Floating Solar Power Plant: सिर्फ जमीन नहीं पानी पर भी बन रहे सोलर पावर प्लांट, आने वाले समय में नहीं होगी बिजली की किल्लत

आने वाले समय में भारत एनर्जी के मामले में आत्मनिर्भर होने के लिए प्रयासरत है. देश में कई बड़े सोलर पार्क या फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनाए जा रहे हैं.

Floating Solar Power Project commissioned at NTPC Kayamkulam, Kerala
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 14 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 2:57 PM IST

गर्मियों ने दस्तक दे दी है और अब जल्द ही घरों में एसी-कुलर भी शुरू हो जाएंगे. लेकिन गर्मियां आते ही बिजली के लंबे-लंबे कट भी शुरू हो जाते हैं. गर्मियों में बिजली की खपत काफी ज्यादा बढ़ जाती है और इसका असर लोगों पर पड़ता है. 

हालांकि, बिजली के लिए बहुत से लोग अब सौर ऊर्जा जैसे विकल्प अपनाने लगे हैं जो क्लियर एनर्जी भी है. सरकार भी सौर ऊर्जा की दिशा में काम कर रही है और देश में कई बड़े सोलर पावर प्लांट लगाए जा रहे हैं. इस बड़े-बड़े पावर प्लांट्स को लगाने का उद्देश्य बिजली के लिए कोयलो पर निर्भरता को खत्म करना है. इस सोलर प्रोजेक्ट्स के पूरा होते ही बिजली की आपूर्ति बढ़ जाएगी. 

दिलचस्प बात यह है कि सरकार अब सिर्फ जमीन ही नहीं बल्कि पानी पर भी बडे़ सोलर पावर प्लांट्स लगा रही है. आज हम आपको बता रहे हैं कुछ फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट्स के बारे में. 

फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट
फ्लोटिंग पावर प्लांट्स में झीलों, बांधों, या किसी अन्य जल स्त्रोत के टॉप पर पीवी सोलर पैनल लाए जाते हैं. फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट पर सौर पैनल ऐसे फिक्स किए जाते हैं कि ये साल भर पर्याप्त धूप ले सकें. इन पैनलों से अंडरवाटर केबलों के माध्यम से पावर प्लांट्स में इलेक्ट्रिक करंट ट्रांसफर होता है. 

जमीन पर बने सोलर पावर प्लांट की तुलना में तैरते सौर ऊर्जा संयंत्रों को एक अलग सेट-अप की जरूरत होती है. फ्लोटिंग सोलर प्लांट लगातार मुश्किल क्लाइमेट सेटअप का सामना करते हैं. इस बात को ध्यान में रखकर इन्हें लगाया जाता है.  

ये हैं देश के 5 फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट्स 

1. ओमकारेश्वर रिजर्वायर (600 MW)
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर ओंकारेश्वर बांध में बनने वाली दुनिया की सबसे बड़ी फ्लोटिंग 600 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना से जल्द ही बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा. इस परियोजना में अनुमानित निवेश 3,000 करोड़ रुपये है. अनुमान है कि 2 साल में इस परियोजना से सस्ती और अच्छी गुणवत्ता वाली बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी. बांध में सोलर पैनल लगाकर करीब 2000 हेक्टेयर जल क्षेत्र में बिजली का उत्पादन किया जाएगा. 

2. रामागुंडम प्रोजेक्ट (100 MW)
तेलंगाना में रामागुंडम फ्लोटिंग सोलर पीवी प्रोजेक्ट की कुल क्षमता 100 मेगावाट है।.1 जुलाई को, एनटीपीसी ने परियोजना की अंतिम 20 मेगावाट क्षमता को व्यावसायिक रूप से चालू होने के लिए प्रमाणित किया. रामागुंडम परियोजना के पूरा होने के साथ दक्षिणी क्षेत्र में सौर पैनलों के उत्पादन की समग्र व्यावसायिक परिचालन क्षमता बढ़कर 217 मेगावाट हो गई. रामागुंडम परियोजना की प्रमुख विशेषताएं इसकी उन्नत तकनीक और पर्यावरण के अनुकूल विशेषताएं हैं.

3. कायमकुलम प्रोजेक्ट (92 MW)


भारत की सबसे बड़ी एकीकृत ऊर्जा कंपनी एनटीपीसी ने कायमकुलम फ्लोटिंग सौर परियोजना को पिछले साल शुरू किया था. कायमकुलम फ्लोटिंग सौर परियोजना एनटीपीसी के राजीव गांधी गैस-आधारित पावर स्टेशन के स्वामित्व वाले कई जलाशयों पर बनाई गई है. 

4. गेतलसूद डैम (100 MW) 
गेतलसूद डैम फ्लोटिंग सोलर पीवी प्लांट एक 100MW सोलर पीवी पावर प्रोजेक्ट है. इसकी योजना झारखंड, भारत में बनाई गई है. हालांकि, परियोजना वर्तमान में अनुमति चरण में है. इसे एक ही चरण में विकसित किया जाएगा. परियोजना का निर्माण 2023 में शुरू होने की संभावना है और 2024 में कमर्शियल संचालन में प्रवेश करने की उम्मीद है.

5. रिहंद डैम (50 MW)
रिहंद बांध सौर पीवी पार्क 1, 50 मेगावाट सौर पीवी बिजली परियोजना है. इसकी योजना भारत के उत्तर प्रदेश में है. परियोजना वर्तमान में अनुमति चरण में है और इसे एक ही चरण में विकसित किया जाएगा. यह उत्तर प्रदेश का पहला वाटर सरफेस फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट होगा. राज्य कैबिनेट ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है जिससे 750 करोड़ रुपये का निवेश आएगा. 

 

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