Facial Recognition System: G20 Summit के दौरान संदिग्धों की पहचान करेगा ये टूल, जानिए कैसे करेगा काम

जी20 समिट को लेकर दिल्ली में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. सुरक्षा एसेंजियों ने फेशियल रिकॉग्नाइजेशन सिस्टम को और भी बेहतर किया है. जिसकी मदद से 90 फीसदी सटीकता के साथ चेहरे की पहचान की जा सकती है और संदिग्धों की पकड़ा जा सकता है.

जी20 समिट के दौरान में संदिग्धों की पहचान के लिए दिल्ली पुलिस ने फेशियल रिकॉग्नाइजेशन सिस्टम को बेहतर बनाया है
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:05 AM IST

जी20 समिट से पहले राजधानी दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है. सिक्योरिटी स्टेब्लिशमेंट ने डेटाबेस की सटीकता और मजबूती के लिए फेशियल रिकॉग्नाइजेशन सिस्टम को बढ़ाया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि सॉफ्टवेयर में ऐसे नए पैरामीटर जोड़े गए हैं, जो 90 फीसदी सटीकता दे सकते हैं.

संदिग्ध की पहचान पर सुनाई देगा अलर्ट-
ये सिस्टम खुफिया एजेंसी के डेटाबेस और दिल्ली पुलिस के डोजियर डेटाबेस का इस्तेमाल कर सकता है, जिसमें 3 लाख से अधिक संदिग्धों के चेहरे की डिटेल मौजूद है. इसमें क्रिमिनल और आतंकवादी के भी डिटेल शामिल हैं. इसमें सीसीटीवी कैमरे से लिए गए वीडियो भी हैं. जब भी इस डेटाबेस में किसी चेहरे की पहचान होगी, एक अलर्ट सुनाई देगा. एआई-आधारित कैमरों के साथ इस टेक्निक से संदिग्ध तत्वों की पहचान करने में मदद मिलेगी. 

धमकी को देखते हुए पुलिस एक्टिव-
जी20 समिट की तैयारियों में एजेंसियां पीओके के आतंकियों और खालितान समर्थक तत्वों पर नजर रख रही हैं. जिन्होंने ग्लोबल सम्मेलन को बाधा डालने की धमकी दी है. आपको बता दें कि हाल ही में सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने आईजीआई एयरपोर्ट और महत्वपूर्ण जगहों पर खालितानी झंडे लहराने की धमकी दी है.

कमांड रूम भेजे जा रहे हैं फुटेज-
पुलिस सेंट्रल दिल्ली  के आईटीपीओ, राजघाट जैसी जगहों के सीसीटीवी फुटेज दिल्ली पुलिस के सेंट्रल सी4आई कमांड रूम में भेज रही है, जहां फेशियल रिकॉग्नाइजेशन सिस्टम से वीडियो की जांच की जाएगी. फीड की निगरानी के लिए ज्वाइंट कमिश्नर रैंक का अधिकारी तैनात किया गया है. इसी रैंक के अधिकारी को आईटीपीओ और प्रगति मैदान में मैनेजमेंट की देखरेख के लिए भी नियुक्त किया गया है.

80 फीसदी चेहरा मिलने पर जांच शुरू करती है पुलिस-
रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि एक हजार फेशियल रिकॉग्नाइजेशन कैमरे लगा सकती है, जिसका इस्तेमाल स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के दौरान किया गया था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फेशियल रिकॉग्नाइजेशन सिस्टम तस्वीरों और वीडियो के पूल से चेहरे की पहचान में मदद करती है. अधिकारी के मुताबिक सॉफ्टवेयर आंखों के बीच दूरी या ठोड़ी और माथे के बीच की दूरी की जांच और तुलना करता है. पिछले साल आरटीआई से पता चला था कि दिल्ली पुलिस किसी संदिग्ध के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए 80 फीसदी चेहरे के मिलान को पर्याप्त माना था. जी20 समिट की सुरक्षा की तैयारियों की देखरेख करने वाले खुफिया अधिकारी ने बताया कि इस दौरान मापदंडों के साथ नई तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे 90 फीसदी सटीकता मिलेगी.

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