किसी भी शहर की नदी को साफ रखने में उस शहर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का अहम रोल होता है. STP वह जगह होती है जहां शहरभर से बहकर आने वाले गंदे पानी को साफ करके नदी में मिलाया जाता है, ताकि नदी की गुणवत्ता बनी रहे. दिल्ली में 37 STP काम कर रहे हैं और दावा किया जाता है कि ये हर दिन करीब 400 मिलियन गैलन लीटर (MGD) सीवेज वाटर को ट्रीट कर रहे हैं. इसके बावजूद यमुना की हालत बेहद खराब है, जो इस दावे पर सवाल खड़ा करती है.
क्या दिल्ली के STP ठीक से काम कर रहे हैं?
इसका जवाब यमुना का काला और जहरीला पानी खुद दे रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में मौजूद 37 STP में से केवल 5-6 STP ही सही तरीके से काम कर रहे हैं, जबकि बाकी की हालत बेहद खराब है. पर्यावरणविद अतुल का कहना है कि कई STP में पानी को मानकों के अनुसार ट्रीट ही नहीं किया जाता, जिससे गंदा पानी सीधे यमुना में मिल जाता है.
मजलिस पार्क STP
हमने मजलिस पार्क में बने एक STP का निरीक्षण किया, जहां पानी के ट्रीटमेंट की गुणवत्ता को परखा गया. इस प्लांट से निकलने वाला पानी काफी हद तक साफ और पारदर्शी था. इसे कांच के गिलास में डालकर देखा गया तो यह क्रिस्टल क्लियर नजर आया.
सरकार द्वारा तय किए गए मानकों के अनुसार, ट्रीटमेंट के बाद पानी में BOD (Biochemical Oxygen Demand) अधिकतम 10 mg/litre और TSS (Total Suspended Solids) अधिकतम 10 mg/litre होना चाहिए. मजलिस पार्क STP के पानी की गुणवत्ता इन मानकों पर खरी उतरती दिखी.
निलोठी STP: यमुना के प्रदूषण की असली वजह?
अब हम दिल्ली के निलोठी इलाके में मौजूद STP पहुंचे. यहां का हाल देखकर साफ समझ आता है कि यमुना इतनी प्रदूषित क्यों है. इस प्लांट का आउटर पॉइंट (जहां से साफ किया गया पानी बाहर निकलता है) खुद ही गंदगी से भरा पड़ा है. यह इलाका एक खुले नाले जैसा दिखता है, जहां कूड़े-कचरे का अंबार लगा हुआ है.
जब यहां से निकलने वाले पानी को गिलास में भरा गया, तो वह पीला और गंदा नजर आया. यह पानी बिल्कुल भी पारदर्शी नहीं था और इसमें कई तरह की अशुद्धियां साफ नजर आ रही थीं.
पर्यावरणविद अतुल के मुताबिक, यह पानी देखकर कोई भी बता सकता है कि यह अच्छे से ट्रीट नहीं किया गया है. उनका कहना है कि कागजों पर इस STP के पानी को मानकों के अनुरूप बताया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
अगर सरकार को यमुना को साफ करना है, तो सिर्फ नदियों की सफाई ही नहीं, बल्कि इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की भी सख्त निगरानी करनी होगी. गलत आंकड़ों और लापरवाही से अगर गंदा पानी ही यमुना में मिलता रहेगा, तो कोई भी योजना कारगर साबित नहीं होगी.