सेना को सलाम! मुश्किल हालातों में भी नहीं हटते पीछे, माइनस 10 डिग्री तापमान में भी देश की रक्षा में जुटे हैं जवान

ऊंचे ग्लेशियर पर चढ़कर दुश्मन के खिलाफ किसी कार्रवाई को अंजाम देना जवानों के बाएं हाथ का खेल है. माउंटेन वॉरफेयर की इस खास ट्रेनिंग के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत होना बहुत जरूरी है.

माइनस 10 डिग्री तापमान में भी देश की रक्षा में जुटे हैं जवान
gnttv.com
  • चमोली ,
  • 07 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:18 PM IST
  • माइनस 5 से 10 डिग्री तापमान में पेट्रोलिंग करते हैं सेना के जवान.
  • 20 किलो साजोसामान के साथ करते हैं स्कीइंग.

लद्दाख में चीनी सेना के साथ तनाव के बीच भारतीय सेना लद्दाख से लेकर हिमाचल, उत्तराखंड और अरुणाचल तक मुस्तैद है. उत्तराखंड में भारतीय सेना के जवान चमोली में चीन से लगने वाली सरहद पर ऊंचे बर्फीले पहाड़ों पर तैनात हैं. शून्य से 10 डिग्री नीचे के तापमान में सेना के जवान हर तरह के हालात से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. ऐसे मुश्किल हालात में भी सेना के जवान किस तरह डटे रहते हैं. इस खास रिपोर्ट में हम आपको जवानों की की पेट्रोलिंग और माउंटेन वॉरफेयर ट्रेनिंग से रूबरू करवायेंगे. 

उत्तराखंड में चीन से लगने वाली सरहद पर सेना के जवान दिन रात सरहद की निगरानी कर रहे हैं. आजतक की टीम जोशीमठ से होते हुए चमोली सरहद की फॉरवर्ड पोस्ट पर पहुंची. सेना की फॉरवर्ड पोस्ट तक पहुंचे का बर्फीला पहाड़ी रास्ता खतरों से भरा है. जोशीमठ से चमोली फॉरवर्ड पोस्ट तक पहुंचने के लिए करीब 50 किलोमीटर का मुश्किल पहाड़ी रास्ता तय करना पड़ा. चमोली जिले में कई फॉरवर्ड पोस्ट पर भारतीय सेना की तैनाती है. इन फॉरवर्ड पोस्ट तक पहुंचने के लिए 6 से 8 किलोमीटर पैदल जाना होता है. हालांकि पिछले सालों से इन इलाकों में रोड बनाने का काम तेज हुआ है.  

माइनस 5 से 10 डिग्री तापमान में करते हैं पेट्रोलिंग

यहां आपको देखने को मिलेगा कि कैसे 10 से 14 हजार फ़ीट ऊंचे ग्लेशियर पर सेना के जवान पेट्रोलिंग कर ड्रैगन की हर हरकत पर नजर रखते हैं. 10 जवानों की टुकड़ी हथियारों और जरूरी साजोसामान से लैस होकर ऊंची बर्फीली चट्टानों को पार करते हुए आगे बढ़ती है. फरवरी महीने में भी ये पूरा इलाका बर्फ से ढंका है. तापमान माइनस 5 से 10 डिग्री तक रहता है. सीमा पर तैनात जवान दिन-रात सरहद की सुरक्षा में लगे हुए हैं.  

20 किलो साजोसामान के साथ करते हैं स्कीइंग

उत्तराखंड के चमोली जिले में चीन से लगने वाली सरहद पर अब हम आपको भारतीय सेना की खास माउंटेन वॉरफ़ेयर से रूबरू करवायेंगे. ऊंचे ग्लेशियर पर चढ़कर दुश्मन के खिलाफ किसी कार्रवाई को अंजाम देना जवानों के बाएं हाथ का खेल है. माउंटेन वॉरफेयर की इस खास ट्रेनिंग के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत होना बहुत जरूरी है. सेना के जवान ऊंचे बर्फीले पहाड़ों में स्कीईंग के जरिए पेट्रोलिंग करते हैं. स्की के खास उपकरण से लैस जवान अपने हथियार और 20 किलोग्राम के साजोसामान के साथ स्कीइंग करते हैं.  

ऊंचे बर्फीले पहाड़ों में अगर दुश्मन के ख़िलाफ हेलिकॉप्टर के जरिए कोई ऑपरेशन करना हो तो उसके लिए भी सेना के जवान इन ख़ास तैयारी रखते हैं. रस्सी के सहारे हेलिकॉप्टर से उतर कर दुश्मन के ख़िलाफ कार्यवाही को अंजाम दिया जाता है. जानलेवा ठंड और सांस लेने में तकलीफ होने के बावजूद सेना के जांबाज लगातार जुटे रहते हैं. लद्दाख में गलवान की खूनी भिड़ंत के बाद से भारतीय सेना युद्ध के हर मोर्चे पर चीन से मुकाबले की तैयारी में जुटी है. 

(मनजीत नेगी की रिपोर्ट)

 

 

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