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