ये हैं देश की पहली महिला डिटेक्टिव! करियर के चक्कर में नहीं की शादी, सुलझाई 80 हजार से ज्यादा गुनाहों की गुत्थी

आज की कहानी है देश की पहली महिला डिटेक्टिव रजनी पंडित की जिन्होंने अपने पूरे करियर में 80 हजार से ज्यादा केस सॉल्व किए. रजनी को भारतीय जेम्स बॉन्ड और अन्य कई नामों से बुलाया जाता था. कॉलेज में लड़की का केस सुलझाने के बाद उनकी इस मामले में दिलचस्पी बढ़ी.

Rajani Pandit
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2022,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST
  • शुरू की खुद की जांच एजेंसी
  • नौकरी की वजह से नहीं की शादी

जब भी हम डिटेक्टिव शब्द के बारे में सुनते हैं तो हमारे दिमाग में एक ऐसे व्यक्ति की तस्वीर आती है जिसकी जिंदगी खतरों से भरी हो. क्राइम और मिस्ट्री से उसका रोज सामना होता हो. एक डिटेक्टिव को अपराध रहस्य सुलझाने के मामले में अंडर कवर एजेंट के रूप में जाना जाता है. लेकिन एक जासूस का काम न केवल साहसिक कार्य है बल्कि इसके लिए धैर्य, स्मार्ट सोच और एनालाइजिंग स्किल चाहिए होंगे. लेकिन एक जासूस ऐसी भी हैं जो न सिर्फ स्मार्ट सोच के साथ तेज दिमाग रखती हैं बल्कि क्राइम की गुत्थी को सुलझाना उनके बाएं हाथ का खेल है.

आज हम आपकी मुलाकात ऐसी ही महिला जासूस से कराने जा रहे हैं जिन्होंने अपने 22 वर्ष के करियर में 80,000 से अधिक केस सुलझाए हैं. उन्हें देशी शरलॉक होम्स और भारतीय महिला जेम्स बॉन्ड कहा जाता है. एक महिला डिटेक्टिव होने का काफी मिलता-जुलता किरदार आलिया भट्ट ने फिल्म राजी में निभाया था. हम बात कर रहे हैं भारत की पहली महिला डिटेक्टिव ( Rajani Pandit) रजनी पंडित के बारे में.

कौन है रजनी पंडित?
महाराष्ट्र में जन्मी और पली-बढ़ी 60 वर्षीय देसी शर्लक होम्स, रजनी पंडित रहस्य और जासूसी उपन्यासों के अपने प्यार के साथ पली और बड़ी हुईं. उनके पिता  शांताराम पंडित, स्थानीय पुलिस विभाग में एक सब-इंस्पेक्टर थे. मुंबई के रूपारेल कॉलेज से मराठी साहित्य में स्नातक करने के दौरान उनकी रहस्यों की जांच करने और उनका हल करने में दिलचस्पी बढ़ी.

"एक जासूस बनता नहीं है, पैदा होता है." ये शब्द भारत की पहली महिला जासूस रजनी पंडित से बिल्कुल मेल खाते हैं. ग्रेजुएशन के दौरान रजनी की दिलचस्पी तब और बढ़ गई जब उन्होंने कॉलेज में एक मामला लिया, जहां उनकी एक क्लासमेट प्रॉस्टिट्यूट के धंधे में शामिल थी. शातिर नजर होने की वजह से रजनी तुरंत पहचान गईं कि उनकी दोस्त का फायदा उठाया जा रहा है. रजनी इसकी जानकारी लेकर अपनी क्लासमेट के माता-पिता के पास पहुंची, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई करने के लिए मना नहीं पाई. जब रजनी ने उन्हें फोटोग्राफ दिखाए तो उसके पिता को उनपर विश्वास हुआ और उन्होंने इस पर कार्रवाई की.

अपने पिता से हैं प्रेरित
रजनी के पिता एक इंवेस्टिगेटिंग ऑफिसर थे. रजनी पंडित ने ऐसी परिस्थितियों का सामना किया है जहां उन्हें यह सुनना पड़ा कि इंवेस्टिगेशन का काम महिलाओं के लिए नहीं होता है. हालांकि रजनी के माता-पिता ने उनके इंवेस्टिगेटिंग करियर में उनका बहुत साथ दिया और उन्हें प्रोत्साहित किया. 

शुरू की खुद की जांच एजेंसी 
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, रजनी ने डिटेक्टिव  बनने की सोची. के अपने फैसले की घोषणा की। 1983 में उन्होंने जासूसी सेवाओं की पेशकश की और इस धारणा को चुनौती दी कि महिलाएं क्या कर सकती हैं. रजनी केवल 25 वर्ष की थीं, जब उन्होंने 1991 में रजनी पंडित डिटेक्टिव सर्विसेज नाम से अपनी एजेंसी शुरू की थी.

पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में महिला होना आसान नहीं था. रजनी को अखबार में विज्ञापन देने जैसी बुनियादी चीजों के लिए भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. लेकिन, उनकी एजेंसी ने धीरे-धीरे लोकप्रियता हासिल की और उनकी कड़ी मेहनत और उनके काम के प्रति समर्पण ने सबकुछ साबित कर दिया.क्राइम मिस्ट्री सुलझाते समय रजनी पंडित ने कई किरदार निभाए. इसके लिए उन्हें कई बार नौकरानी, अंधी महिला, प्रेग्नेंट महिला और स्ट्रीट वेंडर बनना पड़ा. एक केस को सुलझाने में जिस चीज की जरूरत पड़ी रजनी ने वो सब किया. उनके द्वारा हल किए गए सबसे आम मामलों में ऐसे मामले शामिल हैं जिनमें कपल्स एक-दूसरे पर भरोसा नहीं करते, एक्सट्रा मैरिटल अफेयर के मामले, शादी से पहले किसी लड़की या लड़के के बारे में जानकारी प्राप्त करना आदि शामिल हैं.

नौकरी की वजह से नहीं की शादी
रजनी पंडित ने कभी शादी नहीं की क्योंकि वह अपनी शादी और नौकरी के बीच चयन नहीं करना चाहती थीं. उन्होंने एक बार कहा था कि उन्हें कभी परिवार शुरू करने की जरूरत महसूस नहीं हुई. वह समाज को एक बेहतर भारत बनाने के लिए सच्चाई का पता लगाने में मदद करना चाहती थीं.

जीते कई पुरस्कार
रजनी पंडित ने अनगिनत पुरस्कार जीते और उन्हें कई समाचार चैनलों ने कवर किया. फेस बिहाइंड फेस और मायाजल नाम की उनकी किताबों ने भी कई प्लेटफार्मों पर पुरस्कार जीते. लेडी जेम्स बॉन्ड नाम की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है जो जासूस के करियर पर आधारित है. पंडित और उनके साहस को सलाम. समाज के लिए रजनी की सेवा उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो समाज की बेड़ियों में जकड़ा हुई महसूस करती हैं. उन्होंने एक शक्तिशाली और आत्मविश्वासी महिला होने का एक उदाहरण स्थापित किया है जो एक रूढ़िवादी समाज से बाहर आती है और वह करती है जो वह सबसे अच्छा करती है.


 

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