रक्षा क्षेत्र से लेकर खेती और मेडिकल तक, हर क्षेत्र में मददगार हैं ड्रोन्स, कोई सियाचिन पर रखेगा नज़र तो कोई किसानों की करेगा मदद

दिल्ली में प्रगति मैदान में चल रहे ड्रोन उत्सव में तरह-तरह के ड्रोन आप देख सकते हैं. इन ड्रोन्स का उपयोग रक्षा क्षेत्र से लेकर खेती और मेडिकल फील्ड में भी हो रहा हैं.

Drones
तेजश्री पुरंदरे
  • दिल्ली ,
  • 29 मई 2022,
  • अपडेटेड 2:18 PM IST
  • प्रगति मैदान में चल रहा है ड्रोन उत्सव
  • देख सकते हैं अलग- अलग तरह के ड्रोन

पहले महज़ आसमान में उड़ान भरने वाले ड्रोन अब तकनीक की दुनिया में विकास की नई क्रांति ला रहे हैं. इसकी एक झलक आप प्रगति मैदान में चल रहे ड्रोन उत्सव में देख सकते हैं. जहां आप रक्षा क्षेत्र से लेकर चिकित्सा तक में काम आने वाले ड्रोन्स का जायजा ले सकते हैं. 

इस प्रदर्शनी में ऐसे ड्रॉन्स को डिस्प्ले किया गया है जिससे यह साबित होता दिख रहा है कि भारत वाकई में अब वैश्विक पटल पर ड्रोन तकनीक में अपने आप को मजबूत कर रहा है. इसी के तहत आज हम आपको कुछ ऐसे ड्रॉन्स के बारे में बता रहे हैं जिनके बारे में देखकर और सुनकर आप वाकई में हैरान रह जाएंगे. 

साल के 365 दिन यह ड्रोन करेगा सरहदों की निगरानी

Unique drones in fair

अयान ऑटोनॉमस सिस्टम्स का बनाया AIRavat T90 एक ऐसा ड्रोन है जो साल के 365 दिन हवा में ही रहेगा. वैसे देखा जाए तो अमूमन ड्रोन ज्यादा से ज्यादा 6 या 7 घंटों तक हवा में उड़ने की कैपेसिटी रखते हैं लेकिन AIRavat T90 साल के 365 दिन हवा में रहेगा. 

इसे बनानेवाले अतुल चौधरी बताते हैं कि इसे केबल के जरिए कनेक्ट किया जाएगा. जिसके कारण इसकी बैटरी कभी भी खत्म नहीं होगी. इसकी सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसका इस्तेमाल सभी तरह की विपरीत परिस्थितियों में भी किया जा सकता है. ड्रोन को इस तरह से बनाया गया है कि जिस क्षेत्र में नेटवर्क नहीं होगा यह उस क्षेत्र में भी काम करेगा. मुख्य रूप से सरहदों पर- जहां तापमान कभी माइनस में होता है तो कभी बहुत गर्म होता है, वहां पर भी है दुश्मन पर नजर बनाने के लिए मददगार साबित होगा. 

विशेषताएं:

  • पेलोड क्षमता - 30 किग्रा
  • संचालन क्षमता: 24 x 7 निरंतर
  • लॉन्च ऊंचाई: 4500 मीटर AMSL
  • टीथर की लंबाई: 100 से 150 मीटर
  • पर्यावरण की स्थिति: -20 डिग्री सेल्सियस से +60 डिग्री सेल्सियस, 

एयर एंबुलेंस की तर्ज पर बनाया गया ड्रोन एंबुलेंस

सियाचिन जैसी जगह पर तापमान माइनस में रहता है और वहां भी हमारे सैनिक अपने देश की रक्षा के लिए तैनात होते हैं. ऐसे में कई बार ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है और तबीयत बिगड़ने लगती है. ऐसे में, यह ड्रोन सियाचिन जैसी जगह तक पहुंचकर मरीज को या घायल सैनिक को अस्पताल या मेडिकल कैंप तक लाने में मददगार साबित होगा. 

ड्रोन को डिजाइन करने वाले विकास मिश्रा बताते हैं कि यह ड्रोन युद्ध में घायल सैनिकों को भी जल्द से जल्द रेस्क्यू कर उनका इलाज करवाने में मदद करेगा. विकास बताते हैं कि यह एक समय पर डेढ़ सौ किलो तक का वजन उठा सकता है. सिग्नल मिलने पर यह तुरंत उस स्थान पर पहुंचेगा जहां पर इसकी जरूरत है. 

  • रेंज - 25 किमी
  • लिफ्ट क्षमता - 150 किलोग्राम
  • विशेषताएं - मेडिकल इमरजेंसी, उड़ान में महत्वपूर्ण निगरानी, ​​​​एसपीओ 2 डिलीवरी

दुनिया का सबसे एडवांस्ड ड्रोन

Most Advanced Drone

इंडो विंग्स के सीईओ पारस जैन का दावा है कि उन्होंने एस सीरीज नाम का एक ऐसा ड्रोन बनाया है जो पूरे दुनिया में सबसे एडवांस ड्रोन माना जा रहा है. यह ड्रोन खास तौर पर कृषि उद्योग के लिए बनाया गया है. इसकी खास बात यह है कि यह ऑटो मोड पर चलता है.  

पारस जैन ने बताया कि इसे ऑटो मोड पर इसलिए रखा गया है ताकि किसानों को इसे इस्तेमाल करने में आसानी हो. वे कहते हैं कि किसान इस ड्रोन के जरिए अपने खेत में दवाइयों और अन्य जरूरी चीजों का इस्तेमाल छिड़काव के लिए कर सकते हैं. 

  • पेटेंट्ड सीसीएमएस छिड़काव तकनीक का उपयोग करते हुए चौतरफा कवरेज
  • अल्ट्रा वाइड आई कैमरा 
  • हाईलाइन LiDar और रडार सेंसर का उपयोग करते हुए 90 डिग्री एडजस्टेबल टेरेन
  • पहाड़ी क्षेत्रों में भी 90 डिग्री ढलान के साथ उपयोग किया जा सकता है
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए इसे बिना GPS सिग्नल के भी उड़ाया का सकता है

ड्रोन रेस्क्यू पैराशूट

कई बार ऐसा भी होता है कि विपरीत मौसम या फिर ड्रोन पर अटैक होने के कारण ड्रोन डैमेज या क्षतिग्रस्त हो जाता है. ऐसे में मिशन फेल होने की भी संभावना होती है. इसीलिए ड्रोन रेस्क्यू पैराशूट, एक ऐसा ड्रोन है जो ड्रोन को क्षति पहुंचने से पहले ही उसे ऊपर की और उठाएगा जिससे वह डैमेज ना हो सके.

 

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