कहते हैं, जिंदगी हर मोड़ पर हमें कुछ सिखाती है, और कभी-कभी अचानक लगी ठोकर, किसी बड़े तूफान से बचने का रास्ता बन जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ है केरल के कन्नूर के रहने वाले सुधास कन्नोथ और उनके परिवार के साथ. सुधास के साथ पहलगाम में हुए एक हादसे ने उन्हें एक बड़े आतंकी हमले का शिकार बनने से बचा लिया.
किस्मत से बचा सुधास का परिवार
दरअसल सुधास अपनी पत्नी प्रीति और बेटे मृणाल के साथ 18 अप्रैल को कश्मीर ट्रिप पर निकले थे. उन्होंने श्रीनगर में तीन दिन बिताए और 21 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे. अगले दिन, 22 अप्रैल की सुबह करीब 11:30 बजे वे घोड़े पर पहलगाम घूमने निकले.
घोड़े से फिसलकर कीचड़ में गिर गए
सुधास बताते हैं, “हम एक सात किलोमीटर लंबा ऊबड़-खाबड़ रास्ता तय कर रहे थे. रास्ते में लाल और काले पत्थर, कीचड़ और ढलान थे. तभी घोड़े का कंट्रोल मेरे हाथ से निकल गया और मैं कीचड़ में गिर पड़ा. मेरे पूरे शरीर पर कीचड़ और घोड़े का गोबर लग गया. उस वक्त मुझे खुद से घिन आ रही थी.”
थकान की वजह से व्यूपॉइंट देखने का मन नहीं हुआ
सुधास बताते हैं, परिवार को आगे बढ़ने का मन नहीं हुआ. कुछ दूरी पर जंगल के पास एक छोटी सी धारा मिली, जहां उन्होंने अपने कपड़े धोए, कोट और जूते उतारे, और दूसरे कपड़े पहनकर तैयार हो गए. हालांकि तब तक वो इतने थक चुके थे कि व्यूपॉइंट देखने का मन ही नहीं हुआ. उन्होंने परिवार के साथ वहीं चाय पी और वापस होटल लौट आए.
आधे घंटे बाद उसी जगह हुआ हमला
करीब आधे घंटे बाद उन्होंने देखा कि सेना की कई गाड़ियां पहलगाम की तरफ जा रही थी. उनके ड्राइवर को तुरंत इलाके से हटने के निर्देश मिले और वो उन्हें सीधे श्रीनगर वापस ले आया. बाद में उन्हें पता चला कि जहां वो अपने परिवार के साथ जाने वाले थे वहीं आतंकी हमला हुआ. बता दें, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 27 लोगों की मौत हो गई. घटना बैसारन घाटी इलाके में मंगलवार दोपहर 2.45 बजे हुई. जम्मू कश्मीर में अभी लगातार आर्मी और अन्य बलों का सर्चिंग अभियान जारी है.
अचानक लौट आए शायद इसलिए आज जिंदा हैं...
सुधास पेशे से राइटर और मोटिवेशनल ट्रेनर हैं, जबकि उनकी पत्नी प्रीति कन्नूर सेंट्रल स्कूल में टीचर हैं. इस ट्रिप पर उनके साथ उनका बेटा भी था. इस हादसे को याद करते हुए सुधास कहते हैं, “कभी-कभी ज़िंदगी आपको गंदगी में गिराकर भी बचा लेती है. हम उस दिन वहां से अचानक लौट आए शायद इसलिए आज जिंदा हैं.”