इस साल एक्सपर्ट्स और मौसम विज्ञानियों का कहना है कि भारत में गेहूं और सरसों की बंपर फसल होने की संभावना है. आपको बता दें कि प्रमुख रबी फसलों के लिए ठंड के मौसम फायदेमंद होता है.
सर्दियों की मजबूत फसलें देश के वार्षिक खाद्य उत्पादन का आधा हिस्सा हैं. इससे फूड इनफ्लेशन को कम करने और एक साल बाद चावल और गेहूं के स्टॉक को फिर से भरने में मदद करेगी. साल 2022 में मौसम ठीक न होने के कारण फसलों पर असर पड़ा था.
ठंड से बढ़ेगी पैदावार
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में ठंड का प्रकोप देखा जा रहा है, जिससे न केवल गेहूं, बल्कि जौ और ज्वार, दालों और तिलहन जैसे मोटे अनाजों की पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी.
वहीं, कमोडिटी ट्रैकर आईग्रेन इंडिया के एक विश्लेषक राहुल चौहान ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि उन्होंने इस साल गेहूं का उत्पादन लगभग 111-112 मिलियन टन होने की उम्मीद है.
पिछले साल मौसम ने बिगाड़ा खेल
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2022 में भीषण गर्मी की लहर ने भारत के गेहूं उत्पादन को एक साल पहले के 109.59 मिलियन टन से घटाकर 106.84 मिलियन टन कर दिया. इसके बाद खराब मॉनसून आया, जिससे चावल के उत्पादन में 5-6% की कमी आने का अनुमान है. इससे अनाज की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं.
नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि इस कमी ने अक्टूबर में 17.64% के मुकाबले नवंबर में घरेलू गेहूं की कीमतों में 19.67% की बढ़ोतरी की. अक्टूबर में 7.01% से नवंबर में समग्र खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति 4.67% तक कम होने के बावजूद गेहूं रिकॉर्ड उच्च स्तर पर कारोबार कर रहा था.
9% अधिक हुई बुवाई
कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, किसानों ने 33.2 मिलियन हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की है, जो 30.2 मिलियन हेक्टेयर के सामान्य क्षेत्र से लगभग 9% अधिक है.
तिलहन का रकबा, 10.5 मिलियन हेक्टेयर है, जो 7.6 मिलियन हेक्टेयर के सामान्य क्षेत्र से अधिक है. पांच साल के औसत 6.3 मिलियन हेक्टेयर की तुलना में किसानों ने उच्च उपज वाली सरसों के साथ रिकॉर्ड 9.5 मिलियन हेक्टेयर में बुवाई की है.