सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. अगर नियुक्त किया जाता है तो कृपाल देश के पहले समलैंगिक न्यायाधीश होंगे.
यह दूसरी बार है जब सौरभ कृपाल को एससी कॉलेजियम द्वारा आधिकारिक तौर पर दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में प्रमोट करने की सिफारिश की गई है. सबसे पहले 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट की तत्कालीन चीफ जस्टिस गीता मित्तल की अगुआई में कॉलेजियम ने सौरभ किरपाल को दिल्ली हाईकोर्ट का जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी.
हालांकि, 2017 के बाद कई CJI के तहत सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के साथ कृपाल का प्रमोशन बीच में ही लटक गया. कई बार सिफारिश के बावजूद उनके नाम को टाल दिया. उनकी सेक्सुअल ओरियंटेशन की वजह से उनकी सिफारिश के खिलाफ आपत्ति जताई गई थी.
कौन हैं सौरभ कृपाल ?
सौरभ कृपाल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बीएन किरपाल के बेटे हैं. उनके पिता मई 2002 से नवंबर 2002 तक भारत के 31वें मुख्य न्यायाधीश थे. यूनिवर्सिटी चले गए. सौरभ कृपाल ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर भी किया है. भारत लौटने से पहले उन्होंने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के साथ कुछ समय के लिए काम किया. वह दो दशक से अधिक समय से भारत में कानून की प्रेक्टिस कर रहे हैं. नागरिक, वाणिज्यिक और संवैधानिक कानून उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में शामिल हैं. सौरभ कृपाल खुले तौर पर समलैंगिक हैं और अक्सर उन्हें LGBTQ अधिकारों के लिए बोलते हुए देखा गया है. उन्होंने 'सेक्स एंड द सुप्रीम कोर्ट' नामक पुस्तक भी लिखी है.
उनके साथी निकोलस जर्मेन बच्चन एक विदेशी नागरिक और स्विस मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं.
विवाद और सिफारिशें
पिछले तीन सालों में सौरभ कृपाल पर कई बार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की बैठकों में चर्चा हुई. आइए उसे विस्तार से जानते हैं -