Weather Update: बारिश के बाद कोहरे की चपेट में दिल्ली-एनसीआर, भारत के साथ दुनिया भर में मौसम ने लिया रौद्र रूप

देश और दुनिया में अक्टूबर महीने ने नई चुनौतियां पेश कर दी हैं. देश में दशहरे के त्यौहार में शुरू हुआ बारिश का सिलसिला अभी तक थमा नहीं है. कई राज्यों में बाढ़ के हालत हैं. वहीं पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी से मौसम में सर्दी अभी से घुल गई है. राजधानी दिल्ली में आज सुबह धुंध ने सड़कों और घरों को घेर लिया.

बारिश के बाद कोहरे की चपेट में दिल्ली-एनसीआर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST
  • दुनिया भर में मौसम ने लिया रौद्र रूप 
  • मौसम ने बढ़ाई पर्यावरणविदों की चिंता

पूरे देश में बाढ़, बर्फ, बारिश और धुंध का माहौल है. सबसे पहले बात देश की राजधानी दिल्ली की. जहां मौसम ने अपना मिजाज बदल लिया. एनसीआर को भले ही बारिश से राहत मिल गई हो और यहां कोहरे ने कब्जा कर लिया हो. लेकिन देश के कई हिस्सों में मौसम के अलग-अलग रूप ने लोगों का इम्तिहान लेना बंद नहीं किया है. यूपी समेत कई राज्य बारिश और बाढ़ की बदहाली झेलने को मजबूर हैं. कई शहर ऐसे हैं जो अक्टूबर में रही मूसलाधार बारिश की वजह से तर हो चुके हैं. यहां नदियां उफान पर आने से कई गांवों में बाढ़ का संकट मंडराने लगा है.

वहीं राजस्थान में हुई बारिश ने कई शहरों को मुश्किल में डाल दिया. जिसकी वजह से नेताओं को यहां हवाई दौरे करने पड़ रहे हैं. उदयपुर जैसे शहर में बने डैम पानी से लबालब भरे हुए हैं. पानी की चादरें चल रही हैं, जिससे सैलानियों का जबरदस्त मनोरंजन हो रहा है.

दुनिया भर में मौसम ने लिया रौद्र रूप 
मौसम का रौद्र रूप सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी देखने को मिल रहा है. सैलानियों के पसंदीदा मुल्कों में से एक थाईलैंड में भी बाढ़ के कहर ने शहरों की सूरत बदल कर रख दी है. यहां सड़कों पर गाड़ियों की बजाय नाव चलाते हुए देखा जा सकता है. राहत और मदद के काम यहां तेज कर दिए गए हैं.

वेनेजुएला जैसे मुल्क तो बाढ़ के चपेट में आकर उजड़ गए हैं. यहां बाढ़ की त्रासदी के बाद का मंजर कुछ इस तरह का हो गया है कि. इंसान नजर नहीं आ रहे हैं. सिर्फ बर्बादी के निशान देखने को मिल रहे हैं. आलम ये है कि बिल्डिंग वीरान नजर आ रही है. गलियों से लेकर सड़कों तक बाढ़ के साथ बह कर आया मलबा दिखाई दे रहा है. 

मौसम ने बढ़ाई पर्यावरणविदों की चिंता
अक्टूबर में जिस तरह कुदरत का कोप लोगों को झेलना पड़ रहा है. उसने पर्यावरणविदों की चिंताओं और उनके सवालों को एक बार फिर सही साबित किया है और इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अब भी हम कुदरत के मिजाज को समझने के लिए क्या तैयार हैं.

 

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