मुरादाबाद के बिलारी के रहने वाले एक किसान ने खेती के क्षेत्र में एक नई पहचान बनाई है. उन्होंने सब्जियों की विलुप्त हो चुकी 55 से अधिक प्रजातियों को फिर खेती के प्रचलन में लाया. इतना ही नहीं 100 से जायदा नई किस्म की सब्जियां व वनस्पति की किस्म बनाई है. इसके लिए रघुपत सिंह को अब तक 11 नेशनल अवार्ड मिल चुके हैं. केंद्र सरकार भी इनकी मुरीद है. प्रधानमंत्री भी इनकी तारीफ कर चुके हैं.
35 साल पहले कुछ नया करने के बारे में सोचा :
रघुपत सिंह की दिनचर्या और किसानों से बिलकुल अलग है , लगभग 35 साल पहले रघुपत जी ने ये तय किया की जीवन में कुछ नया किया जाए. ऐसे में उन्होंने उन सब्जियों को दोबारा से जीवंत करने के बारे में सोचा जिनका अस्तित्व सदियों पहले मिट चुका है.
साधारण खेती तो सब करते हैं :
रघुपत सिंह कहते हैं साधारण खेती तो सब करते हैं. अब थोड़ा हट कर सोचिए उससे उन किसानों को फायदा होगा जो बाजार में इस तरह से उपज नहीं ला पा रहे हैं जैसे बड़े किसान, इसलिए छोटे किसानों को नए विकल्प पर जोर देना चाहिए. रघुपत जी अब तक तीन लाख से जायदा किसानों को खेती के गुर सीखा चुके हैं. देश भर के सभी खेती से जुड़े संस्थान इनके मुरीद हैं और इनके द्वारा बनाई गई फसल यानी बीज को छोटे किसानों तक पहुंचने का काम कर रहे है.
किसानों को सिखाते हैं खेती के गुर :
रघुपत सिंह रोज सुबह किसानों के बीच जाकर उनको ये समझाते है की किस मौसम में कौन सी सफल पर कितना मुनाफा हो सकता है. उनकी खेती के गुरों को सिख कर आज प्रदेश और देश भर के किसान अपनी कमाई को दोगना कर चुके हैं. रघुपत सिंह को उनके कार्य के लिए अब तक 11 बार नेशनल अवार्ड मिल चुका है.