प्रदर्शनी नहीं बड़े काम की ये है गाड़ी...सिंधु बॉर्डर पर 50 फीट लंबी ट्रॉली लेकर पहुंचे किसान

सिंधु बॉर्डर पर जहां किसान आंदोलन की दिशा तय कर रहे हैं, उस वक्त एक ट्रॉली लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी. इस ट्रॉली की बड़ी खासियत है. ये ट्रॉली चलता फिरता लंगर है.

सिंधु बॉर्डर पर 50 फीट की ट्रॉली आकर्षण का केंद्र बन गई.
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:45 PM IST
  • ट्रॉली के पास आकर फोटो खिंचवा रहे किसान
  • आकर्षण का केंद्र बनी ट्रॉली

सिंघु बॉर्डर पर जब एक तरफ ये तय हो रहा था कि आंदोलन की दशा और दिशा क्या हो, उस वक्त एक ट्रॉली लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी. सिंघु बॉर्डर पर 50 फीट लंबी ट्रॉली पहुंची है. इसे ऐसे खड़ा किया गया है जैसे किसी प्रदर्शनी का हिस्सा हो. तमाम लोग इसके पास आकर फोटो खिंचवा रहे हैं.

क्या है ट्रॉली की खासियत
असल में ये ट्रॉली एक चलता फिरता लंगर है. 50 फीट की इस ट्रॉली को इस तरह तैयार किया गया है कि इस पर भट्टी लगाकर खाना तैयार किया जा सकता है. ऐसी कोई भी जगह जहां टेंट लगाकर खाना नहीं तैयार कर सकते, वहां इस ट्रॉली का इस्तेमाल किया जाएगा.

गुरप्रीत सिंह नाम के एक आंदोलनकारी बताते हैं कि इसे कहीं भी खड़ा करके लंगर तैयार कर सकते हैं. ट्रॉली में एक तरफ भट्टी रखी जाएगी तो दूसरी तरफ छोटे छोटे गेट बनाये गए हैं जिन्हें खोलकर लंगर बांटा जाएगा. गुरप्रीत सिंह बताते हैं कि इस ट्रॉली में हाइड्रो जैक भी हैं जो किसी भी तरह की सड़क पर ट्रॉली का बैलेंस बनाने का काम करेगा. इस ट्रॉली को एक सेवा के रूप में गिफ्ट में दिया गया है.

सिर्फ आंदोलन मकसद नहीं
आंदोलनकारियों का कहना है कि इस ट्रॉली का मकसद सिर्फ आंदोलन के लिए नहीं बल्कि किसी भी विषम परिस्थिति जैसे सूखा या बाढ़ ग्रसित इलाकों में भी लोगों की मदद में काम आएगी.

अगर सरकार से मिलने गए तो क्या ट्रॉली लेकर जाएंगे?
जब कृषि बिल को लेकर किसान सरकार से चर्चा करने गए थे तो सरकार का दिया खाना उन्होंने खाने से इनकार कर दिया था. ऐसे में अगर आगे भी सरकार से कोई बातचीत होती है तो क्या इस ट्रॉली को भेजकर खाना बनवाया जाएगा? जवाब में एक आंदोलनकारी कहते हैं कि ऐसी जगह हम तो बाइक पर भी लंगर लगा सकते हैं. इतनी बड़ी ट्रॉली की क्या जरूरत.

ये भी पढ़ें:

Read more!

RECOMMENDED