Explainer: पोस्ट ऑफिस बिल और टेलीकॉम बिल में क्या बदलाव करने जा रही है सरकार, जानिए

केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में टेलीकम्युनिकेशन विधेयक, 2023 पेश कर दिया है. सरकार की ओर से टेलीकॉम बिल को टेलिकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेश किया.

Ashvini Vaishnav
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

टेलीकॉम और इंटरनेट कंपनियों के लिए भारत एक बड़ा बाजार है. अरबों से अधिक की आबादी वाले इस देश में करोड़ों लोग दैनिक आधार पर संचार के साधनों का उपयोग करते हैं. हालांकि, भारत में दूरसंचार क्षेत्र मुख्य रूप से तीन कानूनों द्वारा शासित था, जिनमें से दो औपनिवेशिक काल में और तीसरा वर्ष 1950 में बनाया गया था.

भारत सरकार ने सोमवार (18 दिसंबर) को लोकसभा में दूरसंचार विधेयक, 2023 का मसौदा पेश किया. फिलहाल संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. दूरसंचार विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम (1885), भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम (1933) और टेलीग्राफ वायर (गैरकानूनी कब्ज़ा) अधिनियम, 1950 को निरस्त करने का प्रयास करता है. इस बिल के जरिए केंद्र सरकार ने नया टेलीकॉम कानून बनाने की ओर एक बड़ा कदम बढ़ा दिया है. बता दें कि यह नया टेलीकॉम बिल 1885 के टेलीग्राफ एक्ट की जगह लेगा.

बिल पारित होने पर क्या होगा?
भारतीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बिल पेश किया. कुछ प्रस्तावित उपायों के कारण यह बिल सुर्खियों में है. केंद्र सरकार नए टेलीकॉम बिल को नए नियमों के साथ ला रही है. बिल में OTT की परिभाषा को भी हटाया गया है. अगर नया बिल पारित हो जाता है, तो सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों के अलावा बाजार में कॉम्पिटिशन, टेलीकॉम नेटवर्क की उपलब्धता या निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एंट्री फीस, लाइसेंस फीस, पेनाल्टी आदि माफ करने की शक्ति मिल जाएगी.

ये बिल सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों के चलते किसी भी टेलीकॉम सर्विस या नेटवर्क को सस्पेंड, मैनेज करने की ताकत देता है. वहीं ओटीटी ऐप्स या कंपनियों को ये टेलीकम्युनिकेशन के दायरे से बाहर कर देगा. इससे व्हाट्सऐप और टेलीग्राम जैसी ऐप्स को दूरसंचार कानून से गवर्न नहीं किया जाएगा. वहीं ये बिल रिलायंस जियो, एयरटेल की वनबेब और एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी सर्विस को भी फायदा पहुंचाएगा.

टेलीकॉम बिल क्या है?
विधेयक सुरक्षित दूरसंचार नेटवर्क के लिए एक कानूनी और नियामक ढांचा तैयार करने का प्रयास करता है. मसौदे में व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि संचार प्लेटफॉर्म को बिल के दायरे से बाहर करने का प्रस्ताव है. पहले के मसौदे में ऐसा नहीं था. विधेयक में सरकार को सार्वजनिक आपातकाल या राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में किसी भी दूरसंचार सेवा, नेटवर्क को निलंबित करने, नियंत्रण लेने या प्रबंधित करने की शक्ति देने का प्रावधान है.

क्या-क्या हैं प्रस्ताव?
इस साल जारी दूरसंचार विधेयक (telecom bill) के ड्राफ्ट में यूजर्स की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ‘ओवर-द-टॉप’ या इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग ऐप को दूरसंचार की परिभाषा के तहत लाने का प्रस्ताव दिया गया था. विधेयक में भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की शक्ति को नियंत्रित करने का भी प्रस्ताव किया गया था, जिस पर विभिन्न पक्षों ने चिंता जताई थी. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, ‘ओवर-द-टॉप’ कंपनियों और ट्राई से जुड़े मुद्दों को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने से पहले ही सुलझा लिया गया था. मसौदे में किसी कंपनी की ओर से अपना परमिट सरेंडर करने की स्थिति में लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन फीस वापस करने जैसे कुछ नियमों को आसान बनाने का प्रस्ताव किया गया था. नए विधेयक में सरकार को उपभोक्ताओं के हित में प्रवेश शुल्क, लाइसेंस शुल्क, जुर्माना माफ करने, बाजार में प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने, दूरसंचार नेटवर्क की उपलब्धता या निरंतरता और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की शक्ति प्रदान करने का प्रस्ताव है.

वहीं सरकार काफी समय से प्रासंगिकता खो रहे डाकघरों का पुनरूद्धार करने की बात कर रही है. सरकार इन्हें सेवा प्रदान करने वाला संस्थान बनाने या फिर बैंकों में तब्दील करने के लिए पिछले नौ साल से प्रयास कर रही है. टेलीकॉम मिनिस्टर ने डाकघर विधेयक 2023 को विचार एंव पारित करने को लेकर पेश करते हुए राज्यसभा में ये बात कही. उन्होंने कहा कि यह विधेयक 125 साल पुराने डाकघर कानून में संशोधन करने के लिए लाया गया है.

क्या है मकसद
पोस्ट ऑफिस बिल Indian Post Office Act, 1898 में बदलाव करने के लिए लाया गया है. इस बिल के कानून बन जाने के बाद पोस्ट ऑफिस को डाक टिकट जारी करने का विशेषाधिकार होगा. इसके अलावा डाक अधिकारियों को राष्ट्र की सुरक्षा को देखते हुए डाक पार्सलों को लेकर भी विशेष अधिकार दिए जाएंगे.

5000 नए डाकघर
वैष्णव का कहना है कि पिछले नौ साल में डाक, डाकघर और डाकिया संस्थान को चिट्ठी बांटने के स्थान पर सेवा प्रदान करने वाले संस्थान के रूप में बदला गया. डाकघरों को व्यावहारिक रूप से एक बैंक में तब्दील किया गया है. कभी जो डाकघर अपनी प्रसांगिकता खो रहे थे उनके विस्तार को देखें तो 2004 से 2014 के बीच 660 डाकघर बंद किए गए. वहीं 2014 से 2023 के बीच में करीब 5,000 नये डाकघर खोले गये तथा करीब 5746 डाकघर खुलने की प्रक्रिया में हैं. वहीं 1,60,000 डाकघरों को कोर बैंकिंग और डिजिटल बैंकिंग से जोड़ा गया है. वहीं कई डाकघरों को पासपोर्ट सेवा केंद्रों में तब्दील किया जा चुका है जबकि 13,500 डाकघर में आधार सेवा केंद्र खोले जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि डाकघरों में तीन करोड़ से अधिक सुकन्या समृद्धि खाते खोले गए हैं जिसमें एक लाख 41 हजार करोड़ रूपये जमा हो चुके हैं. 


 

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