Exclusive Interview of Kamya Karthikeyan: तीन साल में पिता के साथ शुरू की माउंटेनियरिंग, आज दुनिया के सात में से पांच शिखरों पर कर चुकी हैं फतह...मां से मिली क्लासिकल डांस की तालीम

काम्या ने काफी छोटी उम्र से ही माउंटेनियरिंग करना शुरू कर दिया था. इसके अलावा वो पिछले 7 सालों से भरतनाट्टयम सीख रही हैं, पियानो में ग्रेड 5 और गिटार में ग्रेड 2 का एग्जाम दे चुकी हैं. काम्या कर्नाटक वोकल्स भी सीख रही हैं.

काम्या कार्तिकेयन
शताक्षी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 09 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:17 PM IST
  • मिशन साहस पर हैं काम्या
  • मां से मिली क्लासिकल डांस की तालीम
  • 2020 से शुरू हुई थी माउंट डेनाली की तैयारी

"अखंड था, प्रचण्ड था,स्वयं का मानदंड था, था शूरवीर, कर्मवीर, खुद में कालखण्ड था, जो सूर्य था मेवाड़ का, था सिंह सा दहाड़ता, जंगलों में जो जिया ,वो खुद में ही पहाड़ था." पहाड़ जितने प्रचण्ड दिखते हैं, उन्हें कुछ वैसा ही सुकून होता है. पहाड़ों पर एक अलग सी शांति और खुशी महसूस होती है. मन ये यही बातें लिए एक बाप अपनी बेटी के पहाड़ों पर ले जाता था. लेकिन क्या पता था, एक दिन ये बच्ची पहाड़ों के कारण ही इतना नाम कमाएगी. हम बात कर रहे हैं 14 साल की काम्या कार्तिकेयन की, जिन्होंने अमेरिका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट डेनाली को फतह किया है. इस पर्वत की ऊंचाई 20,310 फीट है. काम्या ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बन गई हैं.  

"पहाड़ों में ऐसा क्या जो पापा हमें छोड़ कर चले जाते हैं"
जब आप 3 साल के बच्चे के बारे में सोचते हो तो दिमाग में बस इतना आता है कि इस बच्चे ने अभी-अभी स्कूल जाना शुरू किया होगा. लेकिन काम्या की कहानी कुछ अलग ही है. काम्या ने 3 साल की उम्र से ही अपने पिता के साथ लंबे रास्तों पर चलना, और ट्रेक पर जाना शुरू कर दिया था. GNT digital से हुई एक खास बातचीत में काम्या बताती हैं कि, "जब मैं तीन साल की थी, तब मेरे पिता जो इंडियन नेवी में हैं, उस वक्त मुंबई के पास लोनावाला में पोस्टेड थे. वीकेंड में हमारे पास करने के लिए कुछ नहीं रहता तो हम छोटे-मोटे ट्रेल्स पर निकल जाते थे. उसके बाद जब मेरे पिताजी बड़े-बड़े पहाड़ों को फतह करने लगे, तो वो एक-दो महीने के लिए घर से दूर चले जाते थे. तब मैं अपनी मम्मी से पूछती थी, कि पहाड़ों में ऐसा क्या है, जो पापा को हमें छोड़कर जाने के लिए बुलाता रहता है." उस वक्त काम्या की मां उन्हें पहली बार माउंटेन ट्रेक पर ले गईं, और वहां से काम्या का माउंटेनियर बनने का सफर शुरू हुआ. 

मिशन साहस पर हैं काम्या
काम्या बताती हैं, कि जब उनकी मां उन्हें पहली बार पहाड़ों पर ले गई, तो पहाड़ों से उन्हें भी एक अलग सा लगाव हो गया. उसके बाद काम्या ने दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा. उसके दो साल बाद ही काम्या ने 2000 मीटर की एक चोटी को फतह किया था. फिर वहां से शुरुआत हुई मिशन साहस की. मिशन साहस के बारे में बताते हुए काम्या कहती हैं कि इस मिशन के तहत काम्या सातों महाद्वीपों के सभी ऊंचे शिखर फतह करना चाहती हैं. इसके अलावा वो नॉर्थ और साउथ पोल पर स्की करना चाहती हैं. जिसमें से काम्या अब तक माउंट डेनाली को मिलाकर 5 शिखर फतह कर चुकी हैं. जिसमें तंजानिया का माउंट किलिमंजारो, रूस का माउंट एल्ब्रस, अर्जेंटीना का माउंट एकांकागुआ, ओशिनिया का पुनकेक जया और अलास्का का माउंट डेनाली फतह कर चुकी हैं. अब काम्या अंटार्कटिका का माउंट विजन मासिफ, और एशिया में माउंट एवरेस्ट फतह करना चाहती हैं. 

