राजधानी दिल्ली में मानसून हर बार जून के आखिरी में आता है. उससे पहले दिल्ली नगर निगम ने बरसात के मौसम में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए व्यापक मानसून कार्य योजना तैयार की है. MCD ने बताया कि एक्शन प्लान में नालों की सफाई, जलभराव वाले हॉटस्पॉट की पहचान और जलभराव की घटनाओं की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बनेंगे. एमसीडी का दावा है कि मानसून कार्य योजना के मुताबिक गाद निकालने का काम जोरों पर है और पहले चरण में गाद निकालने का काम 70 फीसदी पूरा कर लिया गया है.
नालों की डिसिल्टिंग-
दिल्ली नगर निगम ने मानसून आने से पहले गाद निकालने का 70 फीसदी काम पूरा कर लिया है और 15 जून से पहले प्रथम चरण का गाद निकालने का काम पूरा करने का प्लान है. अधिकांश नालों से गाद निकालने का काम आउटसोर्सिंग के जरिए किया जा रहा है. इस काम में एजेंसियां गाद निकालने के लिए खुदाई करने वाली मशीनों/जेसीबी, पोकलेन, मैनुअल लेबर का इस्तेमाल करती हैं और गाद को एसएलएफ साइट्स पर भेजा जाता है.
कंट्रोल रूम की स्थापना-
मानसून के दौरान मुख्यालय स्तर पर और साथ ही सभी 12 क्षेत्रों में कंट्रोल रूम चालू रहते हैं. उपायुक्त सहित सभी क्षेत्रीय प्रमुखों को बारिश के दौरान सतर्क रहने और संसाधन उपलब्ध कराने व कर्मचारियों की तैनाती के संबंध में तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.
वार्ड स्तर पर जोनल टीमों का गठन-
वार्ड स्तर पर टीमें गठित की गई हैं. जिनमें जेई इंचार्ज, नाला/वर्क्स बेलदार और वार्ड के मेट शामिल हैं. जेई स्टोर पर शिफ्ट में पर्याप्त मैनपावर रहेगी, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति में जलभराव की समस्या से निपटा जा सके.
स्थाई और अस्थाई पंपों की स्थिति-
मानसून के मौसम में सभी स्थाई पंपिंग स्टेशनों पर 24x7 स्टाफ उपलब्ध रहेगा. कुल स्थायी पंप 72 और अस्थाई पंप 465 हैं. हर निगम स्टोर पर टीमें बनाई गई हैं, जिनके पास अपने क्षेत्र में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त पंप हैं. मानसून शुरू होने से पहले पंपों का रखरखाव और पंपिंग स्टेशनों पर सम्पवेल की सफाई का काम पूरा कर लिया गया है.
(दिल्ली से राम किंकर सिंह की रिपोर्ट)
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