Flying Ranee Express Train: मुंबई-सूरत फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस का रेक के साथ बदल गया पूरा अवतार, 117 साल पुरानी ट्रेन को मिला नया रूप

साल 1965 में, फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस ट्रेन ने एक और उपलब्धि हासिल की जब इसे देश की सबसे तेज मध्यम दूरी की ट्रेन घोषित किया गया. इसी दौरान, इस ट्रेन के डिब्बों का रंग बदला गया और पश्चिम रेलवे द्वारा इसे नीले रंग का एक अलग हल्का एवं गहरा कोट दिया गया.

मुंबई-सूरत फ्लाइंग रानी
पारस दामा
  • मुंबई ,
  • 17 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 2:03 PM IST
  • 1906 में शुरू हुई थी पहली बार 
  • नया रूप दिया गया है इस ट्रेन को 

117 साल पुरानी ट्रेन को अब पश्चिम रेलवे ने मुंबई-सूरत फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस (एलएचबी) रेक के साथ नया अवतार दे दिया है. ये वही ट्रेन है जिसे 44 साल पहले 1979 में अलग से डिब्बे जोड़कर देश की पहली डबल डेकर में बदला गया था. दरअसल, देश में रेलवे का इतिहास बहुत पुराना है. रेलवे और उसकी ट्रेनों ने देश को आपस में जोड़ने और देश की प्रगति में भी काफी महत्वपूर्ण किरदार निभाया है. ऐसे में कई ऐसी ट्रेन हैं जो बहुत पुरानी है और रेलवे मार्ग का अभी भी अहम हिस्सा है. मुंबई से गुजरात रेलवे का मार्ग हर लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण मार्ग है, इस मार्ग से प्रतिदिन लाखों लोग गुजरात से मुंबई और मुंबई से गुजरात का सफर करते हैं. वहीं साल 1906 में ब्रिटिश काल में शुरू की गई फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस लोगों में बड़ी लोकप्रिय है. 

1906 में शुरू हुई थी पहली बार 

मुंबई-सूरत फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस पहली बार 1906 में शुरू हुई थी. एक बड़ी सभा में बॉम्बे सेंट्रल में बुलसर (अब वलसाड) के तत्कालीन जिला अधीक्षक की पत्नी ने ट्रेन का नाम फ्लाइंग रानी रखा था. इसके बाद बीच में इसकी सेवाओं को रोका गया लेकिन लगभग 1950 से यह लगातार पटरी पर है. यह प्रतिष्ठित ट्रेन पूरे समर्पण के साथ मुंबई और सूरत के बीच लोगों की परिवहन संबंधी जरूरतों को पूरा कर रही है. 

साल 1965 में, फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस ट्रेन ने एक और उपलब्धि हासिल की जब इसे देश की सबसे तेज मध्यम दूरी की ट्रेन घोषित किया गया. इसी दौरान, इस ट्रेन के डिब्बों का रंग बदला गया और पश्चिम रेलवे द्वारा इसे नीले रंग का एक अलग हल्का एवं गहरा कोट दिया गया. नवंबर, 1976 में इस ट्रेन को हल्के और गहरे हरे रंग में रंगा गया था. जून, 1977 से यह ट्रेन इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर चलाई जाने लगी. 18 दिसंबर, 1979 को फ्लाइंग रानी भारतीय रेल के इतिहास में डबल-डेकर कोच वाली पहली ट्रेन बन गई. यह ट्रेन यात्रियों, व्यवसायियों और व्यापारियों के बीच लोकप्रिय है क्योंकि यह दो वाणिज्यिक केंद्रों को जोड़ती है.

नया रूप दिया गया है इस ट्रेन को 

मुंबई सेंट्रल से सूरत जाने वाली ट्रेन फ्लाइंग रानी को अब एक नए रूप में ढाला गया है. फ्लाइंग  रानी मुंबई सेंट्रल से निकलकर सूरत तक का सफर तय करती है. ये ट्रेन देश के सबसे पुराने डबल डेकर कोच वाली ट्रेनों में से एक थी. अब इस ट्रेन का रूप बदल दिया गया है. इस ट्रेन में एलएचबी रैक्स को लगा दिया गया है इस रैक्स के लगने के बाद इस ट्रेन में यात्रा करने वाले लोगों को और भी अच्छी सुविधा मिलेगी. साथ ही आरामदायक सफर भी मिलेगा. यह ट्रेन दोनों विश्व युद्ध के दौरान बंद रही थी, लेकिन उसके बाद इसका सफर निरंतर जारी है.

इस ट्रेन को चलाने का मुख्य उद्देश्य मुंबई से सूरत के बीच व्यापार को बढ़ावा देना था. शुरू में इस ट्रेन में 10 कोच थे, जिससे एक ट्रिप में लगभग 800 यात्री सफर करते थे यात्रियों की बढ़ती संख्या के कारण 18 दिसंबर 1979 को इस ट्रेन में डबल डेकर कोच जोड़े गए. इसे यह 10 से 15 कोच की हो गई. वर्तमान में, फ्लाइंग रानी एक्सप्रेस प्रतिदिन सुबह 05.10 बजे सूरत से रवाना होती है, और सुबह 09:50 बजे मुंबई सेंट्रल पहुंचती है. वापसी दिशा में, यह शाम 17.55 बजे मुंबई सेंट्रल से प्रस्थान करती है और उसी दिन 22.35 बजे सूरत पहुंचती है.


 

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