कभी दस्युओं की शरणस्थली रही चंबल नदी और चम्बल की घाटी इस वक्त जलीय जीव और प्रवासी पक्षियों से गुलज़ार हैं. ठण्ड के मौसम में चम्बल नदी के पानी का तापमान कम होने पर नदी में विचरण कर रहें मगरमच्छ, घड़ियाल, कछुए समेत अन्य जलीय जीव टापू और तट पर धूप सेंकने के लिए निकल रहे हैं.
खिली धूप में बैठे जलीय जीवों के साथ-साथ नदी किनारे प्रवासी पक्षी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. चम्बल नदी में वोटिंग के लिए धौलपुर नगर परिषद और चम्बल सेंचुरी ने चम्बल सफारी की शुरुआत की हैं. चम्बल सफारी का नजारा देखने के पर्यटक धौलपुर जिले से होकर गुजर रही चंबल नदी पर पहुंच रहे हैं.
सर्दियों में देखने को मिलता है जलीय जीवों का यह नजारा
वन्य जीव प्रेमी मुन्ना लाल निषाद ने बताया कि जैसे-जैसे ठण्ड बढ़ती हैं नदी का पानी ठंडा होने के चलते जलीय जीव चम्बल नदी की गहराई में जाकर बैठ जाते हैं. जब धूप खिलती है तो वह धूप सेंकने के लिए बाहर निकलते हैं और नदी के तट व टापू पर कई घंटो तक विश्राम कर पानी की गहराई में चले जाते हैं.
मगरमच्छ और घड़ियाल के शरीर का तापमान इंसान से कम होता है. इसलिए ठण्ड के मौसम में ये धूप में कई घंटों मुंह खोलकर लेटे रहते हैं. दोनों जलीय जीवों की ऊपरी परत काफी मोटी होती है, इसलिए गर्मी को सोखती नहीं है. इसीलिए ये मुंह खोलकर लेटे रहते हैं और दिन में चार से पांच घंटे धूप का आनंद लेते हैं.
सर्दी में प्रवासी पक्षियों से चहक उठती है चम्बल
ठण्ड के मौसम में चम्बल नदी प्रवासी पक्षियों से चहक उठती हैं. नदी के किनारे जलीय जीव के साथ-साथ पक्षियों की भी हलचल बढ़ने लगती है. चंबल किनारे हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं. सात समुंदर पार कर हज़ारों किलोमीटर की दूरी तय कर प्रवासी पक्षी धौलपुर में हजारों की संख्या में आए हुए हैं.
प्रवासी पक्षियों के लिए जिले के जलाशय स्वर्ग बने हुए हैं. वन्य जीव प्रेमी मुन्ना लाल निषाद ने बताया कि पेंटेड स्ट्रोक, इंडियन स्कीमर, ईगल, किंगफिशर, ब्लेक बेली ट्रेन, बार हैडेड गूस, ग्रे हैरोन, शाफ़्ट शेल टर्टल आदि पक्षी डेरा डाले हुए हैं.
(उमेश मिश्रा की रिपोर्ट)