दिल्ली नगर निगम के चुनाव में अरविंद केजरीवाल का जादू चल गया है. आम आदमी पार्टी ने एमसीडी चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल किया है. बीजेपी पर केजरीवाल की छवि भारी पड़ी है. एमसीडी चुनाव के दौरान बीजेपी के मुद्दों को जनता ने नकार दिया और AAP के वादों पर भरोसा जताया है. आम आदमी पार्टी ने 133 सीटों पर जीत हासिल की है. जबकि एक सीट पर अभी भी पार्टी का उम्मीदवार आगे चल रहा है. उधर, बीजेपी ने 104 सीटों पर जीत का परचम लहराया है. इस बार एमसीडी चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटों पर जीत मिली है. 3 सीटें अन्य के खाते में गई है.
आम आदमी पार्टी का क्यों चला जादू-
एमसीडी चुनाव में जनता ने आम आदमी पार्टी के के वादों को समर्थन दिया है. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने AAP के नेताओं को निशाना बनाया था. उस दौरान मनीष सिसोदिया से लकेर सत्येंद्र जैन को निशाने पर लिया. लेकिन आम आदमी पार्टी के कूड़े के ढेर के सवाल पर बीजेपी बैकफुट पर नजर आई. एमसीडी में आखिर केजरीवाल का जादू क्यों चला? क्यों आम आदमी पार्टी बीजेपी पर भारी पड़ी? दिल्ली नगर निगम चुनाव में झाड़ू चलने की 5 बड़ी वजहों के बारे में बताते हैं.
केजरीवाल की छवि-
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की साफ छवि को बीजेपी तोड़ नहीं पाईॉ. बीजेपी ने कई बार AAP के नेताओं पर कठघरे में खड़ा किया. इस दौरान मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का मुद्दा उठाया गया. लेकिन इसके बावजूद केजरीवाल की छवि पर जनता का भरोसा बना रहा. केजरीवाल की छवि एक ऐसे नेता की है, जो अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, बिजली, पानी और मजदूरों के हक की बात करता है. जनता ने इस छवि से खुद का जुड़ाव महसूस किया. जिसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिला.
कूड़े पर AAP की घेराबंदी-
एमसीडी चुनाव प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी ने कूड़े का मुद्दा जोरशोर से उठाया. इस मुद्दे को चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया. बीजेपी इस मुद्दे से पार पाने का कोई भी तरीका नहीं निकाल पाई. बीजेपी सिर्फ मुद्दे से ध्यान भटकाती रही. AAP के तमाम नेता लगातार कूड़े का मुद्दा जनता के सामने रखते रहे और भरोसा दिलाते रहे कि अगर एमसीडी में AAP की जीत होती है तो कूड़े की समस्या से निजात दिलाएंगे. जबकि बीजेपी ने इस मुद्दे पर कोई खास फोकस नहीं किया.
एंटी-इंकम्बेंसी का फायदा-
बीजेपी पिछले 15 सालों से एमसीडी की सत्ता पर काबिज है. इस चुनाव में बीजेपी को एंटी-इंकम्बेंसी का खामियाजा भुगतना पड़ा. बीजेपी एंटी-इंकम्बेंसी के असर को खत्म नहीं कर पाई. जिसका फायदा आम आदमी पार्टी को हुआ. बीजेपी के 15 साल के शासन के दौरान कई बार करप्शन से लेकर साफ-सफाई के मुद्दे उठे. इन मुद्दों पर फोकस करने की बजाय बीजेपी के नेता केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को कोसने में लगे रहे. शायद जनता को ये बात पसंद नहीं आई. जिसका खामियाजा बीजेपी को चुनाव में भुगतना पड़ा.
सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति-
एमसीडी चुनाव में बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे को भी भुनाने की कोशिश की. बीजेपी ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को एंटी-हिंदू घोषित करने का अभियान चलाया. इस दौरान केजरीवाल पर निजी हमले किए गए. लेकिन आम आदमी पार्टी और केजरीवाल ने सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति के तहत बीजेपी के दांव को फेल कर दिया. आम आदमी पार्टी ने केजरीवाल सरकार की बुजुर्गों के लिए मुफ्त तीर्थयात्रा योजना के बारे में जनता को बताया. केजरीवाल ने अपनी चुनाव यात्रा के दौरान मंदिरों में गए और भारत माता की जय के नारे लगाए. दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने भारतीय करेंसी पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर लगाने की मांग की.
डबल इंजन की सरकार से विकास का भरोसा-
आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान इस बात पर जोर दिया कि डबल इंजन की सरकार रहेगी तो दिल्ली का विकास अच्छे से होगा. आम आदमी पार्टी का कहना था कि दिल्ली में AAP सरकार है और एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी जीत जाती है तो विकास कार्यों में तेजी आएगी. इस दौरान AAP नेताओं ने दिल्ली के स्कूल-कॉलेजों, अस्पतालों, सड़कों, सफाई का हवाला दिया और भरोसा दिलाया कि अगर एमसीडी में जीत मिलती है तो नगर निगम के इलाकों में भी साफ-सफाई होगी. अस्पतालों की हालत अच्छी हो जाएगी. जनता ने AAP के वादों पर भरोसा जताया और एमसीडी में बड़ी जीत दिलाई.
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