इंसाफ! ड्राइवर की विधवा को 5 लाख रुपए मुआवजा देने का Delhi High Court का आदेश, हादसे में पीड़ितों की मदद के दौरान गई थी जान

दिल्ली हाईकोर्ट ने सड़क हादसे में पीड़ितों की मदद करने के दौरान जान गंवाने वाले बस ड्राइवर की विधवा को 5 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे लोगों की मदद के लिए कानूनी सुरक्षा जरूरी है.

Delhi High Court
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:31 PM IST

हादसा पीड़ितों की मदद के दौरान जान गंवाने वाले बस ड्राइवर के परिवार को दिल्ली हाईकोर्ट में बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने ड्राइवर की विधवा को 5 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है. आपको बता दें कि बस ड्राइवर की मौत के बाद उसकी पत्नी को मुआवजा देने से ये कहकर इनकार कर दिया गया था कि उनकी मौत ड्यूटी के दौरान नहीं, बल्कि पीड़ितों की मदद के दौरान हुई थी. जस्टिस धर्मेश शर्मा की सिंगल बेंच ने पाया कि कानूनी सुरक्षा के अभाव में दयालु व्यक्तियों के लिए हादसा पीड़ितों की मदद करना असंभव हो जाएगा.

ड्राइवर की विधवा को मिला इंसाफ-
जस्टिस धर्मेश शर्मा की सिंगल बेंच ने विधवा को मुआवजा देने से इनकार करने के आदेश को रद्द कर दिया और मामले को कर्मचारी मुआवजा आयुक्त को भेजने का निर्देश दिया, जो दो महीने के भीतर दावेदार को भुगतान की जाने वाली मुआवजे की मात्रा का आंकलन करेगा.
 
EC कमिश्नर ने मुआवजा देने से किया था इनकार-
कोर्ट ने कर्मचारी मुआवजा आयुक्त के उस आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ईसी अधिनियम के प्रावधानों के तहत व्यक्ति की विधवा को मुआवजा देने से इनकार कर दिया गया था. इंटरनेशनल लेवल पर लागू गुड सेमेरिटन कानून पर विचारों का जिक्र करते हुए कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जो लोग परोपकार की भावना से दूसरे की मदद करते हैं, उनको कानूनी संरक्षण मिलना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस तरह कानूनी सुरक्षा के अभाव में दयालुता, अजनबियों के प्रति सहानुभूति जैसी चीजें छीन जाएगी. कोर्ट ने ये भी कहा कि जो अपनी उदारता के कारण संकट में फंसे किसी व्यक्ति की मदद करता है, पवित्र बाइबिल के मुताबिक वह अच्छा व्यक्ति था.

क्या था पूरा मामला-
विधवा महिला का पति ट्रक ड्राइवर था, जो नेशनल हाईवे पर एक हादसे में पीड़ित की मदद करने के लिए रूका था. लेकिन अपने ट्रक पर लौटते समय एक तेज रफ्तार गाड़ी ने उसे टक्कर मार दी और उसकी मौत हो गई. इसके बाद क्लेम कमिश्नर ने यह तर्क देते हुए मुआवजा देने से इनकार कर दिया था कि जो ड्राइवर ने किया, वो ड्यूटी का हिस्सा नहीं था. लेकिन अब हाईकोर्ट ने विधवा को मुआवजा देने का आदेश दिया है.

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