Exclusive: नागर शैली से प्रेरित अयोध्या एयरपोर्ट का डिजाइन, कण-कण में मिलेगी श्रीराम की झलक, आर्किटेक्ट्स के साथ खास बातचीत

अयोध्या में 30 दिसंबर 2023 को Maharishi Valmiki International Airport Ayodhyadham का लोकार्पण किया जाएगा. अपने अनोखे और दिव्य आर्किटेक्चर के लिए यह एयरपोर्ट हर जगह चर्चा का विषय बना हुआ है. पढ़िए एयरपोर्ट के आर्किटेक्ट्स के साथ खास बातचीत के अंश.

Ayodhya International Airport
शिल्पी सेन
  • अयोध्या ,
  • 29 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:42 AM IST
  • नागर शैली से प्रेरित एयरपोर्ट का डिजाइन 
  • रामायण के सात कांड के प्रतीक स्वरूप सात स्तम्भ

रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी में पूरी अयोध्या को सजाया-संवारा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 दिसंबर को अयोध्या पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री अयोध्या को क़रीब 6 हज़ार करोड़ की परियोजनाओं की सौग़ात देंगे. इसमें सबसे ख़ास होगा अयोध्या का हवाई अड्डा. प्रधानमंत्री अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का लोकार्पण करेंगे. अयोध्या एयरपोर्ट का वास्तु और डिज़ाइन बेहद ख़ास है. 

यह पूरी तरह से श्रीराम के जीवन से प्रेरित है. इसके निर्माण में पूरी तरह से इस बात का ध्यान रखा गया है कि ये दुनिया का एकमात्र ऐसा एयरपोर्ट है जिसमें रामकथा की झलक मिलेगी. 

नागर शैली से प्रेरित एयरपोर्ट का डिजाइन 
अयोध्या एयरपोर्ट 8,000 स्क्वायर मीटर में बना है. दो साल में एयरपोर्ट का निर्माण हुआ है और यह क़रीब 250 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है. एयरपोर्ट का डिज़ाइन 'नागर शैली' से प्रेरित होकर बनाया गया है. अयोध्या एयरपोर्ट का डिज़ाइन आर्किटेक्ट विपुल वार्ष्णेय और अनुज वार्ष्णेय ने तैयार किया है. इनकी टीम ने तीन साल पहले एयरपोर्ट की डिज़ाइन को लेकर ज़िम्मेदारी सम्भाली थी. 

आर्किटेक्ट विपुल वार्ष्णेय बताती हैं, 'राम मंदिर का निर्माण नागर शैली में हो रहा है. इसी से प्रेरित होकर एयरपोर्ट का डिज़ाइन तैयार किया गया है. एयरपोर्ट के सात शिखर नागर शैली से प्रेरित हैं. मुख्य शिखर बीच में और आगे तीन और पीछे तीन शिखर हैं.' नागर शैली उत्तर भारत की मंदिर निर्माण की शैली है. इसी शैली में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. 

कण-कण में रामजी की झलक 
अयोध्या एयरपोर्ट में हर जगह रामजी का प्रतिबिंब दिखाने की कोशिश की गयी है. बाहर की तरफ, तीर-धनुष का बड़ा म्यूरल (भित्ति-चित्र) लगाया गया है. विपुल बताती हैं कि इसको बहुत सोच समझ कर लगाया गया है. इससे यu संदेश देने की कोशिश है कि 'पुरुषार्थ' से ही असत्य पर विजय सम्भव है. यही श्रीराम के जीवन का संदेश भी है. एयरपोर्ट की लैंडस्केपिंग में पंचतत्व  का ध्यान रखते हुए रंगों का प्रयोग किया गया है. फ़्लोरिंग में भी कई रंगों का प्रयोग किया गया है जो पंचतत्व पृथ्वी, आकाश, वायु, जल और अग्नि से प्रेरित हैं.

रामायण के सात कांड के प्रतीक स्वरूप सात स्तम्भ
श्रीराम एयरपोर्ट में सात स्तम्भ हैं, जो रामायण के सात कांडों से प्रेरित हैं. इन स्तम्भों पर आकृति और सजावट भी उसी तरह की गयी है. विपुल वार्ष्णेय और उनकी टीम ने न सिर्फ़ इसके लिए वाल्मीकि रामायण, रामचरितमानस और स्कंद पुराण में वर्णित प्रसंगों का अध्ययन किया बल्कि अयोध्या के साधू-संतों और मठ के आचार्यों से भी विचार विमर्श किया है.

विपुल बताती हैं कि एयरपोर्ट के अंदर जिन म्यूरल्स से सजावट की गयी है उनमें दो तरह की पट्टिकाएं हैं. एक दैविक पट्टिका जिसमें देव तत्व को दर्शाने की कोशिश की गयी है और दूसरी, खंडिका, जो जीवन के क्षणभंगुर होने का प्रतीक है. विपुल वार्ष्णेय बताती हैं, 'देवत्व और नश्वर के संतुलन से ही जीवन चलता है. यह सजावट आध्यात्मिक रूप से भी संदेश दे सके, इसलिए बनाई गई है.' 

महाबली हनुमान को समर्पित दीवार:
मान्यता के अनुसार अयोध्या में श्रीराम के अनन्य भक्त महाबली हनुमान के बिना कोई काम पूरा नहीं होता. इसी बात को ध्यान में रखते हुए अयोध्या एयरपोर्ट में एक सबसे बड़ा म्यूरल श्रीराम के अनन्य भक्त महाबली हनुमान को समर्पित किया गया है. इसमें हनुमान जी के जन्म से अयोध्या में श्रीराम की आज्ञा अनुसार उनके स्थापित होने तक का पूरा चित्रण है.

इसके अलावा तीन फ़्लोर ऊंचा राम दरबार और मधुबनी पेंटिंग में 'सीता राम विवाह' का चित्रण भी लोगों के आकर्षण का केंद्र होगा. विपुल वार्ष्णेय बताती हैं कि ये म्यूरल्स तैयार करने के लिए अयोध्या के साधू-संतों और आचार्यों से मिल कर बहुत जानकारी जुटाई गयी और अध्ययन किया गया. 

पर्यावरण के अनुकूल होगा एयरपोर्ट
अयोध्या का एयरपोर्ट यात्री सुविधाओं से लैस होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल भी होगा. कंस्ट्रक्शन मेटिरियल के लिए विपुल वार्ष्णेय-अनुज वार्ष्णेय और उनकी टीम ने इंजीनियर्स के साथ बैठकर पर्यावरण पर भी बहुत मंथन किया. इसमें GRC तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. जिससे पत्थरों से होने वाला प्रदूषण नहीं होता है. विपुल ने इसके निर्माण के दौरान अयोध्या पर स्टडी करते हुए एक किताब, अयोध्या भी लिखी है जिसका अभी विमोचन होना है. 

 

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