Delhi High Court का बड़ा बयान, बच्चे के जेंडर से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य पर जागरूकता जरूरी, महिला नहीं पुरुष है जिम्मेदार

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक दहेज के मामले में टिप्पणी करते हुए इस बात पर जोर दिया कि बच्चे के लिंग के लिए महिला नहीं पुरुष जिम्मेदार है और इस वैज्ञानिक तथ्य के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता होनी चाहिए.

Delhi High Court
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 18 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST

आज का जमाना डिजिटल जमाना है जहां हर छोटी-बड़ी सुविधा आपको सिर्फ एक क्लिक करने पर मिल जाती हैं. लेकिन इस एडवांस्ड जमाने में भी बहुत से ऐसे लोग हैं जिनका रहन-सहन भले ही अपडेटेड हो लेकिन सोच पिछड़ी हुई है. और इसी पिछड़ी सोच के कारण लोग लड़के-लड़की का फर्क करते हैं और तो और आज भी बहुत सी जगह बेटियों को बोझ माना जाता है. 

यह परंपरा हमारे समाज में इस तरह रची-बसी हुई है कि हाल ही में, एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट को कहना पड़ा कि समाज को यह शिक्षित करने की जरूरत है कि बच्चे का लिंग पत्नी नहीं पति के क्रोमोसॉम से तय होता है इसलिए बहुओं पर "अपने वंश-वृक्ष को सुरक्षित रखने" की इच्छा न थोपे और लड़की होने पर उन्हें ताने न दें. 

दहेज के मामले में सुनाया फैसला 
हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक दहेज हत्या के मामले में की. बताया जा रहा है कि महिला को उसके पति और ससुराल वाले सिर्फ इसलिए परेशान कर रहे थे क्योंकि शादी में वह उनके मन-मुताबिक दहेज नहीं लाई और फिर शादी के बाद उसने दो बेटियों को जन्म दिया. न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि दहेज की मांग करके महिलाओं को परेशान करने के ये मामले सामाजिक चिंता का कारण हैं. 

उच्च न्यायालय ने कहा कि यह बहुत ही परेशानी वाली बात है. जहां एक तरफ माता-पिता चाहते कि बेटी तो शादी के बाद सम्मान और प्यार मिले, वहीं, दूसरी तरफ ससुराल वाले उसे दहेज के प्रताड़ित करें. और यह आघात कई गुना बढ़ जाता है जब दहेज के लिए लगातार यातना और उत्पीड़न के कारण महिलाएं अपनी जान दे देती हैं. 

कोर्ट ने दिया विज्ञान का तर्क 
कोर्ट ने यह भी कहा कि सबसे ज्यादा शर्मनाक है बेटियों को जन्म देने के लिए महिला को यातना देना. यह बहुत ही गलत बात है कि इस मामले में लोग आनुवांशिक विज्ञान को नजरअंदाज कर देते हैं. जिसके अनुसार, जब बच्चा गर्भ धारण करता है तो अजन्मे बच्चे के लिंग का आनुवंशिक निर्धारण, X और Y क्रोमोसोम के संयोजन के आधार पर होता है, जिसमें महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम (XX) होते हैं और पुरुषों में एक एक्स क्रोमोसोम X और एक Y क्रोमोसोम (XY) होता है. 

बच्चे का लिंग इस बात पर निर्भर करता है कि पुरुष का कौन-सा क्रोमोसोम बच्चे में है. अगर पुरुष से X क्रोमोसोम जाता है तो लड़की और Y जाता है तो लड़का होता है. न्यायधीश शर्मा ने कहा कि अदालत को यह देखना होगा कि ऐसे लोगों को सही तरीके से शिक्षित किया जाए ताकि उन्हें समझ में आए कि बेटा या बेटी के लिए महिला नहीं पुरुष जिम्मेदार होते हैं. उच्च न्यायालय ने दहेज हत्या के एक मामले में पति को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की.


 

 

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