पुलिस कांस्टेबल सुनीता कई मासूमों के लिए बनी फरिश्ता, 8 महीने में 73 लापता बच्चों को पेरेंट्स से मिलाया

सीमा के काम की काफी सराहना हुई और वह सुनीता सहित अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन गईं. पुलिस ने बताया कि सुनीता ने 73 लापता या किडनैप बच्चों का पता लगा लिया है. इन बच्चों में से 15 की उम्र आठ साल से कम है और बाकी की उम्र आठ से 16 साल के बीच है. पुलिस ने कहा कि उनके समर्पण को पहचानने, उनका मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ दूसरों को प्रेरित करने के लिए कांस्टेबल को हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत करने की सिफारिश की गई है.

दूत बनकर आईं दिल्ली पुलिस कांस्टेबल सुनीता
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST

दिल्ली पुलिस कांस्टेबल सुनीता कई बच्चों के लिए फरिश्ता बन गई हैं. सुनिता ने पिछले आठ महीनों में 73 लापता बच्चों को उनके माता-पिता से मिलाया है. पुलिस अधिकारियों ने पिछले तीन दिनों में चार और लापता बच्चों का पता लगाया है. पुलिस का कहना है कि  रविवार को सात साल का एक बच्चा विकासपुरी के इंदिरा कैंप नंबर दो के पास से अपने घर से लापता हो गया, जहां वह अपने दादा के साथ रहता था. इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस ने आसपास के इलाकों में बच्चे की तलाशी शुरू की . एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि बाद में कांस्टेबल  सुनीता ने बच्चे का पता लगाया और उसे उसके दादा को सौंप दिया. 

मायापुरी इलाके में 13 साल की बच्ची हुई थी लापता 

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) प्रशांत गौतम ने  बताया कि 15 फरवरी को  13 साल की बच्ची मायापुरी इलाके से गायब हो गई थी. इस मामले में भी सुनीता ने मायापुरी से गायब  बच्ची का पता लगाया. 16 फरवरी को कंझावला इलाके में दो बच्चे अपनी मां के साथ लापता हो गए थे. पुलिस ने कहा कि एएसआई सुरेश कुमार और सुनीता की टीम लापता लोगों का पता लगाने में 
कामयाब रही. 

2014 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुईं थी सुनीता

सुनीता 10 नवंबर 2014 को दिल्ली पुलिस में भर्ती हुईं. शुरुआती ट्रेनिंग के बाद उन्हें पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर), सी4आई कमांड रूम सीपीसीआर, पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू)  के अलावा अलग-अलग यूनिट्स में तैनात किया गया और फिर उन्हें पश्चिमी जिले में भेज दिया गया. फिलहाल वह पिछले एक साल से पश्चिमी जिले की मानव तस्करी रोधी इकाई (एएचटीयू) में तैनात हैं.

सुनिता इस काम के लिए प्रमोशन पाने वाली  पहली महिला बनी

2019 में PHQ ने अपहृत-लापता बच्चों का पता  लगाने की कोशिश करने वाले पुलिसकर्मियों की कोशिशों को पहचानने के लिए एक नीति बनाई. समयपुर बादली पुलिस स्टेशन की हेड कांस्टेबल सीमा ढाका एक साल के भीतर 50 लापता बच्चों का पता लगाया. इस काम के लिए प्रमोशन पाने वाली वह पहली महिला बनीं

सुनीता को हेड कांस्टेबल पद देने की सिफारिश

सीमा के काम की काफी सराहना हुई और वह सुनीता सहित अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन गईं. पुलिस ने बताया कि सुनीता ने 73 लापता या किडनैप बच्चों का पता लगा लिया है. इन बच्चों में से 15 की उम्र आठ साल से कम है और बाकी की उम्र आठ से 16 साल के बीच है. पुलिस ने कहा कि उनके समर्पण को पहचानने, उनका मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ दूसरों को प्रेरित करने के लिए कांस्टेबल को हेड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत करने की सिफारिश की गई है.

 

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