भारत में एयरपोर्ट पर फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी मार्च से शुरू कर दी जायेगी. अभी तक किसी भी एयरपोर्ट पर ये टेक्नोलॉजी नहीं शुरू की गयी है. गुरुवार को नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह (सेवानिवृत्त) ने लोकसभा में बताया कि डिजी यात्रा सेंट्रल इको-सिस्टम (DigiYatra Central Ecosystem) को मार्च 2022 में लाइव करने की योजना है. इसे देश के अलग-अलग हवाई अड्डों पर अपनाने के लिए चरणबद्ध तरीके शुरू किया जाएगा.
शुरुआत में 4 एयरपोर्ट पर शुरू होगा FRT
राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह ने कहा कि भारत के किसी भी हवाईअड्डे पर अभी तक एफआरटी शुरू नहीं किया गया है. हालांकि, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FAI) चार एयरपोर्ट, वाराणसी, पुणे, कोलकाता और विजयवाड़ा में डिजी यात्रा (DigiYatra) के पहले चरण के हिस्से के रूप में एफआरटी बेस्ड बायोमेट्रिक बोर्डिंग सिस्टम (Biometric Boarding System) के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.
क्या है डिजी यात्रा?
दरअसल, डिजी यात्रा स्कीम का उद्देश्य से लोगों की हवाई यात्रा को आसान और पेपर-लेस बनाना है. इस योजना के तहत एयरपोर्ट पर एडवांस टेक्नोलॉजी वाले बॉडी स्कैनर और फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. इससे लोग कम समय में सिक्योरिटी चेक के अलग-अलग लेवल से गुजर सकेंगे. इस स्कीम के एयरपोर्ट्स पर शुरू हो जाने के बाद यात्रियों का एक सेंट्रलाइज सिस्टम के जरिए रजिस्ट्रेशन किया जाएगा. रजिस्ट्रेशन के बाद उन्हें एक डिजी यात्रा आईडी दी जाएगी और एक बार रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद उनका डेटा सिस्टम में स्टोर हो जाएगा. और किसी भी अन्य कस्टमर डिटेल एप के जैसे ही जब भी अगली बार वह यात्री पाना टिकट बुक करेंगे, तब वह इसी आईडी का इस्तेमाल कर सकेंगे.
मैन्युअली भी कर सकते हैं रजिस्ट्रेशन
लोकसभा में राज्य मंत्री ने यात्री डेटा के लीकेज पर भी बात की. सरकार द्वारा उठाए गए सुरक्षा उपायों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि डिजी यात्रा पॉलिसी के अनुसार, डिजी यात्रा सेंट्रल इकोसिस्टम पर रजिस्ट्रेशन करना यात्री के लिए वैकल्पिक होगा. यात्री जिस एयरपोर्ट से प्रस्थान करने वाले हैं वहां के बायोमेट्रिक बोर्डिंग सिस्टम को एक एप के माध्यम से यात्रा विवरण (पैक्स, पीएनआर और चेहरे की बायोमेट्रिक्स) भेजेंगे.
इसके अलावा, अगर किसी विशेष यात्रा के लिए, यात्री डिजी यात्रा का लाभ नहीं उठाना चाहता है, तो यात्री को अपना डेटा भेजने की जरूरत नहीं है, वे एयरपोर्ट पर मौजूदा मैनुअल प्रक्रिया का उपयोग कर सकते हैं.