दिवाली आ रही है, तो पटाखों की याद आएगी ही. प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अदालत और सरकार ने पटाखों के निर्माण में कई तरह के केमिकल के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है. लेकिन, तमिलनाडु के सिवाकासी में इस बार फिर से पटाखों का कारोबार जोर पकड़ रहा है. इस काम में लगे लोगों को उम्मीद है, कोरोना के बाद बदले माहौल में इस बार पटाखों की मांग बढ़ेगी और उनके घरों में भी खुशियां लौटेंगी.
पटाखों से मिल रहा रोजगार
दिवाली करीब आ रही है, तो तमिलनाडु के सिवाकासी में पटाखों का निर्माण भी जोर पकड़ने लगा है. कारीगरों को उम्मीद है कि कोरोना खत्म हो चुका है, तो इस क्षेत्र में आई मंदी का भी दौर खत्म होगा और इनके घरों में खुशियां लौटेंगी. कारीगर कल्ली अमाल बताते हैं कि, "मैं 10 साल से पटाखे बना रही हूं. मुझे और कोई काम नहीं आता. मेरा परिवार इसी कारोबार पर निर्भर है. 2 साल तक कोरोना के कारण हमारे पास काम नहीं था. अब हमारे पास हर रोज काम है."
रोक के कारण सीमित हो गया पटाखे बनाना
हालांकि, अदालत ने पटाखों में बेरियम जैसे रासायनिक तत्वों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है, तो पटाखा निर्माताओं को सीमित स्तर पर काम करना पड़ रहा है. लेकिन इन्हें भरोसा है कि इस बार दिवाली फायदे वाली होगी. पटाखा कंपनी के निदेशक अमरनाथ बताते हैं, "इस बार जरूर फायदा होगा. महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के साथ अच्छी शुरुआत हुई और उम्मीद है कि दिवाली भी शानदार रहेगी.
महंगे हो सकते हैं पटाखे
देश में 95 फीसदी पटाखे सिवाकासी में ही बनते हैं. इस बार कच्चे माल की कीमत बढ़ने से पटाखे भी महंगे रहने के आसार हैं. लेकिन, दिवाली में इनकी अच्छी मांग रहेगी, तो कारोबार में भी रौनक लौटेगी.