मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार (Dhar) जिले स्थित भोजशाला (Bhojshala) परिसर से कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो इसे मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर (Temple) होने का दावा करते हैं.
इस संबंध में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने सोमवार को अपनी 2000 पेज की सर्वे रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जमा कर दी है. हिंदू पक्ष के वकील की ओर से दावा किया गया है कि सर्वे के दौरान कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो साबित करते हैं कि यहां मंदिर था. अब 22 जुलाई 2024 को इस मामले में सुनवाई होगी.
क्या है भोजशाला विवाद
हिंदू समुदाय भोजशाला को देवी वाग्देवी (माता सरस्वती) का मंदिर मानता है तो वहीं दूसरे समुदाय का कहना है कि मुस्लिमों की कमाल मौलाना मस्जिद यहां है. एएसआई के 7 अप्रैल 2003 को दिए गए आदेश को लेकर विवाद है.
दरअसल, हिंदुओं और मुस्लिमों में बढ़ते विवाद को देखते हुए एएसआई ने आदेश जारी कर भोजशाला परिसर में प्रवेश को सीमित किया था. उस आदेश के अनुसार हिंदू समुदाय के लोगों को सिर्फ मंगलवार और वसंत पंचमी के दिन पूजा-अर्चना करने की इजाजत है. उधर, मुस्लिम सिर्फ शुक्रवार को नमाज अदा कर सकते हैं. हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने इस व्यवस्था को लेकर कोर्ट में चुनौती दी है.
कोर्ट में सौंपी रिपोर्ट
हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की याचिका पर हाईकोर्ट ने 11 मार्च को एएसआई को आदेश दिया था कि वह 6 हफ्ते में भोजशाला परिसर की साइंटिफिक स्टडी कर अपनी रिपोर्ट सौंपे. उस समय रिपोर्ट सौंपने के लिए एएसआई ने और वक्त मांगा. इसके बाद तीन बार समय बढ़ाया गया. 4 जुलाई 2024 को हाईकोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिए थे कि 15 जुलाई 2024 तक अपनी पूरी रिपोर्ट सौंप दे. इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च को इस विवादित परिसर का सर्वे शुरू किया था. करीब तीन महीने लगातार सर्वे करने के बाद एएसआई ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है.
11 मार्च के आदेश को दी थी चुनौती
मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 11 मार्च के आदेश को चुनौती दी थी. इसमें मांग की गई थी कि भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण नहीं किया जाए लेकिन 1 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
भोजशाला में क्या-क्या मिला
ASI ने भोजशाला परिसर के 500 मीटर के दायरे का साइंटिफिक सर्वे किया है. इसमें एएसआई को 97 मूर्तियां मिली हैं. इनमें से 37 मूर्तियां देवी-देवताओं की हैं जबकि बाकी मूर्तियां हिंदू धर्म से जुड़े दूसरी चीजों की हैं. वाग्देवी मां सरस्वती, हनुमान जी, शिवजी, गणेश जी, श्रीकृष्ण, ब्रह्मा जी, वासुकी नाग की मूर्तियां मिली हैं. सर्वे के दौरान 1700 से ज्यादा पुरावशेष मिले हैं.
भोजशाला के खंभों पर वेद-शास्त्रों के चिह्न मिले हैं, श्लोक लिखे मिले हैं. गर्भगृह के पिछले हिस्से में दीवार का ढांचा है. सनातनी आकृतियों वाले पत्थर मिले हैं. ओम नम: शिवाय और सीता-राम की आकृतियां मिली हैं. चांदी, तांबे और स्टील के 31 सिक्के मिले हैं. परमार शासन के दौरान इस्तेमाल चीजें भी मिली हैं. इसके अलावा भी रिपोर्ट में कई सारी ऐसी फाइंडिंग्स हैं, जिससे ये साबित होता है कि भोजशाला पहले मंदिर था.
पहले का है मंदिर का स्ट्रक्चर
ASI की रिपोर्ट के प्वाइंट नंबर 36 में लिखा है कि भोजशाला के दीवारों और खंभों पर भगवान गणेश, ब्रह्माजी, नरसिम्हा और भैरव की मूर्तियां हैं. संस्कृत और प्राकृत भाषा में जो शब्द और मंत्र लिखे मिले हैं, वो अरेबिक और पर्शियन से पहले के हैं. एएसआई की रिपोर्ट के 22 और 23 में कहा गया है कि जो स्ट्रक्चर बाद में बने हैं, वो जल्दबाजी में बनाए गए हैं इसलिए सिमेट्री और डिजाइन का ख्याल नहीं रखा गया है लेकिन जो स्ट्रक्चर पहले का है वो यूनिफॉर्म शेप में है. इससे ये साबित होता है कि मंदिर का स्ट्रक्चर पहले का है.
क्या है भोजशाला का इतिहास
1. धार में हजार साल पहले परमार वंश का शासन था. राजा भोज ने यहां पर 1000 से 1055 ईस्वी तक शासन किया था.
2. राजा भोज मां सरस्वती के अनन्य भक्त थे. उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की थी, जिसे बाद में भोजशाला के नाम से जाना जाने लगा. इसे हिंदू सरस्वती मंदिर भी मानते थे.
3. ऐसा कहा जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को ध्वस्त कर दिया था.
4. इसके बाद 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी थी.
5. महमूद शाह खिलजी ने 1514 ईस्वी में दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी थी.
6. 1875 में यहां पर खुदाई की गई थी. इस खुदाई में सरस्वती देवी की एक प्रतिमा निकली थी.
7. मां सरस्वती की इस प्रतिमा को मेजर किनकेड नाम का अंग्रेज लंदन ले गया था. फिलहाल ये प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में है. हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में इस प्रतिमा को लंदन से वापस लाए जाने की मांग भी की गई है.
8. हिंदू संगठन भोजशाला को राजा भोज कालीन इमारत बताते हुए इसे सरस्वती का मंदिर मानते हैं.
9. हिंदुओं का तर्क है कि राजवंश काल में यहां कुछ समय के लिए मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी.
10. मुस्लिम समाज का कहना है कि वो सालों से यहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं. मुस्लिम इसे भोजशाला-कम मौलाना मस्जिद कहते हैं.