दक्षिण भारत के तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाली काम्या बताती हैं कि, "चूंकि मेरे पिता आर्मी में थे, और आर्मी वालों की किसी स्टेट से पहचान नहीं होती है, इसलिए हम सब भारतीय हैं." 

2020 से शुरू हुई थी माउंट डेनाली की तैयारी 


काम्या का मानना है कि जब कोई एक पहाड़ चढ़ता है तो वो आगे के सारे पहाड़ों के लिए आपको तैयार करता है. माउंट डेनाली पर चढ़ने की तैयारी उन्होंने 2020 में शुरू की थी, जब वो अर्जेंटीना का माउंट एकांकागुआ फतह करके आई थीं. उस वक्त ही वो माउंट डेनाली भी चढ़ना चाहती थीं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण वो लोग अमेरिका आ गए और पिछले दो साल से वो पहाड़ नहीं चढ़ पाई. लेकिन इस साल उन्हें माउंट डेनाली चढ़ने का मौका मिला. 5 ऊंचे शिखर चढ़ने के अलावा काम्या भारत में भी 6,000 फीट के दो शिखर माउंट मेंटोक कांगड़ी I और माउंट स्टोक कांगड़ी पर फतह किया है. ये दोनों पहाड़ लद्दाख में हैं. काम्या का कहना है कि दुनिया में इतने पहाड़ हैं, जिन पर चढ़ने के लिए पूरी जिंदगी का भी समय कम है. 

मां से मिली क्लासिकल डांस की तालीम
पहाड़ों पर चढ़ने के अलावा काम्या को क्लासिकल म्यूजिक में भी काफी रुचि है. काम्या पिछले 7 सालों से भरतनाट्टयम सीख रही हैं, पियानो में ग्रेड 5 और गिटार में ग्रेड 2 का एग्जाम दे चुकी हैं. इसके अलावा काम्या कर्नाटक वोकल्स भी सीख रही हैं. काम्या अपनी सारी उपलब्धियों के लिए अपने मां-बाप को श्रेय देती हैं. काम्या बताती हैं कि उनके पिता हमेशा से एडवेंचर्स करते थे, और उनकी मां हमेशा से ही क्लासिकल डांस में रुचि रखती थी. इसलिए काम्या में अपने मां और पिता दोनों के गुण हैं. अपनी मां को क्लासिकल डांस करता देख काम्या को बहुत कम उम्र से ही क्लासिकल डांस और अपने कल्चर को जानने में रुचि थी. इसके अलावा उनकी मां ने भी उनका बहुत साथ दिया. जब काम्या छोटी ही थी, तब से ही काम्या की मां उनके साथ डांस क्लास जाती थीं. 

ऐसे शुरू हुई पहाड़ चढ़ने की कहानी
काम्या का कहना है कि उन्होंने जब पर्वतारोहण शुरू किया था, तब ये नहीं सोचा था, कि उन्हें इतने बड़े पहाड़ चढ़ने हैं. न ही कभी ये सोचा था, कि उन्हें इतने रिकॉर्ड बनाने या तोड़ने हैं. उनके लिए ये हमेशा से एक फैमिली एडवेंचर था. काम्या के पिता जब भी किसी माउंटेन जाते तो उन्हें अपने साथ ले जाते थे. कई बार काम्या की मां भी उन्हें ज्वाइन करती थीं. 

अपने करियर के बारे में काम्या कहती हैं कि माउंटेनियरिंग उनका पैशन है, और कल्चरल डांस वो जिंदगी भर करती रहेंगी. लेकिन इसके अलावा उन्हें साइंस में खास रुचि है. काम्या अपनी आगे की पढ़ाई हाई-ऑल्टिट्यूड मेडिसिन में करना चाहती हैं, ताकि वो अपने पैशन और पढ़ाई को साथ-साथ कर सकें. 

यहां देखें इंटरव्यू का पूरा वीडियो:


 

 

Read more!

RECOMMENDED