Emergency: 26 जून की वो सुबह, जब देश ने रेडियो पर आपातकाल सुना... 21 महीने बाद चुनाव में Congress को चुकानी पड़ी थी कीमत

Emergency Effect: साल 1975 में 25-26 जून की रात को इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था. लोगों के अधिकार ले लिए गए थे. सरकार के पास असीमित शक्तियां आ गई थीं. देश में बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था. सरकार मनमानी करने लगी थी. 21 महीने इमरजेंसी हटाई गई और देश में चुनाव हुए. कांग्रेस को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था.

आपातकाल के बाद चुनाव में इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा था (Photo/India Today)
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 26 जून 2023,
  • अपडेटेड 11:00 AM IST

'भाइयों, बहनों... राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है....' साल 1975 में आज के दिन यानी 26 जून को सुबह रेडियो के इस संदेश ने देश की नींद उड़ा दी थी. देश में इमरजेंसी लगा दी गई थी. हर कोई जानना चाहता था कि आखिर देश में हुआ क्या है? लेकिन इस सवाल का जवाब ज्यादातर लोगों के पास नहीं था. देश की ज्यादातर आबादी इमरजेंसी का मतलब तक नहीं जानती थी. देश में सिर्फ गिरफ्तारियां हो रही थी. हर बड़े नेता को सलाखों के पीछे भेजा जा रहा था. प्रेस की स्वतंत्रता खत्म हो गई थी.

कैसे पड़ी आपातकाल की नींव-
आपातकाल की कहानी उस समय से शुरू होती है, जब साल 1971 आम चुनाव हुए थे. उस चुनाव में इंदिरा गांधी ने राजनारायण को 52 हजार वोटों से हरा दिया था. लेकिन राजनारायण ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने चुनाव को रद्द कर दिया और इंदिरा गांधी को 6 साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दिया. राजनारायण को चुनाव में विजयी घोषित किया गया. इंदिरा गांधी की तरफ से हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.
जयप्रकाश नारायण ने कोर्ट के फैसले के बाद इंदिरा गांधी से इस्तीफे की मांग की और संपूर्ण क्रांति की पहल की. 25 जून को उन्होंने देशभर के शहरों में प्रदर्शन का आह्वान किया. इसके बाद 25-26 जून की रात को देश में आपातकाल लगा दिया गया.

सरकार के पास थे ये अधिकार-
आपातकाल लागू होने के बाद सरकार के पास आम लोगों के सारे अधिकार चले गए थे. आपातकाल की धारा 352 के तहत सरकार के पास असीमित अधिकार थे. जब तक इंदिरा गांधी चाहें सत्ता में रह सकती थीं. देश में चुनाव की जरूरत नहीं थी. प्रेस पर पाबंदी लगा दी गई थी. सरकार किसी भी तरह से कानून बनाने के लिए स्वतंत्र थी. आपातकाल में मीसा और डीआईआर कानून के तहत लोगों के सलाखों के पीछे भेज दिया जाता था.

बड़े नेताओं की गिरफ्तारी-
इमरजेंसी लागू होने के बाद देश में विरोधी नेताओं की गिरफ्तारी होने लगी. जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, चंद्रशेखर, विजयराजे सिंधिया, जीवतराम कुपलानी, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी को गिरफ्तार कर लिया गया था. इन दिग्गज नेताओं के साथ लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया था. इमरजेंसी के दौरान लोगों को प्रताड़ित भी किया गया. इस दौरान कई लोगों की जान भी गई.

5 सूत्रीय कार्यक्रम लागू-
देश में इमरजेंसी लागू होने के बाद इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के 5 सूत्रीय कार्यक्रम को लागू किया गया. इसमें सबसे विवादित नसबंदी कार्यक्रम था. देशभर में परिवार नियोजन कार्यक्रम को चलाया गया. इस दौरान जबरदस्ती भी की गई. कहा जाता है कि जो भी पुरुष पुलिस की पकड़ में आते थे, उनकी नसबंदी कर दी जाती थी. दिल्ली में सुंदरीकरण के नाम पर तुर्कमान गेट की झुग्गियों को साफ करवा डाला. इसको लेकर भी विवाद हुआ था.

21 महीने बाद हटाई गई इमरजेंसी-
देश में करीब 21 महीने तक इमरजेंसी रही. साल 1977 में इमरजेंसी हटाई गई. आपातकाल के बाद देश में आम चुनाव हुए. जिसमें कांग्रेस को इमरजेंसी लगाने का अंजाम भुगतना पड़ा. चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई. इस चुनाव कांग्रेस क 217 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. जनता अलायंस को 345 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि कांग्रेस को सिर्फ 189 सीटों पर जीत मिली थी. इंदिरा गांधी और संजय गांधी चुनाव हार गए थे.

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