केरल स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (KeLSA) ने परिवारों के झगड़े अदालत से बाहर सुलझाने के लिए एक अनोखा प्रोग्राम शुरू किया है, जिसका नाम है ‘हार्मनी हब’. यह प्रोग्राम 15 जनवरी को केरल हाई कोर्ट के जज और KeLSA के कार्यकारी अध्यक्ष, जस्टिस ए मोहम्मद मुस्ताक ने लॉन्च किया है.
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य अदालतों पर केसों का बोझ कम करना है. यह लोगों को आपसी समझौते के जरिए विवाद निपटाने में मदद करेगा, जिससे महंगी और लंबी कानूनी प्रक्रिया से बचा जा सके.
हार्मनी हब के तहत मिलने वाली सेवाएं:
यह योजना पूरी तरह से फ्री है और इसमें कई सारी सर्विस मिलती हैं:
1. काउंसलिंग सेशंस: भावनात्मक समस्याओं को समझने और सुलझाने में मदद.
2. मध्यस्थता (मीडिएशन): झगड़ों को आपसी सहमति से सुलझाने की प्रक्रिया.
3. कानूनी सलाह: नॉन-बाइंडिंग कानूनी सलाह या फ्री कानूनी सहायता.
4. इमोशनल और मेंटल सपोर्ट: तनाव को कम करने के लिए वेलनेस प्रोग्राम.
कहां और कैसे संपर्क करें?
राज्य के 14 जिला कानूनी सेवा प्राधिकरणों (District Legal Services Authorities) में से किसी भी केंद्र में जाकर इस प्रोग्राम का फायदा लिया जा सकता है. इसमें कई मामलों को शामिल किया गया है. जैसे- शादी से जुड़े पारिवारिक विवाद, लिव-इन रिलेशनशिप जैसे संबंध आदि.
इस प्रोग्राम के तहत बातचीत, डॉक्युमेंट और दूसरी सभी जानकारियां पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएंगी.
समझौते को वैध बनाने का तरीका
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर किसी विवाद में समझौता होता है और उसे लागू करने की जरूरत होती है, तो यह मामला लोक अदालत (Lok Adalat) में ले जाया जा सकता है. लोक अदालत इस समझौते को मान्यता देकर एक वैध और कानूनी रूप से बाध्यकारी निर्णय (award) जारी करेगी. इससे विवाद का समाधान तेज और सुलभ हो जाएगा और पार्टियों को लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना नहीं करना पड़ेगा.
हार्मनी हब से लोगों को पारिवारिक विवादों को सुलझाने का सरल, तेज और किफायती तरीका मिलेगा. साथ ही इससे अदालतों पर बढ़ते दबाव को कम किया जा सकेगा और परिवारों के बीच रिश्तों को सुधारने में भी मदद मिल सकेगी.
ये भी पढ़ें