G20 Summit: अच्छी खबर! नई दिल्ली घोषणापत्र को जी-20 देशों की मंजूरी, पीएम मोदी ने इन्हें दिया श्रेय, समझें कैसे है यह भारत की बड़ी कामयाबी

नई दिल्ली लीडर्स घोषणापत्र को अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणापत्र बताया जा रहा है. पिछली बैठक की तुलना में इस बार ज्यादा मुद्दों पर सहमति बनी है. इस घोषणापत्र में कुल 112 मुद्दे शामिल किए गए हैं. 

जी-20 शिखर सम्मेलन में बोलते पीएम नरेंद्र मोदी
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST
  • पीएम मोदी ने घोषणापत्र को मंजूरी की दी जानकारी 
  • कड़ी मेहनत के लिए दिया धन्यवाद

भारत की जी-20 अध्यक्षता के लिए शनिवार को एक बड़ी जीत सामने आई. सदस्य देशों के बीच सबकी सहमित से 'नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन' (नई दिल्ली घोषणापत्र) को अपनाया लिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में शिखर सम्मेलन के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए इसकी जानकारी दी. 

पीएम मोदी ने कहा, अभी-अभी अच्छी खबर मिली है कि हमारी टीमों की कड़ी मेहनत और आपके सहयोग के कारण नई दिल्ली जी-20 लीडर्स शिखर सम्मेलन घोषणा पर आम सहमति बन गई है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं अपने मंत्रियों, शेरपा और सभी अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से इसे संभव बनाया. 

रूस-यूक्रेन के मुद्दे को लेकर आ रही थी दिक्कत
गौरतलब है कि पहले रूस-यूक्रेन के मुद्दे को लेकर इस घोषणा-पत्र को मंजूरी मिलने में दिक्कतें आ रही थीं. हालांकि, बाद में भारत ने घोषणा-पत्र के पैराग्राफ में बदलाव किए, जिससे इसे मंजूरी मिलने में आसानी हुई. यूक्रेन पर भारत की ओर से घोषणापत्र में नया पाठ तब साझा किया गया जब जी-20 नेताओं ने शिखर सम्मेलन के पहले दिन गंभीर वैश्विक चुनौतियों पर विचार-विमर्श शुरू किया. गत तीन-छह सितंबर तक हरियाणा के नूंह जिले में हुई जी-20 शेरपा बैठक में यूक्रेन मुद्दे का उल्लेख करने वाले पाठ पर कोई सहमति नहीं बनी थी.

अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणापत्र
नई दिल्ली लीडर्स घोषणापत्र को अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणापत्र बताया जा रहा है. पिछली बैठक की तुलना में इस बार ज्यादा मुद्दों पर सहमति बनी है. इस घोषणापत्र में कुल 112 मुद्दे शामिल किए गए हैं. जी-20 बैठक के पहले दिन की जानकारी देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि समिट में एक धरती, एक परिवार और एक भविष्य पर जोर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस बार बैठक का मेन फोकस सतत और ग्रीन विकास पर है. इसके साथ-साथ आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम के लिए कदम उठाने पर भी सहमति बनी है.

किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला स्वीकार्य नहीं
घोषणापत्र के बारे में बताते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि इसमें इस मुद्दे को उठाया गया है कि किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला नहीं किया जाए. ताकत के दम पर किसी देश की सीमा पर अतिक्रमण नहीं किया जाए. इसके साथ-साथ बहुपक्षवाद को फिर से जीवित करने को लेकर सहमति और मजबूत, टिकाऊ और समावेशी विकास के मुद्दे पर मुहर लगी है और ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं पर जोर देने पर राजी हुए हैं.

नई दिल्ली घोषणा पत्र के क्या हैं मायने
नई दिल्ली घोषणापत्र के मायने की बात करें तो इसमें चीन से लेकर पाकिस्तान तक को घेरने का प्रयास किया गया है. एशिया में चीन अपनी विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ा रहा है. यही वजह है कि वो समय-समय पर भारत के सीमाई इलाकों को लेकर विवादित नक्शा जारी करता रहता है. हाल फिलहाल में उसने अरुणाचल प्रदेश को लेकर अपना एक विवादित नक्शा जारी किया था और राज्य के कई कस्बों का नाम भी बदल दिया था. ताइवान के साथ भी चीन का छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है. चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है. वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान है जो कि आतंकवाद के सहारे पड़ोसी मुल्कों को निशाना बनाता रहता है.

