अब रेलवे स्टेशन पर खोए बच्चे नहीं भटकेंगे इधर-उधर...बैंग्लोर के KSR स्टेशन पर बच्चों के लिए बनाया गया पहला चाइल्ड फ्रेंडली स्पेस

एक सूत्र ने बताया कि इस चाइल्ड फ्रेंडली स्पेस में खिलौने, किताबें, पेंट्री, शौचालय और बैठने की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य बच्चों के लिए एक सकारात्मक और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है जो उन्हें घर जैसा महसूस कराएगा और वो सामने आने वाली समस्याओं के बारे में खुलकर बात कर सकेंगे.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST
  • बाल तस्करी के शिकार बच्चे भी होंगे शामिल 
  • होंगी कई तरह की सुविधाएं

भारत के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर बच्चों के अनुकूल स्थान रखने की रेलवे बोर्ड की नीति के अनुरूप कर्नाटक को उसका पहला ऐसा स्पेस मिलने वाला है. यह सुविधा कर्नाटक के केएसआर रेलवे स्टेशन पर इस वीकेंड से शुरू हो जाएगी. इसे प्लेटफॉर्म 1 पर तैयार किया गया है जिसे फिनिशिंग टच देने का काम चल रहा है. 

रेलवे ने इसे खुशी हब का नाम दिया है. जगह को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए रेलवे ने इसे रेलवे सुरक्षा बल की एंटी-ट्रैफिकिंग यूनिट, नन्हें फरिश्ते, एनजीओ चाइल्ड लाइन इंडिया और इंटरनेशनल जस्टिस मिशन को सौंपा है. यह जगह पूरे तरीके से सीसीटीवी कैमरों से सुरक्षित होगी जिसकी चौबीसों घंटे निगरानी की जाएगी और तीसरे प्रवेश द्वार से एक कर्मचारी हमेशा मौजूद रहेगा.  

होंगी कई तरह की सुविधाएं
एक सूत्र ने बताया कि इस चाइल्ड फ्रेंडली स्पेस में खिलौने, किताबें, पेंट्री, शौचालय और बैठने की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध होंगी. इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य बच्चों के लिए एक सकारात्मक और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है जो उन्हें घर जैसा महसूस कराएगा और वो सामने आने वाली समस्याओं के बारे में खुलकर बात कर सकेंगे."एक अन्य सूत्र ने बताया कि फिलहाल रेलवे स्टेशनों पर बचाए गए बच्चों को स्टेशन मास्टर के कमरे या किसी अतिरिक्त कमरे में ले जाया जाता है क्योंकि उन्हें पुलिस थाने नहीं ले जाया जा सकता. ये आमतौर पर छोटे, गंदे कमरे होते हैं और बच्चे इसमें अच्छा महसूस नहीं करते हैं. 

बाल तस्करी के शिकार बच्चे भी होंगे शामिल 
दक्षिण पश्चिम रेलवे के आरपीएफ के महानिरीक्षक और प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त आलोक कुमार ने कहा, “यह आरपीएफ द्वारा बचाए गए बच्चों की काउंसलिंग के लिए एसडब्ल्यूआर की पहली समर्पित जगह को चिह्नित करेगा, जिसमें बाल तस्करी के शिकार बच्चे भी शामिल होंगे. यह रेलवे के संपर्क में आने वाले बच्चों को मानसिक-सामाजिक समर्थन और परामर्श प्रदान करने के लिए एक बड़ी पहल है. आरपीएफ द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 581 बच्चों को बचाया गया, जिनमें से 304 बच्चे तस्करी के शिकार थे.


 

 

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