नई दिल्ली घोषणापत्र में क्या है 
1. मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास.
2. एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाना.
3. सतत भविष्य के लिए हरित विकास समझौता.
4. 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थान.
5. तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा. 
6. इंटरनेशनल टैक्सेशन.
7. लैंगिक समानता और सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाना.
8. वित्तीय क्षेत्र के मुद्दे.
9. आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करना. 
10. अधिक समावेशी विश्व का निर्माण.

हरित विकास समझौते पर लगी मुहर
वहीं, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारत की अध्यक्षता से कई मुद्दों के समाधान मिले हैं. सतत विकास के लिए हरित विकास समझौते पर मुहर लगी है. उन देशों पर ध्यान देने की बात की गई है जो विकासशील हैं. 21 सदी की वैश्विक चुनौतियों पर भी चर्चा हुई है. इसके साथ-साथ दुनियाभर में क्रिप्टो के बढ़ते चलन को लेकर और उसके असर को लेकर भी जी-20 नेताओं के बीच में चर्चा हुई है.

पर्यावरण के लिए बायोफ्यूल अलायंस
जी-20 समिट के आगाज के साथ पहले सत्र में ही कई बड़े फैसले लिए गए. पीएम मोदी ने पहले सत्र 'वन अर्थ' के समापन के बाद मीडिया को संबोधित किया. पीएम ने कहा कि जी-20 समिट के पहले सत्र में स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन बनाने पर सहमति बनी है. पीएम ने इसी के साथ कहा कि हम वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन शुरू कर रहे हैं और भारत दुनिया भर को इस पहल में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता है.

वैश्विक मुहिम के लिए एक कार्य बल बनाया जाएगा
ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा ने कहा कि उनके देश की जी-20 अध्यक्षता के दौरान जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक मुहिम के लिए एक कार्य बल बनाया जाएगा. हम शमन, अनुकूलन, हानि और क्षति तथा वित्तपोषण के बीच संतुलित जलवायु एजेंडे के साथ, ग्रह की स्थिरता और लोगों की गरिमा सुनिश्चित करते हुए 2025 में सीओपी 30 तक पहुंचना चाहते हैं.

ईको कॉरिडोर प्रोजेक्ट का ऐलान 
जी-20 समिट में इंटरनेशनल लेवल के बड़े प्रोजेक्ट्स के बारे में बड़ा ऐलान किया गया है. अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और यूएई के साथ कई देश मिलकर आपसी कनेक्टिविटी को बेहतर करना चाहते हैं. इसके लिए भारत मिडिल ईस्ट यूरोप ईको कॉरिडोर प्रोजेक्ट का ऐलान किया गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत भारत और मिडिल ईस्ट के देशों से होते हुए यूरोप-अमेरिका को भी कनेक्ट किया जाएगा. मिडल ईस्ट देशों के बीच रेल लाइन बनाई जाएगी और फिर पोर्ट के जरिए इसे भारत से जोड़ा जाएगा. इस बड़े ऐलान से चीन के प्रोजेक्ट बीआरआई को तगड़ा झटका लगा है. भारत पहले से ही बीआरआई का विरोध करता रहा है.

भारत के लिए कॉरिडोर अहम क्यों?
बता दें कि इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप ईको कॉरिडोर प्रोजेक्ट से चीन के खिलाफ भारत को डिप्लोमेटिक और रणनीतिक बढ़त मिलेगी और एक बार ये रास्ता तैयार हो गया तो मिडल ईस्ट के साथ यूरोप-अमेरिका तक कम समय में सामान भेजने और ट्रेड बढ़ाने में भारत को सहूलियत होगी. इससे कम समय में सामान भेजने और ट्रेड बढ़ाने में आसानी होगी.

पीएम मोदी ने कही बड़ी बात
इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप ईको कॉरिडोर प्रोजेक्ट के ऐलान के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का बयान सामने आया है. मैंक्रों ने कहा कि कॉरिडोर के लिए निवेश को तैयार हैं. हम इसे जल्द पूरा करना चाहते हैं. कॉरिडोर से नए अवसर पैदा होंगे. वहीं, पीएम मोदी ने कहा कि भारत मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर को मंजूरी मिल गई है. इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देंगे. भारत, सऊदी अरब और UAE शामिल हो गए हैं.

भारत के प्रस्ताव पर अफ्रीकन यूनियन को मिली सदस्यता
समिट के पहले सेशन में भारत ने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव रखा था. बतौर अध्यक्ष सभी देशों की सहमति से पीएम मोदी ने जैसे ही इसे पारित किया, अफ्रीकन यूनियन के हेड अजाली असोमानी जाकर पीएम मोदी के गले लग गए. भारत के प्रस्ताव का चीन और यूरोपियन यूनियन ने भी समर्थन किया. यूनियन को मेंबरशिप मिलने से अफ्रीका के 55 देशों को फायदा होगा.
 


 

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